प्रयागराज: रेलवे पटरी टूटी, चालक की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

यदि विभागीय अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेकर उच्चस्तरीय जांच एवं दोषियों पर कार्रवाई नहीं की तो कभी भी हो सकती है ऐसी घटनाएं।

Update: 2019-02-10 14:10 GMT

'आशीष पाण्डेय'

प्रयागराज: रविवार को अपराहन 3:30 बजे प्रयागराज मुम्बई रेलमार्ग पर लोहगरा व मदहरा स्टेशन के मध्य नीबी गांव के सामने किमी. 13240 पर टूटी हुई पटरी पर गुजर रही ट्रेन को इमंरजेंसी ब्रेक लगाकर चालक ने रोक दिया। जिससे एक बड़ी घटना टल गई।

एनसीआर की गोंदिया एक्सप्रेस 15232 जो कि गोंदिया से चलकर बरौनी जाती है। गोंदिया से चलकर रविवार दोपहर बाद ट्रेन प्रयागराज मुम्बई मार्ग पर स्थित शंकरगढ़ रेलवे स्टेशन पर रुकी और उसके बाद छिवकी स्टेशन के लिए रवाना हो गई। ट्रेन जब लोहगरा व मदरहा स्टेशन के बीच नीबी गांव के सामने पहुंची कि रेलवे ट्रैक पर बिछी सीमेंट का सिलीपर अचानक टूट कर अलग हो गया। सिलीपर के टूटने से रेलवे लाइन एक ओर दब गई और रेलवे पटरी टूट गई।

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इसकी जानकारी विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों को नहीं हो सकी। उसके बाद ही गोंदिया एक्सप्रेस आ गई। ट्रेन के कइ डिब्बे टूटी हुई पटरी से गुजर गए लेकिन जैसे ही ट्रेन के ड्राइवर को पटरी टूटने की जानकारी हुई तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। जिससे धीरे-धीरे ट्रेन रुक गई। ट्रेन के अचानक रुकने से उसमें सवार यात्री परेशान हो गए और नीचे उतरने लगे। यात्रियों को जब टूटी पटरी पर कई डिब्बे पार होने की बात पता चली तो उनके होश उड़ गए। कुछ देर के लिए ट्रेन को रोक कर रेलवे लाइन टूटने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई।

सूचना मिलते ही सीनियर सेक्सन इंचार्ज अनिल कुमार यादव, बी.डब्लू.आई. अजय कुमार एवं गैंग इंचार्ज प्रमोद कुमार पहुंचे और टूटी लाइन को ठीक कराने के बाद ट्रेन को रवाना किया। इस दौरान लगभग दो घण्टे ट्रेन खड़ी रही।

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पता था तो पहले क्यों नहीं रोकी ट्रेन

मामले को लेकर जब सीनियर सेक्सन इंचार्ज अनिल कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुझे इसकी जानकारी थी और मैने ही ट्रेन को रूकवाया लेकिन जब उनसे पहले स्टेशन पर ट्रेन को न रोकने का कारण पूछा गया तो वह मौन हो गई।

हो जाता हादसा तो जाती सैकड़ों जान

प्रयागराज मुम्बई रेलमाग्र पर स्थित लोहगरा व मदरहा स्टेशन के बीच यदि ट्रेन हादसा होता तो सैकड़ों लोगो की जान जा सकती थी लेकिन विभागीय अधिकारी अभी इस पर चुप्पी साधे हुए है। यदि विभागीय अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेकर उच्चस्तरीय जांच एवं दोषियों पर कार्रवाई नहीं की तो कभी भी हो सकती है ऐसी घटनाएं।

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