Rajya Sabha Election 2022: इन राज्यों के 57 सीटों पर होगा राज्य सभा चुनाव, क्या है चुनाव की प्रक्रिया, जानें सब कुछ
Rajya Sabha Election 2022: लोकसभा सांसद चुनने के लिए जनता सीधे वोट डालती है लेकिन राज्यसभा सांसद का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं होता है।
Rajya Sabha Election process: राज्यसभा की 57 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर इन दिनों देश की सियासत में हलचल मची हुई है। आगामी 10 जून को प्रस्तावित राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) के लिए कई नए सियासी समीकरण बन रहे हैं तो पुराने बिगड़ रहे हैं। इन चुनावों का असर कई राज्यों में चल रही गठबंधन सरकारों के भविष्य पर पड़ना तय माना जा रहा है। इसके अलावा तमाम सियासी दलों में अंदरूनी उठापटक भी खूब चल रही है। जून और जुलाई में कई दिग्गज सियासी चेहरों का कार्यकाल राज्यसभा में खत्म हो रहा है।
इन दिग्गज नेताओं का खत्म हो रहा कार्यकाल
इनमें सत्ताधारी बीजेपी (BJP) की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman), पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी और विनय सहस्त्रबुद्धे प्रमुख नाम है। तो वहीं कांग्रेस (Congress) से पी चिदंबरम, कपिल सिब्बस अंबिका सोना, विवेक तन्खा और जयराम रमेश प्रमुख नाम हैं। इसके अलावा शिवसेना (Shiv Sena) से संजय राउत, एनसीपी से प्रफुल्ल पटेल, बीएसपी से सतीश चंद्र मिश्र, आरजेडी से मीसा भारती का नाम भी उल्लेखनीय है।
इन राज्यों की सीटों पर होंगे चुनाव
10 जून को राज्यसभा की जिन 57 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें 11 सीटें उत्तर प्रदेश, 6-6 सीटें महाराष्ट्र और तमिलनाडु, 5 सीटें बिहार, 4-4 सीटें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान, तीन-तीन सीटें मध्य प्रदेश और ओडिशा, दो-दो सीटें पंजाब, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और एक सीट उत्तराखंड की शामिल है।
क्या होता है राज्सयसभा ?
देश की संसद में दो सदन हैं, उच्च सदन(राज्यसभा) और निचला सदन( लोकसभा)। हम आप में से अधिकतर लोग लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से भलीभांति परिचित हैं। हरेक पांच साल में हम अपने सांसदों का चुनाव करते हैं, जो लोकसभा में बैठते हैं। लेकिन राज्यसभा सांसदों के चुने जाने की प्रक्रिया लोकसभा से बिल्कुल भिन्न है। लोकसभा के लिए जहां हरेक पांच साल पर चुनाव होते हैं वहीं राज्यसभा के लिए हर दो साल में चुनाव कराया जाता है।
लोकसभा सांसद चुनने के लिए जनता सीधे वोट डालती है लेकिन राज्यसभा सांसद का चुनाव प्रत्यक्ष नहीं होता है। जनता की ओर से चुने गए राज्यों में विधायक और इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) के जरिए राज्य सभा सदस्य चुने जाते हैं। संविधान (Constitution) के मुताबिक, राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते हैं। जिनमें से 238 का चुनाव होता है और बाकी 12 राष्ट्रपति की ओर से नामित किए जाते हैं। राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता है।
राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया (Rajya Sabha election process)
राज्यसभा में हर राज्य का अपना कोटा होता है। इनमें से एक –तिहाई सीटों पर हर दो साल में चुनाव होते हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तराखंड (Uttarakhand) को लीजिए को जहां तीन राज्यसभा की सीटें हैं। यहां की 70 सदस्यीय विधानसभा में केवल दो दल कांग्रेस और बीजेपी है। दोनों दल हर सीट के लिए एक –एक कैंडिडेट घोषित कर सकते हैं। सीट जीतने के लिए कैंडिडेट को तय आंकड़े से एक अधिक वोट हासिल करने होते हैं। इसका फॉर्म्युला कुछ इस तरह है -
जीत = कुल वोट \( राज्यसभा सीटों की संख्या +1) +1
इस हिसाब से उत्तराखंड में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को (70/4)+1 मतलब जीत के लिए 18.5 यानि 19 वोट की दरकार होगी। यहां ध्यान में रखने वाली बात यह है कि वोट हर सीट के लिए नहीं पड़ता है। ऐसा होता तो संख्याबल के कारण सिर्फ सत्तापक्ष के लोग ही चुनाव जीत पाते। राज्यसभा चुनाव में हर प्रत्याशी को वरीयता (1,2,3,4,5 और 6) दी जाती है। यदि 19 या अधिक सदस्य किसी उम्मीदवार को पहली वरीयता देते हैं तो उसका चुनाव हो जाता है।
मान लीजिए किसी राज्य में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए 30 वोट चाहिए तो उसका मतलब है कि 30 से अधिक वोटों वाली कोई भी पार्टी अपने पसंद का सांसद चुन सकती है। क्योंकि उसके विधायक सामान्यतः अपने ही प्रत्याशी को वरीयता देते हैं।