इनको मिली राम मंदिर की जिम्मेदारी, जानें कौन हैं ये शख्स...

प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया है लेकिन क्या आप उस शख्स के बारे में जानते हैं जिसके कन्धों पर राम मंदिर की जिम्मेदारी है।

Update: 2020-02-06 11:05 GMT

अयोध्या: राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir) को लेकर इंतज़ार अब खत्म होने को है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन भी कर दिया, लेकिन क्या आप उस शख्स के बारे में जानते हैं जिसके कन्धों पर राम मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी है। ये जिम्मेदारी विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ( Vimlendra Mohan Pratap Mishra) को दी गयी है। उन्हें मंदिर का ट्रस्टी बनाया गया है। सवाल ये है कि आखिर विमलेंद्र हैं कौन..? उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी गयी? और उनका राम मंदिर से नाता क्या है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और उसके देख-रेख के लिए बुधवार को संसद में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया है। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्यों को शामिल किया जाना है। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को इसका ट्रस्टी बनाया गया है। विमलेंद्र को प्यार से लोग पप्पू भइया भी कहते हैं। बता दें कि विमलेंद्र को अयोध्या राजवंश का वारिस माना जाता है।

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कौन हैं विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र:

विमलेंद्र प्रताप मिश्र अयोध्या राजवंश का वारिस है। इनके राजवंश के सदस्य अयोध्या नगर की व्यवस्था चलाते थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही यह परंपरा समाप्त हो गई। बताया जाता है कि बाबरी विध्वंस के बाद रामलला की मूर्ति विमलेंद्र ने अपने घर से ही रखवाई थी। अब एक बार फिर से राम मंदिर की जिम्मेदारी उनके कंधो पर है।

राम की नगरी के राजा साहब हैं विमलेंद्र:

अयोध्या जो राम राज्य के लिए जाना जाता है, जहां राजा राम का दरबार लगता था। उसी अयोध्या में राजवंश परिवार के मौजूदा राजा के रूप में विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र आज भी अयोध्या के लोगों के बीच 'राजा साहब' के रूप में जाने जाते हैं। विमलेंद्र मिश्र अयोध्या रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी हैं।

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'रामायण मेला' समिति और हेरिटेज योजना के सदस्य हैं राजा विमलेंद्र:

बता दें कि अयोध्या राजवंश के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुड़ी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो पुत्र हैं विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और शैलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बड़े होने के कारण उन्हें इस राजवंश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और उन्हें अयोध्या के राजा के तौर पर जाना जाता है।

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार की ऐतिहासिक भवनों के संरक्षण एवं पर्यटन को बढ़ावा देने वाली ‘हेरिटेज योजना’की कार्यकारिणी के भी सदस्य बनाये गये हैं।

राजनीति से भी विमलेंद्र का नाता:

इसके अलावा विमलेंद्र मिश्र ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान अयोध्या (फैजाबाद) संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे। इसके बाद उन्होंने सियासत से दूरी बना ली। बता दे कि उनका राजवंश के समय में कांग्रेस का करीबी भी माना जाता है।

कई पीढ़ियों बाद अयोध्या राजवंश में जन्मे पुरुष उत्तराधिकारी

विमलेंद्र अयोध्या राजवंश में कई पीढ़ियों के बाद जन्में पुरुष उत्तराधिकारी थे। दरअसल, इसके पहले तक राजवंश में दूसरों को गॉड लिया जाता था और उन्हें विरासत सौंपी जाती थी। ऐसे में उनका बचपन कड़ी सुरक्षा में बीता। विमलेंद्र की मां महारानी विमला देवी ने उन्हें बाहर पढ़ाने के बजाय स्थानीय स्कूल में भेजा।14 साल की उम्र तक तो उन्हें अपनी उम्र के लडकों के साथ खेलने की भी अनुमति नहीं थी।

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