Jhansi Nagar Nikay Chunav: तिलक के बाद रतनलाल ने भी छोड़ी पार्टी

Jhansi News: पहले तिलक चन्द्र अहिरवार ने सपा को तो अब पूर्व मंत्री रतन लाल अहिरवार ने बसपा को अलविदा कह दिया। अभी टिकट घोषित नहीं हुआ, इसलिए कुछ और दलबदलू चेहरे सामने आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2022-12-13 17:07 IST

Jhansi Nagar Nikay Chunav (Social Media)

Jhansi Nagar Nikay Chunav: नगर निगम महापौर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित क्या हुआ,कुर्सी के चक्कर में कईयों की निष्ठा डोल गयी। पहले तिलक चन्द्र अहिरवार ने सपा को तो अब पूर्व मंत्री रतन लाल अहिरवार ने बसपा को अलविदा कह दिया। अभी टिकट घोषित नहीं हुआ, इसलिए कुछ और दलबदलू चेहरे सामने आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। झाँसी जिले की राजनीति में तिलक चन्द्र और रतन लाल जाने हुए नाम हैं। यह दोनों इसलिए भी जाने-पहचाने हैं क्योंकि यह मौका देखकर दलबदल करने के लगभग आदी से हो चुके हैं।

तिलक चन्द्र अहिरवार

पहले बात करें तिलक चन्द्र की, तो वह एक समय में बसपा के खास थे। बात-बात में वह बसपा सुप्रीमो मायावती का गुणगान करते थे। पार्टी भी उन्हें खूब तबज्जो देती रही। उन्हें बबीना से चुनाव लड़ाया और कई राज्यों का प्रभारी पद भी दिया।

लेकिन बसपा की जमीन खिसकते और सपा के बढ़ते जनसमर्थन को देख वह साइकिल पर सवार हो गए। मऊरानीपुर विधानसभा से टिकट हासिल करने के लिए वह सपा में पहुँचे तो पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन पर दांव लगा दिया, हालांकि वह चित हो गए।

अब महापौर सीट के आरक्षित होते ही उनका दलबदलू मन एक बार फिर डगमगाया और उन्होंने एक बार फिर दल बदलते हुए सपा को छोड़ने का एलान कर दिया। उनकी अब तक भाजपा में जॉइनिंग नहीं हुई है, किंतु उन्हें भाजपा नेताओं की परिक्रमा करते देखा जा रहा है।

रतन लाल अहिरवार

अब रतन लाल अहिरवार की बात। बबीना से भाजपा में सियासी पारी शुरू हुई, विधायक भी चुने गए। इसके बाद वह सपा व बसपा से भी विधायक बने। बसपा ने उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया।

हाल ही में उन्होंने अपने बेटे रोहित को मऊरानीपुर से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ाया। यानि परिक्रमा लगभग पूरी होने को है। कांग्रेस ही बची है, जहाँ वह नहीं गए। आज उन्होंने एक बार फिर बसपा को बाय-बाय कह दिया। माना जा रहा है कि वह भी भाजपा में एंट्री के मूड में हैं। उन्हें भी भाजपा नेताओं के यहाँ देखा जा रहा है।

भाजपा में जिताऊ नहीं हैं क्या?

अब सवाल यह कि प्रदेश में दूसरी बार प्रचण्ड बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई भाजपा के पास क्या अनुसूचित जाति का कोई चेहरा नहीं है क्या, जो वह पैराशूट कैंडिडेट्स पर मेहरबान होना चाहती है।

पार्टी का सबसे वफादार माना जाने वाला खटिक समाज हो या कोरी समाज , रजक समाज , बाल्मीकि समाज,अहिरवार समाज या अन्य समाज। इन समाजों में कई चेहरे हैं, जो लंबे समय से पार्टी में निष्ठा से काम कर रहे हैं। जानकारों की माने तो अगर भाजपा ने दलबदलुओं पर दांव लगाया तो यह निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कुर्बानी मानी जाएगी।

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