Sonbhadra: वाराणसी-शक्तिनगर हाइवे: शर्तों को दरकिनार कर टोल टैक्स की वसूली, निर्देश नहीं रखते मायने
Sonbhadra: पीपीपी माडल पर निर्मित वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग निर्माण के समय ही फ्लाईओवर के पीलरों में डोला स्टोन की जगह सैंडस्टोन के प्रयोग को लेकर चर्चा में आ चुका है।
Sonbhadra News: पीपीपी माडल पर निर्मित वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के निर्माण के समय ही जिला मुख्यालय स्थित फ्लाईओवर के पीलरों में डोला स्टोन की जगह सैंडस्टोन के प्रयोग को लेकर चर्चा में आ चुका हाइवे, इन दिनों करार की शर्तों और अधिकारियों के निर्देशों की अनदेखी कर, की जा रही टोल टैक्स वसूली को लेकर चर्चा में है। करार के मुताबिक सड़क, इससे जुड़ी साइड रोड, नालियों की मरम्मत, चयनित स्थलों पर प्रकाश आदि की व्यवस्था को लेकर, हाइवे पर टोल टैक्स की वसूली कर रही एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड को 20 साल के लिए जिम्मेदारी दी गई है।
लगभग सात साल गुजर भी चुके हैं लेकिन अब तक जहां जिला मुख्यालय पर साइड रोड की स्थिति पूरी तरह दुरूस्त नहीं हो सकी है। वहीं फ्लाईओवर पर प्रकाश की व्यवस्था, बग्घानाला पुल के पास अधूरे पड़े पुल और चोपन में हादसे का कारण बन रहे वनवे आवागमन से अब तक निजात नहीं मिल पाई है। अलबत्ता प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरूआत के साथ, सड़क से आवागमन करने वालों पर टोल टैक्स चार्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। बताते चलें कि यूपी स्टेट हाइवे अथारिटी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग का सोनभद्र के हाथीनाला से लेकर मिर्जापुर जिले के नरायनपुर तक लगभग 115 किमी सड़क का निर्माण कराया गया था।
वर्ष 2015-16 में यह कहकर टोल टैक्स की वसूली शुरू की गई कि 90 फीसद काम पूरा हो चुका है जो 10 प्रतिशत काम बाकी है। वह भी एक-दो साल में पूरा कर लिया जाएगा लेकिन अधूरे कार्य और साइड रोड, जिसे सड़क के सथ ही लगातार 20 साल तक मरम्मत की बात करार में होने की जानकारी दी गई थी, को जहां लगभग छह साल बाद भी पूरी तरह दुरूस्त नहीं किया जा सका है। वहीं बग्घानाला मोड़ के पास स्थित फ्लाईओवर पर आवागमन अब तक वनवे बना हुआ है। चोपन में पुराने पुल की मरम्मत कर दोनों पुलों से आवागमन बहाल किया गया था। निर्माण करा रही चेतक कंपनी की तरफ से पुल की मरम्मत भी कराई गई थी।
आवागमन आए दिन ले रहा किसी न किसी की जान
दावा किया गया था कि अब पुल आवागमन के लिए ठीक है लेकिन महज एक से दो साल बाद ही, पुराने पुल की हालत फिर से जर्जर हो गई और यहां आवागमन वनवे करना पड़ा। इसके चलते जब-तब भीषण जान तथा आए दिन हादसे और इसमें लोगों का जान जाने का सिलसिला जारी है। दूसरी जगह कौन कहे, जिला मुख्यालय के फ्लाईओवर पर ही अंधेरा दूर करने की कोई पहल सामने नहीं आ सकी है। इसके चलते हाइवे पर दो बड़ी घटनाएं रहस्य बन गई हैं। इसी तरह अन्य फलाईओवरों पर भी रात में अंधेरे का ही साग्राज्य बना हुआ है।
यह जिला मुख्यालय की दुर्दशा
जिला मुख्यालय पर दोनों तरफ की साइड रोड, सड़क निर्माण के समय से अब तक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। जिला मंडी समिति के मेन गेट के सामने खुले नाले और टूटी नाली लंबे समय से बड़े हादसे को दावत दे रही है। बारिश के समय फ्लाईओवर के उपर से सीधे झरने के रूप में गिरता पानी, इसके चलते टूटती साइड सड़क और हादसे की बनती स्थिति पर भी जिम्मेदारों की उदासीनता बनी हुई है। दिलचस्प मसला यह है कि इसको लेकर डीएम और एडीएम की तरफ से उपसा को कई पत्र देने के साथ ही, टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड को भी निर्देश जारी हो चुके हैं। लेकिन बारिश का मौसम गुजरने के बाद भी, न तो टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड के लोग न ही उपसा के ही किसी जिम्मेदार की तरफ से निर्देशों और लोगों को होती परेशानी को गंभीरता से लेने की जरूरत समझी जा सकी।
बता दें कि डेढ़ वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम एस राजलिंगम की तरफ से जिला मुख्यालय स्थित फ्लाईओवर और इसके नीचे के पाथवे, नालियों, प्रकाश आदि की व्यवस्था दूसरे मद से कराए जाने का प्रस्ताव भी भेजा गया था लेकिन शासन से प्रस्ताव यह कहकर वापस कर दिया गया कि टोल टैक्स वसूल रही एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड को इसके लिए 20 साल की जिम्मेदारी दी गई है। यहीं कारण है कि जिला प्रशासन चाहकर लोगों को अच्छी व्यवस्था नहीं दे रहा है। सवाल उठता है कि जब करार की शर्तों और अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है तो टोल टैक्स की वसूली क्यों? इस पर तरह-तरह की चर्चा बनी हुई है।
नहीं सुधरी हालत तो आंदोलन
मंच के अध्यक्ष श्रीकांत त्रिपाठी और उपाध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने इस मसले को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। कहा कि एक तरफ नियमों को ताक पर रखकर महज 115 किमी एरिया में चार टोला प्लाजा स्थापित कर दिए गए हैं। वहीं कई शर्तों की महज कागजी पूर्ति कर टोल टैक्स वसूला जा रहा है। इसको लेकर एक-दो दिन में डीएम से मिलकर कार्रवाई की गुहार लगाई जाएगी। इसके बाद बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।
नहीं दिखती कहीं जेब्रा क्रासिंग
115 किमी लंबे हाइवे की हालत यह है कि शायद ही कहीं जेब्रा क्रासिंग देखने को मिल पाए। सड़क भी जगह-जगह धंसी पड़ी है। ब्रेकरों में भी मानक का कितना ख्याल रखा गया है, इसको लेकर जब-जब सवाल उठते रहते हैं।
पहले के हालात की नहीं जानकारी
उधर, उपसा के मेंटनेंस इंचार्ज चंदन मुखर्जी का सेलफोन पर कहना था कि बारिश के पहले के हालात की उन्हें जानकारी नहीं है। बारिश के समय साइड रोड को क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली है, जिसको लेकर एक-दो दिन में कार्य शुरू करा दिया जाएगा। बग्घानाला के पास अधूरे पड़े कार्य, फ्लाईओवर पर प्रकाश व्यवस्था, पाथवे आदि के बारे में जानकारी करने के बाद ही स्थिति स्पष्ट कर पाऊंगा।