68,500 शिक्षकों की भर्ती का मामला: सामान्य श्रेणी के चयनित अभ्यर्थियों को राहत

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान सत्र में की गयी एम.आर.सी. अभ्यर्थियों की गयी तैनाती संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 (1) के विपरीत है। कोर्ट ने मनमानी तैनाती आदेश को रद्द कर दिया है।

Update:2019-08-29 20:37 IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर बेसिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मेरिट पर सामान्य श्रेणी में चयनित आरक्षित श्रेणी के (एम.आर.सी.) अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है।

कोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को अगले शिक्षा सत्र 2020-21 में उनकी वरीयता वाले जिलों में तैनात करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान सत्र में की गयी एम.आर.सी. अभ्यर्थियों की गयी तैनाती संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 (1) के विपरीत है। कोर्ट ने मनमानी तैनाती आदेश को रद्द कर दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने लगभग पौने 3 सौ याचिकाओं के एक हजार से अधिक याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का लाभ एमआरसी (मेरिट में चुने गए आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी) अभ्यर्थियों को ही मिलेगा और इन्हें आरक्षित श्रेणी में मानते हुए वरीयता वाले जिले में इनकी तैनाती की जाय।

कोर्ट ने कहा कि जो पहले से नियुक्त हो चुके है और एमआरसी श्रेणी के है, उनके सहित याचीगण 3 माह में अर्जी दे और उसके 3 माह के भीतर सरकार आदेश जारी करे। अगले सत्र से पहले तैनाती कर दी जाय।

सैकड़ों याचिकायें 31 अगस्त 18 व 2 सितम्बर 18 की मेरिट लिस्ट को रद्द करने और विज्ञापित 68500 पदों पर पुनरीक्षित चयन सूची जारी करने की मांग की गयी थी। याचियों ने वरीयता जिलों में मेरिट के आधार पर तैनाती की भी मांग की थी।

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9 जनवरी 2018 के शासनादेश से हुईं थी सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू

 

9 जनवरी 2018 के शासनादेश से सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू की गयी। परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद ने सामान्य श्रेणी व ओबीसी का कट आफ 45 फीसदी एवं एस सी एस टी का 40 फीसदी घोषित किया।

बाद में योग्यता कट आफ घटाया गया। मेरिट में चयनित आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों उनकी वरीयता के जिलों में नियुक्त नहीं किया गया। यह बहस की गयी कि बिना आपत्ति के इन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

वे इसे चुनौती नहीं दे सकते। इस भर्ती में 41556 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए है। शासनादेश के तहत हर श्रेणी के अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता के जिले में तैनात किया गया और एमआरसी अभ्यर्थियों के साथ विभेद किया गया।

मेरिट में आगे होने के बावजूद नहीं मिले वरीयता के जिले

मेरिट में आगे होने के बावजूद इन्हें वरीयता के जिले नहीं मिले और कम मेरिट वाले आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को वरीयता के जिले आवंटित किए गए। नियुक्तियां दो चरणों में की गयी।

पहली में 34660 व दूसरी में 6136 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गयी। जब एक ही चयन प्राक्रिया के तहत चयनित थे। सभी ने ज्वाइन कर लिया किन्तु यह कानून के विपरीत किया गया । केवल एमआरसी अभ्यर्थियों की तैनाती के आदेश रद्द हुए है। उन्हें नए सिरे से तैनाती की जानी है।

 

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