अब कोरोना संक्रमण से अनाथ हुए बच्चों की देखभाल करेगा महिला कल्याण विभाग, खोजे जा रहे बच्चे
अधिकारी ने बताया कि विभाग के चिन्हीकरण में वही बच्चें पात्र होगें, जिनके माता-पिता की कोविड-19 से मृत्यु हो गयी है।
बहराइच: महिला कल्याण विभाग (Women's Welfare Department) की ओर से एक नई पहल शुरू की गई है। कोविड-19 महामारी या किसी अन्य कारण से जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गयी है और उनकी देखभाल करने वाला घर पर कोई नहीं है, ऐसे बच्चों को महिला कल्याण विभाग द्वारा पुनर्वास कराया जायेगा।
महिला कल्याण विभाग की ओर से विभिन्न विभागों से समन्वय कर अनाथ या बेघर हुए बच्चों का चिन्हांकन किया जा रहा है। महिला कल्याण विभाग ऐसे बच्चों को आवश्यक सुविधाएं, सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। महामारी की इन परिस्थिति में ग्रस्त व चिन्हित बच्चों की उत्तरजीविता, विकास, सुरक्षा तथा संरक्षण हेतु विभाग द्वारा निर्धारित संचालन प्रकिया के अनुरूप कार्य किया जायेगा। बच्चों को बाल गृहों में आवासित करना अन्तिम उपाय होगा। इसके पूर्व उन्हें गैर संस्थागत देखभाल (रिश्तेदारों की देख-रेख में) फास्टर केयर उपयुक्त व्यक्ति या उपयुक्त सुविधा कानूनी रूप से गोद देना जैसे परिवार आधारित देख-रेख में रखे जाने के प्रयास किये जायेगें तथा समय-समय पर उनका फॉलोअप लिया जाता रहेगा।
'अनाथ बच्चों को सुरक्षित वातावरण दिलाने में सहभागी बनें'
जिला प्रोबेशन अधिकारी विनय कुमार सिंह ने बताया कि विभाग के चिन्हीकरण में वही बच्चें पात्र होगें, जिनके माता-पिता की कोविड-19 संक्रमण से मृत्यु हो गयी है। ऐसे बच्चें जिनके माता-पिता कोविड पॉजिटिव नहीं पाये गये है तथा लक्षण कोविड-19 के समान ही थे और उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी हो, ऐसे बच्चें जिनके माता-पिता कोविड-19 या किसी अन्य कारण से अस्पताल में भर्ती हों अथवा माता-पिता कोविड-19 लक्षणों से होम आइसोलेशन में हों और उनकी देखभाल में कोई न हो, ऐसे बच्चों को विभाग द्वारा सुविधा प्रदान किया जायेगा। जिला प्रोबेशन अधिकारी द्वारा जन सामान्य से अपील करते हुए कहा है कि ऐसे जरूरतमंद बच्चों के सम्बंध में कोई सूचना मिलती है, तो वे चाइल्ड लाइन हेल्प लाइन नम्बर 1098 या महिला हेल्प लाइन नम्बर 181 पर सूचना दे सकते हैं। उन्हें एक सुरक्षित वातावरण दिलाने में सहभागी बनें। जो बच्चें अनाथ हो गये हो, उनको कोई भी व्यक्ति उनके परिवार या आस-पास से गोद नहीं ले सकता है। यह बिल्कुल गलत है, गैर कानूनी और अपराध है।
सीधे बच्चा गोद लेना या देना दोनों है कानूनी अपराध
जिला प्रोबेशन अधिकारी सिंह ने बताया कि बच्चों को सिर्फ कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से गोद लिया जा सकता है। बच्चा गोद लेने की प्रकिया केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) की बेवसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराकर और कानूनी रूप से कार्यवाही करते हुए की जाती है। किसी व्यक्ति द्वारा सीधे बच्चा गोद लेना या देना दोनों अवैध व कानूनी अपराध है एवं बच्चों के अधिकारों का हनन है। उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्यवाही की जायेगी तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 80 के अन्तर्गत 03 वर्ष की कैद या 01 लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित करने का प्रावधान किया जाएगा।