लखनऊ: बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए ओबीसी छात्रों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट ने 10 मई तक टाल दी है।
कोर्ट ने याची को उस प्रावधान को चुनौती देने के लिए समय देते हुए सुनवाई टाली है जिससे यूनिवर्सिटी में एससीएसटी छात्रों को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है।
यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने यूनिवर्सिटी की पिछड़ा जन कल्याण समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दी।
बताया कानून का उल्लंघन
याचिकाकर्ता के वकील अमित बोस ने कहा कि एससीएसटी स्टूडेंट को पचास प्रतिशत और ओबीसी स्टूडेंट को आरक्षण से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन है।
विवि के निर्णय को सही ठहराया
एससीएसटी स्टूडेंट्स की ओर से पक्षकार बनने की अर्जी पेश कर सीनियर वकील एस के कालिया ने यूनिवर्सिटी के निर्णय को सही ठहराया।
यूनिवर्सिटी के वकील का अपना पक्ष
वहीं यूनिवर्सिटी के वकील राजेश तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय रोजगार में एससीएसटी स्टूडेंट को कोई आरक्षण नहीं दे रहा है। जबकि दाखिले में दे रहा है जो कि संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि याची ने उस प्रावधान को ही चुनौती नहीं दी है जिससे एससीएसटी स्टूडेंट्स को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है।
इस पर याची के वकील ने उक्त प्रावधान को चुनौती देने के लिए समय मांगा जो कोर्ट ने प्रदान किया। कोर्ट ने कहा कि मामला महत्वपूर्ण है जिसकी कोर्ट सुनवाई करेगा।