पूर्व IAS ने बयां किया अन्नदाता का दर्द, साहूकारी कर्ज में दबे किसान बनकर रह गए बंधुआ मजदूर

किसानों की कर्ज माफी तो ठीक है पर उन किसानों का क्या होगा जो साहूकारी ऋण के बोझ तले दबे हुए हैं। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में ऐसे लाख से ज़्यादा छोटे किसान बंधुआ मज़दूर बनकर रह गए हैं।

Update:2017-04-09 17:14 IST

 

लखनऊ: किसानों की कर्ज माफी तो ठीक है पर उन किसानों का क्या होगा जो साहूकारी ऋण के बोझ तले दबे हुए हैं। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में ऐसे लाख से ज़्यादा छोटे किसान बंधुआ मज़दूर बनकर रह गए हैं। हालांकि साहूकारी अधिनियम 1934 में अंग्रेज़ों ने साहूकारी प्रथा को प्रतिबंधित/रेग्युलेट किया था। अंग्रेज़ों के जाने के बाद भी ग़रीब किसान और मज़दूर का साहूकारों द्वारा शोषण जारी है। रिटायर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने अपने फेसबुक वाॅल पर किसानों के इस दर्द को बयां किया है।

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-एसबीआई के आंकड़ों (वर्ष 2016) के अनुसार, यूपी के किसानों पर कुल कृषि ऋण 86241.20 करोड़ है।

-आरबीआई के मुताबिक, 31 फीसदी सीमांत और लघु किसानों (2.5 एकड़ से कम जोत वाले) को ऋण दिया गया है।

-इसका मतलब लघु और सीमांत किसानों के कुल 27,419.70 करोड़ कर्ज सरकार को माफ करना होगा।

-प्रति किसान क़र्ज़ा लगभग 1.34 लाख है।

-सरकारी सूची के मुताबिक, क़र्ज़धारक लघु और सीमांत कृषकों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है।

-10 करोड़ किसानों में से 2.33 करोड़ लघु और दो करोड़ सीमांत कृषक हैं।

-सभी पर किसी न किसी प्रकार का ऋण अवश्य है।

-किस आधार पर सिर्फ 1.5 करोड़ किसानों की सूची बनाई गई है।

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केंद्र सरकार का दो टूक जवाब

-केंद्र सरकार केवल कृषि ऋण पर व्याज पर अनुदान दे सकता है।

-ऋण माफ़ी में कोई मदद नहीं कर सकता।

-आरबीआई का मानना है कि वह कर्ज माफ़ी के खिलाफ है।

-उसका कहना है कि इससे देश में वित्तीय अनुशासन खराब होता है।

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रिटायर आईएएस ऑफिसर सूर्य प्रताप सिंह

-वर्ष 2016-17 के लिए 3.46 लाख करोड़ रुपए का बजट है।

-सरकार को इस वर्ष के कुल बजट का 33% पैसा क़र्ज़ माफ़ी पर बैंकों को देना होगा।

-वित्त वर्ष 2016-17 में 49,960.88 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा अनुमानित है।

-जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 4.04 प्रतिशत है।

-कर्ज माफी के बाद यह घाटा 55% बढ़ जाएगा।

-राज्य के वित्तीय हालत खराब है।

-वर्ष 2016-17 में 93,212 करोड़ रुपए का फसली ऋण वितरित कराए जाने का लक्ष्य है।

-डिफ़ॉल्टर्स को बैंक ऋण नहीं देता।

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-प्रदेश में वर्ष 2013 में 750 किसानों ने आत्महत्याएं की।

-वर्ष 2016 में लगभग 1800 किसानों ने आत्महत्याएं की।

-जिसका मुख्य कारण किसानों पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का ऋण है।

-इनमे से आधे से अधिक आत्महत्याएं सूखाग्रस्त बुंदेलखंड और गरीब पूर्वांचल में हुईं।

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-देश के सबसे अमीर 57 लोगों जिनमें विजय माल्या भी एक हैं।

-उन पर बैंकों का 85,000 करोड़ रुपए ऋण है।

-इनमे से किसी पर भी 500 करोड़ का ऋण नहीं है।

-ये एक मुश्त अदायगी के नाम पर पाए अक्सर व्याज माफी कराते रहते हैं।

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-किसानों का क़र्ज़ माफी एक राहत देने वाला क़दम है।

-आरबीआई इसे व्यावहारिक नहीं मानती।

-साहूकारों से 20-24 फीसदी ब्याज पर कर्जा मिलता है।

-ग़रीब किसान की खेती-बाड़ी सब गिरवी रख दी जाती है।

-किसान साहूकारों का बंधुआ मज़दूर बनकर रह जाता है।

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