UP बोर्ड 'टाॅपर्स लिस्ट' में ज्यादातर बच्चे नकलची वित्तविहीन विदयालयों से

यूपी बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों में नकल के ​लिए कुख्यात वित्तविहीन कॉलेजों का जलवा रहा। तथाकथित टाॅपर लिस्ट में दर्ज ज्यादातर बच्चे इन्हीं नकलची वित्तविहीन विदयालयों से हैं।

Update: 2017-06-13 06:39 GMT

लखनऊ: यूपी बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों में नकल के ​लिए कुख्यात वित्तविहीन कॉलेजों का जलवा रहा। तथाकथित टाॅपर लिस्ट में दर्ज ज्यादातर बच्चे इन्हीं नकलची वित्तविहीन विदयालयों से हैं। राजकीय कॉलेजों में नकल नहीं होती है। अतः इन कॉलेजों से तथाकथित 'टाॅपर्स' खोजे नहीं मिल रहे हैं। इस साल भी तथाकथित 'टाॅपर्स' नकलची जिलों- कानपुर, बलिया, इलाहाबाद, उन्नाव, कन्नौज, रायबरेली से सर्वाधिक हैं। नकल के लिए कुख्यात बाराबंकी जिले से भी 'टाॅपर्स' खूब आए हैं। रिटायर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने अपनी फेसबुक वाॅल पर यह जाहिर किया है।

नकल रुकती तो परिणाम कुछ और होता

रिटायर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा है कि यदि साल 1992 में जब नक़ल रुकी थी तो हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम 17 और 14 फीसदी रहा। उसके बाद से सभी वर्षों के परिणाम 80 से 96 फीसदी के बीच रहें। बिहार की तर्ज पर यूपी में भी मीडिया यदि बोर्ड 'टाॅपर्स का इंटरव्यू लेगा तो इनकी भी पोल खुल जाएगी।

हाईस्कूल का उत्तीर्ण प्रतिशत

साल बालक बालिका

2013 82.87 91.25

2014 83.25 90.86

2015 79.73 88.34

2016 84.82 91.11

2017 76.75 86.50

 

इंटरमीडिएट का उत्तीर्ण प्रतिशत

साल बालक बालिका

2013 89.79 96.32

2014 89.81 95.13

2015 85.91 92.16

2016 84.35 92.48

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