नई शिक्षा नीति पर RSS के वरिष्ठ नेता का एलान, करीब 400 संस्थाएं होगी संगठित

आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने रविवार को यहां कहा कि केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बहुमुखी व्यक्तित्व का निर्माण करेगी।

Update:2020-08-17 12:35 IST
RSS leader & ABVP chief Sunil Ambekar supports news education policy

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने रविवार को यहां कहा कि केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बहुमुखी व्यक्तित्व का निर्माण करेगी। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति भारत को विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर भी करेगी।

नई शिक्षा नीति पर वेबिनार का आयोजन

सुनील आम्बेकर अखिल भारतीय विद्याार्थी परिषद की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित एक वेबिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरुप भारतीय है। इसमें भारतीय ज्ञान के साथ-साथ भारतीय अवश्यकताओं और तदानुसार विद्यार्थियों में स्किल विकसित करेगी।

RSS के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर शामिल

उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत देश का युवा इंजीनियरिंग के साथ-साथ कृषि, बीज, आयुर्वेद, पशु विज्ञान, खेलकूद आदि सभी क्षेत्र की शिक्षा एक समेकित रुप में प्राप्त करेगा। इससे उसका बहुआयामी व्यक्तित्व विकसित होगा। उन्होंने बताया कि इस शिक्षा नीति के तहत देश के शैक्षणिक संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाया जाएगा ताकि वे अपना कैंपस दुनिया के अन्य देशों में भी खोल सकें।

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आम्बेकर ने कहा कि वर्तमान कोरोना काल में पूरी दुनिया की परिस्थिति में बड़ा बदलाव आया है। इस समय समूचा विश्व भारत की तरफ देख रहा है। ऐसे में हमारे विशिष्ट शैक्षणिक संस्थान जब अपने कैंपस दूसरे देशों में खोलेंगे तो दुनिया के लोग भारतीय ज्ञान की तरफ उन्मुख होंगे और भारत फिर से विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

ABVP के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री बोले

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि आज जब देश के अंदर आत्म निर्भर भारत और सशक्त भारत की बात हो रही है। ऐसे समय में यह नई शिक्षा नीति एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने बताया कि इस नीति में जो भारतीय भाषाओं को महत्व दिया गया है वह बड़ा ही महत्वपूर्ण निर्णय है। उन्होंने बताया कि इस नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रमों को कम करके सामान्य ज्ञान और संख्या ज्ञान पर अधिक जोर दिया गया है।

सह प्रचार प्रमुख का एलान -करीब चार सौ संस्थाएं होंगी संगठित

आम्बेकर ने बताया कि इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों की शिक्षा पर भी बल दिया गया है। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और लड़कियों की शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया है जिससे आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोगों को अधिक फायदा होगा।

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आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख ने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए इस नीति के तहत करीब चार सौ संस्थाएं भी संगठित होंगी और सरकार व निजी सभी शैक्षणिक संस्थानों को शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी होगी। गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं होगा।

राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर काम करना होगा

आम्बेकर ने कहा कि कुल मिलाकर नई शिक्षा नीति सकारात्मक, भारतीय ज्ञान और गुरु व विद्याार्थी की परंपरा को बढ़ाने वाली है। उन्होंने बताया कि इस नीति के बनने से पहले इस पर कई चक्रों में गंभीर चर्चाएं भी हुई हैं। इसलिए यह पूरी तरह से भारत की भारतीय शिक्षा नीति है। यह नीति स्वागत योग्य है।

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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसके क्रियांवयन को लेकर लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है। इसके सफल क्रियांवयन के लिए राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर काम करना होगा। शैक्षणिक संस्थानों को भी प्रयास करने होंगे।

वेबिनार इन जिलों के विश्वविद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थी शामिल

वेबिनार के दौरान लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज और आगरा समेत प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने नई शिक्षा नीति को लेकर कई सवाल भी किए। श्री आम्बेकर ने सभी सवालों का जवाब दिया।

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वेबिनार में विद्यार्थी परिषद के पूर्वी उप्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रमेश गडिया, डा0 भूपेंद्र सिंह, हरिबोरकर, मनोज निखरा, 16 विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी बीएचयू के निदेशक समेत तमाम लोग भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे राजशरण शाही ने बताया कि वेबिनार से हजारों छात्र और शिक्षक जुड़े रहे। वहीं वेबिनार को विद्यार्थी परिषद के उप्र के सभी छह प्रान्तों के फेसबुक पेज पर भी लाइव किया गया, जिससे भी हजारों की संख्या में परिषद के कार्यकर्ता जुड़े रहे।

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