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विवादों में घिरी फिल्म गुंजन सक्सेना, सहयोगी पायलट भड़कीं, खड़े किए कई सवाल
वायुसेना के बाद एक सेवानिवृत्त विंग कमांडर ने भी जान्हवी कपूर की फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल पर आपत्तियां जताई हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: वायुसेना के बाद एक सेवानिवृत्त विंग कमांडर ने भी जान्हवी कपूर की फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल पर आपत्तियां जताई हैं। इस फिल्म को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है क्योंकि इस फिल्म के जरिए वायुसेना की छवि खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया गया है। वायुसेना ने सेंसर बोर्ड से इसकी शिकायत की है और अब वायुसेना में गुंजन सक्सेना के साथ काम कर चुकीं सेवानिवृत्त विंग कमांडर नम्रता चांदी ने भी फिल्म में दिखाई गई बहुत सी बातों को मनगढ़ंत और पूरी तरह झूठ बताया है। उन्होंने जान्हवी कपूर को भविष्य में ऐसी फिल्में न करने की सलाह भी दी है।
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वायुसेना की इमेज के साथ खिलवाड़
नम्रता ने इस बाबत लिखे एक लेख में फिल्म पर तमाम सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि मैंने इस फिल्म को देखा है और इस फिल्म में किसी एक की फेक इमेज को बनाने के लिए वायुसेना की इमेज के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी फिल्म मेकर को सिनेमैटिक लिबर्टी और क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर झूठ नहीं दिखाना चाहिए।
नम्रता ने कहा कि मैं खुद एक हेलीकॉप्टर पायलट रही हूं और वायुसेना में 15 साल की सेवा के दौरान मुझे किसी ऐसे दुर्व्यवहार का सामना नहीं करना पड़ा जैसा फिल्म में दिखाया गया है। उन्होंने मेल ऑफिसर्स को ज्यादा प्रोफेशनल और जेंटलमैन बताया।
हर अफसर का मिला का सहयोग
नम्रता ने कहा कि गुंजन सक्सेना 1995 के उसी बैच में थी जिसमें मेरी भी ट्रेनिंग हुई थी। यह एयरफोर्स में महिला हेलीकॉप्टर पायलट का चौथा बैच था। उन्होंने कहा कि सेना में महिलाओं को हमेशा समान अधिकार दिए गए हैं और मुझे और मेरी हर बैचमेट लड़की को सीओ से लेकर हर अफसर और मेल कलीग्स का पूरी तरह सपोर्ट मिला। फीमेल होने के कारण कभी हमें नीचा दिखाने की कोशिश नहीं की गई।
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बस शुरुआत में हुई थोड़ी दिक्कत
नम्रता ने कहा कि यह बात सही है कि शुरुआत में कोई कमरा या महिला टॉयलेट न होने के कारण परेशानियां हुई थीं, लेकिन किसी भी समय हमें असहज स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा कि कपड़े बदलने के दौरान कुछ अधिकारी बाहर खड़े होकर पहरे दिया करते थे।
नम्रता के मुताबिक चेंजिंग रूम में जाते वक्त मैं वहां मौजूद लोगों को बाहर खड़ा करके ड्रेस चेंज कर लिया करती थी। यह समस्या सिर्फ शुरुआती दौर में थी और यह इतनी बड़ी समस्या नहीं थी जिसे लेकर इश्यू बनाया जाए। वैसे हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हम वायुसेना में सुविधा के लिए नहीं बल्कि देश की सेवा करने के लिए गए थे।
ऐसे तो टूट जाएगा लड़कियों का दिल
गुंजन सक्सेना के साथ काम कर चुकी नम्रता का कहना है कि फिल्म में जिस तरह वायुसेना की नकारात्मक छवि और महिला पायलटों के साथ पुरुष साथियों का व्यवहार दिखाया गया है उसे देखकर भविष्य में कोई भी लड़की वायुसेना में जाने के बारे में नहीं सोचेगी।
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फिल्म में दिखाया गया झूठ
उनका कहना है कि फिल्म में यह झूठ दिखाया गया है कि कारगिल में फ्लाई करने वाली पहली महिला पायलट गुंजन थी जबकि सच्चाई यह है कि वह महिला पायलट श्रीविद्या राजन थी। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं को ऐसी झूठी बातें नहीं दिखानी चाहिए। सच्चाई तो यह है कि यह फिल्म बायोपिक नहीं बल्कि एक मनगढ़ंत कहानी है जिसमें गुंजन को एक विक्टिम के तौर पर दिखाया गया है। गुंजन के साथ यूनिट में तैनात दो और लेडी पायलटों का फिल्म में जिक्र तक नहीं किया गया है।
गुंजन को नहीं मिला था शौर्य चक्र
नम्रता ने फिल्म में दिखाई गई इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि गुंजन सक्सेना को शौर्य चक्र मिला था। नम्रता ने कहा कि यह पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि ऐसी बातें दिखाकर फिल्म बनाने वालों ने वास्तविक शौर्य चक्र विजेताओं की बहादुरी और निष्ठा को धूमिल करने का प्रयास किया है। 2011 में रिटायर होने वाली नम्रता के पास 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।
उनका कहना है कि मुझे नहीं पता कि गुंजन ने फिल्म के रिसर्चरों को अपने अनुभवों के बारे में क्या बातें बताईं, लेकिन इतना तो तय है एयरफोर्स की यूनिफार्म पहनने वाला कोई भी शख्स एयरफोर्स की नेगेटिव इमेज नहीं बनाना चाहेगा।
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