Rumi Darwaza Lucknow: खतरे में लखनऊ का रूमी दरवाजा, हो सकता है बड़ा हादसा

Rumi Darwaza Lucknow in Danger: लखनऊ की शान रूमी गेट भारी वाहनों के गुजरने से होने वाले कंपन से काफी क्षति पहुंच रही है। गेट भारी वाहनों का दबाव नहीं झेल पा रहा है।

Update: 2022-12-04 11:37 GMT

खतरे में लखनऊ का रूमी दरवाजा गाड़ियां गुजरती हैं तो होता है कम्पन: Photo- Social Media

Lucknow News: लखनऊ की शान और पहचान विश्व विख्यात रूमी गेट (Rumi Darwaza) भारी वाहनों के गुजरने से होने वाले कंपन से काफी क्षति पहुंच रही है। गेट भारी वाहनों का दबाव नहीं झेल पा रहा है। खड़ंजा सड़क होने के कारण जब भारी वाहन वहां से गुजरते हैं तो गेट के स्ट्रक्चर में कंपन होने लगता है जो गेट को कमजोर करने के लिए काफी है। ट्रक व बसों के निकलने के समय गेट के ढांचे में कंपन होने लगता है। इन्हीं कारणों से पश्चिम की ओर बड़ी मेहराब के मध्य में सबसे ऊपर की ओर दरारें आ गई हैं।

रूमी गेट एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक है। इस पर खतरे को देखते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने चेतावनी जारी की है। विभाग ने पत्र जारी कर कहा है, कि यदि समय से भारी वाहनों के आवागमन पर रोक नहीं लगाया जाता है तो किसी भी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता। और चेतावनी देते हुए कहा कि भारी वाहनों के गुजरने से गेट में भारी कंपन उत्पन्न होता है।

पश्चिम की ओर बढ़ी मेहराब के मध्य दरार आ गई हैं

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा 29 नवंबर को मंडलायुक्त व पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर रूमी गेट से होकर गुजरने वाले भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाने के लिए कहा था। इससे पहले भी चेतावनी जारी करते हुए 01 सितंबर, 2022 पत्र लिखा गया था लेकिन भारी वाहनों का आवागमन बंद नहीं हुआ। पत्र के माध्यम से रूमी गेट से भारी वाहनों के आवागमन को तत्काल बंद करने के लिए कहा गया था। भारी वाहन जैसे बस व ट्रक इस धरोहर के लिए खतरा है। गेट में हो रहे नुकसान के बारे में बताते हुए कहा गया है कि पश्चिम की ओर बढ़ी मेहराब के मध्य सबसे ऊपर दरार आ गई हैं। यदि भारी वाहनों के आवागमन को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका गया तो किसी भी खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है।

रूमी गेट का इतिहास (History of Rumi Gate)

रूमी गेट का भी निर्माण इमामबाड़े के तर्ज पर ही अकाल राहत प्रोजेक्ट के तहत किया गया था। अकाल के दौरान लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा 1783 ई. में बनवाया था। यह गेट 60 फीट ऊंची है। अवध वास्तु कला को प्रदर्शित करने वाले इस गेट को तुर्किश गेटवे भी कहा जाता है। इस खूबसूरत दरवाजे को बनाने के लिए 22,000 लोग लगे थे। इसके निर्माण के लिए चूने और ईंटे का इस्तेमाल किया गया है।

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