Russia Ukraine War: फंसे छात्र-छात्राओं ने वीडियो कॉलिंग कर बताया हाल, अच्छी खबर से परिजन खुश

Russia Ukraine War: रूस-युक्रेन युद्ध के बीच फंसे छात्रों के परिजन बेचैन हैं। बांदा के माता-पिता ने बताया कि छात्र नीरज से जब बात हुई तो राहत की सांस ली है।

Report :  Anwar Raza
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-03-02 17:02 GMT

बांदा: यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राओं ने वीडियो कॉलिंग से की बात: Photo - Social Media

Russia Ukraine War: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh News) के बांदा में चारों यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्रा के माता-पिता ने बताया कि धमाके के बीच खतरे से गिरे छात्र नीरज से जब बात हुई तो स्वजन ने राहत की सांस ली है। बिसंडा (bisanda) कस्बा निवासी नीरज यूक्रेन में एमबीबीएस का छात्र है। वीडियो कॉलिंग कर बताया कि 20 छात्रों को रोमानिया सीमा से 15 किलोमीटर दूर छोड़ा गया उसके बाद वह पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर पहुंच गया है। 

यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बिसंडा निवासी व्यवसाई नरेश गुप्ता का पुत्र नीरज विश्वविद्यालय प्रशासन की मदद से रोमानिया पहुंच गया है। विदेशी धरती में युद्ध के बीच 1 सप्ताह से नीरज फंसा हुआ था। बढ़ रहे तनाव के बीच यूक्रेन से बाहर निकलने पर परिजन ईश्वर को धन्यवाद दे देते नहीं थक रहे हैं।

यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राओं फोन कालिंग के जरिये बताई अपनी स्थिति

बता दें कि बिसंडा के मानस चौक निवासी व्यापारी नरेश गुप्ता के 3 पुत्र हैं। पहले गब्बर का पुत्र नीरज यूक्रेन के इवानो फ्रैंकी वस्क स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। नीरज ने 28 फरवरी को अपने घर आने के लिए टिकट भी बुक करवाया था। लेकिन इसी बीच रूस ने यूक्रेन में अचानक हमला कर दिया।

अलीशा ने युद्ध के समय हॉस्टल में छुप कर बचाई जान

बांदा नगर छावनी मोहल्ला निवासी रफीक मंसूरी की बेटी अलीशा भी यूक्रेन शहर में एमबीबीएस की प्रथम वर्ष की छात्रा है। वह रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के समय हॉस्टल में ही जान बचा कर छुपी थी। सोमवार को यह चार अन्य साथी छात्राओं के साथ रोमानिया बॉर्डर (romania border) के लिए बस में रवाना हुए हैं। उसे करीब 1700 किलोमीटर का सफर तय करना है। चाचा मंसूरी कहते हैं कि बेटी अलीशा का मोबाइल फोन भी डिस्चार्ज हो गया है। इसलिए बात नहीं हो पा रही है अभी वह बॉर्डर पर नहीं पहुंच पाई है। सफर बराबर चल रहा है 1700 किलोमीटर का मतलब है 24 घंटे लग जाएंगे।


इसी प्रकार बांदा शहर के निवासी हेमेंद्र सिंह, युद्ध की विभीषिका के बीच फंसा है सोमवार की शाम खार्कीव से स्पेशल ट्रेन से अन्य छात्रों के साथ स्लोवाकिया के लिए चला है। यूक्रेन के खार्कीव से ट्रेन से चले हेमेंद्र ने अपने पिता चुन्ना सिंह व मां शकुंतला से मंगलवार शाम करीब 5:00 बजे मोबाइल फोन पर बात की। बताया कि स्पेशल ट्रेन से वह अन्य छात्रों के साथ सोमवार शाम करीब 6:30 बजे चला है।

बेटा सुरक्षित है, यह जानकर काफी खुशी है

चेकोस्लोवाकिया बॉर्डर (czechoslovakia border) तक उन लोगों को छोड़ा जाएगा अभी वह लोग पहुंचे नहीं है। कागजी कार्रवाई के बाद एयरपोर्ट ले जाया जाएगा। उसी के बाद वह भारत को उड़ान भर सकेंगे। सेवानिवृत्त प्राचार्य चुन्ना सिंह का छोटा बेटा हेमेंद्र सिंह फरवरी 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गया था। वह यूक्रेन के खार्कीव में रहकर नेशनल यूनिटी में तृतीय वर्ष का छात्र है। पिता चुन्ना सिंह ने बताया कि बेटा सुरक्षित है, यह जानकर काफी खुशी है।

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