लखनऊ: नदियों के संरक्षण का मंत्र देने के मकसद से चलाया जा रहा अभियान 'रैली फॉर रिवर्स' मंगलवार (26 सितंबर) को लखनऊ पहुंचा। बता दें, कि यह अभियान ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू जग्गी वासुदेव की अगुवाई में चलाया जा रहा है। प्रदेश की राजधानी पहुंचने पर इस अभियान को लेकर एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ, दिनेश शर्मा सहित योगी सरकार के कई मंत्री शामिल हुए।
इस मौके पर सीएम योगी ने 'रैली फ़ॉर रिवर्स' अभियान की सराहना की। उन्होंने कहा, नदियों को बचाने के लिए जनभागीदारी जरूरी है। उत्तर भारत की गंगा और यमुना दो महत्वपूर्ण नदियां हैं। इनकी वजह से इलाके की जमीन उर्वर है। दक्षिण भारत में कावेरी ही नहीं उत्तर भारत में भी ढेरों नदियां हैं, जिसमें बारहों महीने विशुद्ध जल बहता था लेकिन अब वह सूख गई है।
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स्पष्ट हो दृष्टिकोण
सीएम बोले, लखनऊ की कई कॉलोनियों को आज भी शुद्ध जल नहीं मिलता होगा, क्योंकि गोमती नदी में 36 नालों को गिरा दिया गया है। नदी का पानी गंदा हो रहा है। अपने प्रतीकों के प्रति हम सबका दृष्टिकोण क्या है? यह स्पष्ट होना चाहिए।
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यह शानदार अभियान है
सीएम ने 'रैली फ़ॉर रिवर्स' अभियान की तारीफ करते हुए कहा, यह सचमुच एक शानदार अभियान है। उन्होंने जग्गी वासुदेव से कहा, जिस प्रकार का अभियान आप प्रस्तुत कर रहे हैं। आज देश को इसकी जरुरत है। उन्होंने कहा, गोमती नदी के जल को शोधन कर इसके अस्तित्व बचाने का काम किया जा रहा है। लखीमपुर से लेकर लखनऊ तक इसका प्रवाह निर्मल कैसे बनाया जाए इसकी कार्ययोजना सरकार ने बनाई है।
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..ताकि गंगा में कचरा न बहे
सीएम बोले, 'यूपी में 125 किलोमीटर तक गंगा बहती हैं। नदी को गंदा होने से बचाने के लिए पहले नदियों के तटवर्ती गावों को खुले में शौच मुक्त कर रहे हैं। हम इसमें सफल भी हुए हैं। दूसरे चरण में 39 एसटीपी के कार्यक्रम गंगा पर शुरू हो रहे हैं। कोई भी इकाईया अब यूं ही नहीं गंगा में कचरा डाल सकती है। अर्ध कुम्भ के पहले सरकार की कोशिश है कि गंगा में कचरा न बहाया जाए।'
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औषधि वाले वृक्षों को लगाया
सीएम योगी बोले, वन महोत्सव में गंगा जी के दोनों ओर एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं। पूरे प्रदेश में करीब 6 करोड़ पौधरोपण किया गया। यूकेलिप्टस को हमने बैन कराया। पीपल, पाकड़ और औषधि वाले वृक्षों को लगाने के लिए प्रेरित किया।
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इतने बड़े राज्य का सीएम एक योगी है
इसके बाद जग्गी वासुदेव ने कहा, 'यह पहली बार है कि दो योगी स्टेज पर हैं। इतने बड़े राज्य का सीएम एक योगी है। उन्होंने कहा, 1947 में यह देश आजाद हुआ। इस दौरान कितने लोगों की जान गई। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम जाकर अतीत में देखें कि क्या सही और क्या गलत किया। पर पिछले 20 सालों में हमारे देश ने तरक्की की है।'
यूपी-उत्तराखंड के साथ काम करने की जरूरत
जग्गी ने कहा, कि यदि यूपी और उत्तराखंड मिलकर काम करेंगे, तभी गंगा में फर्क दिखेगा। इस पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, कि 'पहले गंगा एक्शन प्लान था। पर राज्यों का सहयोग नहीं मिल पाने के कारण पीएम नमामि गंगे परियोजना लेकर आए। यूपी और उत्तराखंड मिलकर काम करेंगे। सिर्फ पालिसी बना देने से योजनाएं सफल नहीं होती हैं इसमें जनभागीदारी भी जरूरी है।'
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सदगुरू ने कही यह खास बातें
-गंगा में पानी की मात्रा 45 प्रतिशत तक कम हो गई है, यही स्थिति बाकी सभी नदियों की है।
-आजादी के बाद से भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 75 फीसदी कम हो गई है।
-भारत का 55 फीसदी भूमिजल तेजी से कम हो रहा है।
-जलाशयों का स्तर पिछले एक दशक में ही 30 फीसदी घट गया है।
-भारत का एक तिहाई हिस्सा तेजी से मरूस्थल बनता जा रहा है।
-प्रमुख शहरों में से दो तिहाई शहर पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।
-भारत की मिटटी में पोषक तत्वों की भारी क्षति पाई गई है।
-20 साल से कम उम्र के 80 फीसदी लोगों ने कभी नहीं देखी तक नहीं है।
किस लिए है नदी अभियान
भारत की नदियों में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है। बारहमासी नदियां मौसमी बन रही हैं।नदियों के मौसमी बनने से फसलें नष्ट हो रही हैं। कई छोटी नदियां पहले ही गायब हो चुकी हैं। चूंकि नदियां बरसात में बेकाबू हो जाती हैं। बरसात खत्म होते ही गायब हो जाती है। बाढ और सूखा जल्दी-जल्दी होने लगे हैं। भारत का 25 फीसदी हिस्सा रेगिस्तान बनता जा रहा है। 15 सालों के बाद हमेें हमारी जरूरत का सिर्फ आधा पानी ही मिल पाएगा। गंगा, कृष्णा, नर्मदा, कावेरी जैसी हमारी कई महान नदियां बहुत तेजी से सूख रही हैं। ज्यादातर नदियों के बीच विवाद का मुददा बन गया है। 80 फीसदी पानी अन्न उगाने के काम आता है। हर इंसान की पानी की खपत सालाना 11 लाख लीटर है। जलवायु परिवर्तन से अगले 25 से 50 सालों में और ज्यादा भयंकर बाढ आने और सूखा पड़ने की उम्मीद है।
अवेयरनेस पैदा करने के लिए कन्याकुमारी से हिमालय तक
सदगुरू लोगों में नदी अभियान के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए तीन सितम्बर से दो अक्टूबर तक खुद गाड़ी चलाकर आठ हजार किमी की दूरी तय कर रहे हैं। यह रैली कन्याकुमारी, मदुरई, तिरूअनंतपुरम, त्रिची, पुदुचेरी, मैसूर, बैंगलूर, चेन्नई, विजयवाड़ा, हैदराबाद, मुम्बई, अहमदाबाद, इंदौर और भोपाल होते हुई 25 सितम्बर को लखनऊ पहुंची। यह रैली 16 राज्यों में 23 से अधिक जगहों पर समारोह करती हुई दो अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी।
पर्यावरण वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं की एक समिति एक सिफारिशी नीति पत्र तैयार करने में लगी है, जिसकी सलाह है कि नदियों को दोनों ओर एक किमी की दूरी तक पेड़ लगाए जाएं, सरकारी जमीन पर जंगल लगाना और खेती की जमीन पर फलों के पेड़ लगाना यह पक्का करेगा कि मिट्टी और हवा में मौजूद नमी से नदी में सालभर पानी बरकरार रहेगा।