नमक-रोटी कांडः पीसीआई ने मीरजापुर पुलिस की भूमिका को बताया क्रूर कदम
नमक रोटी कांड में बुधवार को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की प्रयागराज में सुनवाई के दौरान पुलिसिया कार्यप्रणाली की जमकर छीछालेदर हुई। परिषद के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने पुलिस अधिकारियों को बुरी तरह लताड़ते हुए पूछा कि अगर वे ऐसे ही संविधान का उल्लघंन करेंगे तो पत्रकार कैसे पत्रकारिता करेगा?
मीरजापुर: नमक रोटी कांड में बुधवार को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की प्रयागराज में सुनवाई के दौरान पुलिसिया कार्यप्रणाली की जमकर छीछालेदर हुई।
परिषद के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने पुलिस अधिकारियों को बुरी तरह लताड़ते हुए पूछा कि अगर वे ऐसे ही संविधान का उल्लघंन करेंगे तो पत्रकार कैसे पत्रकारिता करेगा?
नमक-रोटी कांड को उन्होंने क्रूर करार दिया और पुलिस अधिकारी को बुरी तरह डांटते हुए कहा–हंसिए मत, ये आपकी डिपार्टमेंटल इंक्वायरी नहीं है!
जनसंदेश टाइम्स से जुड़े मीरजापुर के अहरौरा कस्बे के पत्रकार पवन जायसवाल ने इलाके के सिऊर गांव के प्राइमरी स्कूल में बच्चों को मिड डे मील में रोटी-नमक परोसे जाने की खबर प्रकाशित की थी।
कई शिक्षकों के खिलाफ हुई कार्रवाई
प्रशासन ने इस घटना को गंभीर मानते हुए शिक्षा विभाग के कई शिक्षकों को दोषी मानते हुए सख्त कार्रवाई की। एक हफ्ते बाद पत्रकार के खिलाफ षड्यंत्र का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इस मामले की सुनवाई इंडियन प्रेस काउंसिल में बुधवार को लगी थी।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद काउंसिल के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रमौली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एएन मुल्ला की उस पुरानी टिप्पणी को याद दिलाई जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में पुलिस बल अपराधियों का एक व्यवस्थित गिरोह है।
उन्होंने मीरजापुर के पुलिस अधिकारी अजय सिंह से पूछा कि जब वे अस्पताल जाते हैं और डॉक्टर उनके साथ खराब व्यवहार करता है तो उन्हें कैसा लगता है? ऐसा कहते हुए उन्होंने पत्रकार की मनोदशा की बात की कि उसके ऊपर क्या गुजर रही होगी, जिसे झूठे मामले में फंसा दिया गया।
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पत्रकार ने नमक-रोटी की खबर दिखाकर प्रशासन को आगाह किया
जस्टिस चंद्रमौली प्रसाद ने कहा कि मीरजापुर के नमक रोटी प्रकरण में पत्रकार का उत्पीड़न करने के मामले में दुनिया भर से उनके पास चिट्ठियां आ रही हैं। ऐसे लोगों के पत्र मिल रहे हैं जिन्हें वो जानते तक नहीं।
उन्होंने कहा कि पत्रकार पवन जायसवाल ने नमक-रोटी की खबर दिखाकर प्रशासन और समाज को आगाह किया। समूचे समाज को सतर्क किया कि देखिए, इतनी कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद बच्चों को नमक रोटी खाना पड़ रहा है।
मीरजापुर के डीएम को इस खबर की तारीफ करनी चाहिए थी। उल्टे आप लोगों ने पत्रकार को झूठे साजिश के केस में फंसा दिया। इस तरह तो कोई भी पत्रकार तो पत्रकारिता ही नहीं कर पाएगा।
उन्होंने फर्जी पत्रकार के खिलाफ जांच किए बगैर रिपोर्ट दर्ज करने और कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मीरजापुर के अपर पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया।
पीसीआई के अध्यक्षने इस बात पर भी क्षोभ व्यक्त किया कि जिस व्यक्ति ने पत्रकार को सूचना देकर खबर के लिए बुलाया, उसको भी षड्यंत्र में फंसा दिया गया।
उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। पीसीआई के सदस्यों की बैठक कर इस मामले में पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे। पवन को किसने और किस तरीके से परेशान किया उसकी क्षतिपूर्ति करने का भी उन्होंने आश्वासन दिया।
पीसीआई के समक्ष मीरजापुर के पुलिस अफसर अजय सिंह ने बार-बार सफाई पेश की कि पत्रकार पवन जायसवाल को पुलिस जांच में निर्दोष साबित कर चुकी है। उन्होंने कोई जुर्म नहीं किया है। पुलिस इसकी रिपोर्ट जल्द ही कोर्ट में पेश कर देगी।
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने पत्रकार को प्रताड़ित नहीं किया। इस पर पीसीआई ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई और कहा कि पुलिस को अपना रवैया बदलना होगा।
क्या था ये मामला
उल्लेखनीय है कि नमक-रोटी कांड के के नाम से चर्चित इस घटना के बाद रिपोर्टर पवन जायसवाल के खिलाफ पुलिस ने केस दायर किया था, जिसके बाद यह मामला सुर्ख़ियों में आ गया।
नमक रोटी कांड में पीसीआई की सुनवाई के दौरान जनसंदेश टाइम्स के समाचार संपादक विजय विनीत अपने पत्रकार पवन और अधिवक्ता रणविजय सिंह के साथ मौजूद थे।
पीसीआई ने बुधवार को साफ कर दिया कि नमक रोटी मामले में पत्र और पत्रकार ने कुव्यवस्था को उजागर किया। कोई षड्यंत्र नहीं रचा और न ही किसी को बदनाम किया।
उन्होंने कहा कि ‘नमक और रोटी’ की सत्यता की गहन जांच होनी चाहिए और सही पाए जाने पर संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। नमक-रोटी कांड समेत कई संगीन मामलों को पीसीआई ने स्वतः संज्ञान लिया था।
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