सपाइयों के उत्पीड़न के विरोध में सपा का विधान सभा में हंगामा
विधान सभा में गुरूवार को विधायकों को पांच करोड़ के सड़क निर्माण प्रस्ताव पर विपक्ष ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। विपक्षी सदस्यों मोहम्मद आलम राइनी, त्रिवेणी राम, वीरेन्द्र यादव तथा संजय गर्ग द्वारा उठाए गए सवाल पर सत्ता और विपक्ष में बहस हुई और सदन की कार्यवाही को कई बार स्थगित करनी पड़ी।
लखनऊ: विधान सभा में गुरूवार को विधायकों को पांच करोड़ के सड़क निर्माण प्रस्ताव पर विपक्ष ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। विपक्षी सदस्यों मोहम्मद आलम राइनी, त्रिवेणी राम, वीरेन्द्र यादव तथा संजय गर्ग द्वारा उठाए गए सवाल पर सत्ता और विपक्ष में बहस हुई और सदन की कार्यवाही को कई बार स्थगित करनी पड़ी।
सदन में ही शून्यकाल के दौरान सपा सदस्यों ने आज फिर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के मसले को उठाया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि तीसरे दिन भी यह विषय उठाया जा रहा है जबकि सदन में एक बार कोई विषय आ जाता है तो उसे दोबारा नहीं लाया जाता है।
श्री खन्ना ने कहा कि प्रदेश में अराजकता को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। 2.20 पर सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सपा ने फिर अखिलेश यादव का मामला उठाया और सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए सदन से पूरे दिन के लिए वाकआउट किया। सपा के साथ ही बसपा के सदस्यों ने भी पूरे दिन के लिए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
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इससे पहले आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चैधरी ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न का मामला उठाना चाहा तो विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित ने नेता प्रतिपक्ष से आग्रह किया कि वह प्रश्नकाल के बाद इस मामले को सदन में उठाए तो उसे सुना जाएगा।
इस बीच ससंदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि विपक्ष लगातार सदन का समय खराब करने पर तुला हुआ है। सरकार किसी भी तरह से अराजकता को बर्दाश्त नहीं करेगी। इस पर नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चैधरी ने कहा कि विपक्ष की मंशा सदन चलाने की है। इसके पीठ के आग्रह पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य शांत हो गये।
प्रश्नकाल के दौरान बसपा सदस्य मोहम्मद असलम राईनी ने जानना चाहा कि राज्य सरकार ने पांच करोड़ की लागत से हर विधानसभा क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए जो धन आबंटित किया है उस कार्य में विपक्ष की उपेक्षा हो रहा है। सत्ता पक्ष के विधायकों के काम किए जा रहे है। इस पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिन सदस्यों के प्रस्ताव अब तक नहीं आए हैं वह अपने प्रस्ताव लिखकर दे सकते है। उन्होंने विपक्ष के इस आारोप को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि अब भेदभाव कही नहीं हो रहा है। भेदभाव करने वाली सरकार चली गयी है। इस सरकार में सबका साथ सबका विकास किया जा रहा है।
बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहाा कि यह बात सत्य है कि विपक्षी विधायकों के कामों की अन्देखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन विधायक के प्रस्ताव को निरस्त कर सांसद के प्रस्ताव को भेज दिया गया। इस दौरान सत्तारूढ दल के सहयोगी दल भारतीय समाज पार्टी सुहेलदेव के सदस्य त्रिवेणी राम ने कहा कि उनके क्षेत्र का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन उनके प्रस्ताव की भी अन्देखी की गयी। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों में नोकझोंक शुरू हो गयी।
सत्ता पक्ष के ही स्वतन्त्र प्रभार राज्यमंत्री उपेन्द्र तिवारी ने कहा कि मुलायम सिह सरकार के अलाव मायावती और अखिलेश सरकार में कभी विपक्षी दलों के सदस्यों को स्वीकार नहीं किया गया। बढ़ते हंगामे को देखकर सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। बाद में स्थगन को 10 मिनट और बढ़ा दिया गया। बाद में सदन की कार्यवाही जब प्रारम्भ हुई तो बसपा के सदस्य सुखदेव राजभर ने पीठ की गरिमा का मामला उठाते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के खडे़ होने पर किसी मंत्री द्वारा संवाद किया जाना अनुचित है।
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उपमुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य ने कहा कि भासपा सदस्य के विधानसभा क्षेत्र में 14 करोड़ 45 लाख के नए कार्यशुरू किए गए हैं। सपा के एक अन्य सदस्य पारसनाथ यादव ने सरकार पर आरोप लगाया कि पांच करोड के प्रस्ताव वाले कार्यो में जमकर धांधली की जा रही है।
शून्यकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चैधरी ने अखिलेश यादव समेत सपा के अन्य कार्यकर्ताओं के हुए उत्पीडन का मामला उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र में किसी पार्टी के अध्यक्ष को अगर कहीं रोका जाता है तो उसके दल के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन करना स्वाभाविक है। सामूहिक रूप से सपा कार्यकर्ताओं पर आपराधिक मुकदमें दर्ज किए गए। सरकार इन मुकदमों को वापस लेने का काम करें।
इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि सदन की परम्परा रही है कि एक मामले को बार बार सदन में नही लाया जाता लेकिन विपक्ष लगातार एक ही मामले को उठाकर सदन का समय खराब करने का काम कर रहा है। जहां तक अखिलेश यादव की बात है तो कुंभ जाने का उनका बहाना था। वह कुंभ के बहाने छात्रसंघ के कार्यक्रम में जाना चाहते थें लेकिन कालेज प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यहां छात्रों के दो गुटों में विरोध के चलते यहां की स्थिति खराब हो सकती है। इसलिए किसी भी नेता को यहां आने से रोका गया है।
इस पर समाजवादी पार्टी वेल में आकर हंगामा करने लगे। विधानसभाध्यक्ष के बार बार आग्रह के बाद भी सपा सदस्य कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थें। इस पर सदन की कार्यवाही 12ः45 बजे सदन की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित कर दीगयी। इसके बाद सदन का स्थगन 30 मिनट के लिए और बढ़ाया गया। सदन की कार्यवाही को 2ः20 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सपा और बसपा ने सदन से वाकआउट किया और स्पीकर ने विधानसभा के सभी विधायी कार्य निपटाते हुए सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।
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