लखनऊ : शिवसेना सांसद संजय राउत को गवाही के लिए समन जारी
अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने के आपराधिक मामले में सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने शिवसेना सांसद संजय राउत को गवाही के लिए समन जारी करने का आदेश दिया है। 14 जुलाई, 2918 को भी संजय राउत को गवाही के लिए समन जारी किया गया था।
लखनऊ : अयोध्या के विवादित ढांचा को ढ़हाए जाने के आपराधिक मामले में सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने शिवसेना सांसद संजय राउत को गवाही के लिए समन जारी करने का आदेश दिया है। 14 जुलाई, 2918 को भी संजय राउत को गवाही के लिए समन जारी किया गया था। लेकिन उस दिन समयाभाव के कारण सीबीआई उनकी गवाही दर्ज नहीं करा सकी थी। विशेष अदालत ने उनकी गवाही के लिए पांच मार्च की तारीख नियत की है।
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छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढंहाए जाने के मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज हुए थे। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। शेष 47 एफआईआर अलग अलग तारीखों पर अलग अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे। सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन अब 32 के खिलाफ मामले की सुनवाई हो रही है। क्योंकि 16 अभियुक्तों की मौत हो चुकी है। जबकि गर्वनर होने के नाते कल्याण सिंह के खिलाफ फिलहाल आरोप तय नहीं हो सका था।
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30 मई, 2017 को विशेष अदालत में आरोप तय होने के बाद इस मामले की सुनवाई रोजाना हो रही है। सीबीआई के विशेष वकील आरके यादव के मुताबिक अभियोजन की तरफ से अब तक कुल 330 गवाह पेश किए जा चुके हैं।
भू-उपयोग बदलने के मामले में रिवीजन अर्जी दाखिल
राजधानी के गोमतीनगर इलाके में नियमों के परे 28 भूखण्डों का भू-उपयोग बदलकर अपने चहेतों को आवंटित करने के एक कथित मामले में एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष बीबी सिंह, संयुक्त सचिव जेबी सिंह व रेखा गुप्ता समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे की मांग वाली अर्जी खारिज होने पर सत्र अदालत में रिवीजन अर्जी दाखिल की गई है। यह अर्जी विश्वनाथ चर्तुवेदी ने दाखिल की है।
22 दिसंबर, 2018 को निचली अदालत ने उनकी इस आशय की मांग वाली अर्जी खारिज कर दी थी। उन्होंने निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ रिवीजन अर्जी दाखिल की है।
सत्र अदालत ने उनकी इस रिवीजन अर्जी पर सभी 12 पक्षकारों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
उन्होंने निचली अदालत में अर्जी दाखिल कर यह आरोप लगाया था कि वर्ष 2005 में गोमतीनगर के विपुल खंड में 28 भूखण्डों का भू-उपयोग अर्बन बिल्डिंग एवं डेवलपमेंट एक्ट के प्रावधानों के विपरीत परिवर्तित किया गया। जिसका उद्देश्य शासन में उच्च श्रेणी के अधिकारियों एवं राजनैतिक पहुुंच वाले व्यक्तियों को अनियमित रुप से इन भूखण्डों को आवंटित करना था। इस कृत्य से एलडीए को करीब दो करोड़ 88 लाख की क्षति हुई।
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उन्होंने निचली अदालत में दाखिल अपनी अर्जी में एलडीए के तत्कालीन डाटा आपरेटर संजीव कुमार श्रीवास्तव, प्रोग्राम एनालिस्ट राघवेंद्र मिश्रा, चीफ टाउन प्लानर सीपी शर्मा, चीफ टाउन एवं कंट्रªी प्लानर अफसर शबीर खां, वित्त नियंत्रक डा. मोहन यादव, वरिष्ठ कास्ट एकाउंटेंट अनिवेश कुंवर, सचिव, केएल मीना, सम्पति अधिकारी केके सिंह व तत्कालीन सेक्शन आफीसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को भी विपक्षी पक्षकार बनाया था।
उनका यह भी आरोप था कि शासन स्तर से इस मामले की जांच भी हुई। 25 सितंबर, 2007 को तत्कालीन आयुक्त विजय शंकर पांडेय ने अपनी जांच रिपोर्ट में शासन को आवश्यक कार्यवाही व एफआईआर दर्ज कराने की भी अनुशंसा की थी। लेकिन संज्ञेय अपराध के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई। जनता का पैसा हड़पने वाले स्वतंत्र रुप से विचरण कर रहे हैं।