Sant Kabir Nagar News: तो क्या तिरंगे के नाम पर भी होता है खेल?
Sant Kabir Nagar News: हर घर तिरंगा अभियान में झंडे के भुगतान में भी था घांच पांच का मामला सामने आया है। ग्राम पंचायतों के भुगतान के बाद भी उधारी का रोना रोते हैं समूह।
Sant Kabir Nagar News: गजब का लोकतंत्र है, गजब की राष्ट्रभक्ति! जीरो टॉलरेंस पर तो चलती है अफसरशाही। इसका उदाहरण देखना हो तो नाथनगर ब्लॉक में बीते गणतंत्र दिवस के समय आयोजित हर घर तिरंगा अभियान के तहत खरीदे गए तिरंगे में हुए खेल की पड़ताल करिए। तत्कालीन पंचायत कार्यालय के निर्देश पर ग्राम पंचायतों ने 5 हजार तक का या तो फर्म पर या फिर नगदी पंचायत कार्यालय को भुगतान किया फिर भी झंडा सप्लाई करने वाले समूह आज भी अपनी उधारी का रोना रो रहे हैं।
सप्लाई करने वाले समूह को नहीं मिला पैसा
सवाल यह है कि अगर ग्राम पंचायतों ने झंडे की कीमत का भुगतान कर दिया तो सप्लाई करने वाले समूहों को पैसा क्यों नही मिला? उधारी के चलते ही आने वाले स्वतंत्रता दिवस के लिए उन समूहों ने शायद झंडा देने से मना भी कर दिया। सूत्रों की माने तो सोमवार तक नाथनगर में 32 हजार झंडों में से 12 हजार झंडे ब्लॉक पर डिलीवर होने थे लेकिन एक भी झंडा ब्लॉक मुख्यालय नही पहुंचा। ब्लॉक सूत्रों की माने तो राष्ट्रहित का मेडल लटका कर घूमने वाले कुछ राजनैतिक दल खुद एक तिरंगा भी नही खरीद पाते और ग्राम पंचायतों की निधि से खरीदे जाने वाले झंडों में 40 प्रतिशत अपनी हिस्सेदारी खोजते हैं।
पंचायतें दिलाती हैं लोकल कपड़े का झंडा
ग्रामीणों का दावा है कि उच्च गुणवत्ता का झंडा उपलब्ध कराने का दावा करने वाली ग्राम पंचायतें लोकल कपड़े के झंडे दिलवाती हैं जबकि भुगतान 20 से 25 रुपए प्रति झंडे की दर से भुगतान होता है। ग्रामीणों का यह आरोप एडीओ आईएसबी कार्यालय की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। राष्ट्रभक्ति, लोकतंत्र और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर तिरंगे झंडे की कसौटी को परख रही आवाम खुद की नियत से अपने घरों पर तिरंगा लगाकर सैल्यूट करने के लिए लालायित है। यही तो राष्ट्रीयता और लोकतंत्र की खूबसूरती है।