लखनऊ में सरस महोत्सव: महिलाओं के लिए गांवों में भी बनेगें केन्द्र - महेन्द्र सिंह

देश के राज्यमंत्री ग्राम्य विकास (स्वतंत्र प्रभार) तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने तथा आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए गांव स्तर पर केन्द्र बनाये जायेंगे ।

Update:2019-02-20 21:34 IST

लखनऊ: प्रदेश के राज्यमंत्री ग्राम्य विकास (स्वतंत्र प्रभार) तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा है कि ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने तथा आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए गांव स्तर पर केन्द्र बनाये जायेंगे । उन्होंने कहा कि महिला समूहों द्वारा उत्पादों की बेहतर ब्राण्डिग के माध्यम से हर महीने 15 से 20 हजार रुपये की आमदनी के लिए प्रयास किया जायेगा।

राज्यमंत्री आज ग्राम विकास विभाग की ओर से नदवा रोड स्थित झूलेलाल पार्क में आयोजित सरस महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह महोत्सव 14 फरवरी से शुरू होकर 23 फरवरी तक चलेगा। इस मेले में दूरदराज के ग्रामीण अंचलों की भारी संख्या में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं भाग ले रही हैं तथा 175 स्टालों के माध्यम से पूरे देशभर से आये उद्यमियों के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।

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डा0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं को यह सरस मेला बाजार से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही महिलाओं के उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में भी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि समूह से समृद्ध की ओर का संकल्प महिलाओं में नया आत्मविश्वास पैदा करने के साथ ही उन्हें कमाने का अच्छा अवसर प्रदान करेगा।

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उन्होंने कहा कि आजीविका मिशन महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के साथ ही उनके जीवन में बदलाव लाने का कार्य कर रहा है। वह अपने परिवार की देखभाल अच्छे ढंग से करने के साथ ही बच्चों की शिक्षा-दीक्षा तथा एक अच्छा जीवन देने में सफल हो रही है।

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ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी योजना ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला, सौभाग्य योजना आदि के माध्यम से सर्वाधिक महिलाओं को जोड़ा जा रहा है।

आजीविका मिशन के तहत प्रदेश के महिलाओं को उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कुम्हारी कला के अन्तर्गत मोटरचालित चाक से बर्तन बनाने, सोलर चर्खा, लिफाफा बनाना, सिलाई-कढ़ाई व वाहन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा डेयरी डेवलपमेन्ट बोर्ड और आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं जोड़कर डेयरी संचालित करने की योजना बनायी गयी है।

उन्होंने स्टालों पर जाकर हस्तशिल्प के सामानों को देखा और उत्पादकों से बातचीत की। केरल व राजस्थान के उत्पाद आकर्षण के केन्द्र रहे।

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