Sawan 2021: बहुत खास है ब्रज का मुड़िया पूर्णिमा मेला, इस बार रहेगा स्थगित

Sawan 2021: ब्रज में कोरोना काल के चलते मुड़िया पूर्णिमा मेला इस बार नहीं लग रहा है। गोवर्धन में लगने वाला यह मेला रद कर दिया गया है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shreya
Update: 2021-07-20 10:41 GMT

मुड़िया पूर्णिमा मेला (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Mudiya Purnima Mela: सावन (Sawan 2021) की बात आए ब्रज का जिक्र न आए कुछ अजीब सा लगता है। बिल्कुल सही ब्रज के लिए सावन का विशेष महत्व (Sawan Ka Mahatava) है। जहां राधारानी तो झूला झूलती ही हैं कृष्ण और दाऊ भी झूला झूलते हैं। ब्रज का झूलनोत्सव मशहूर है। आज 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो गया है। जिसमें कहते हैं कि सारे देवता सोने चले जाते हैं कोई शुभ काम नहीं होता लेकिन ब्रज की लीला निराली है।

कहते हैं अपने वयोवृद्थ माता पिता की तीर्थ करने की इच्छा पूरी करने के लिए कृष्ण भगवान ने सारे तीर्थों को ब्रज में बुला लिया था इसलिए सावन, भादों क्वांर कातिक में ब्रज में कुछ अलग ही धूम रहती है चाहे वह पांच कोसी परिक्रमा हो या 84 कोसी भक्तों को ब्रज की माटी बुलाने लगती है। इस बार कोरोना काल में पर्यटकों या तीर्थयात्रियों की आमद बेशक कम रहे लेकिन मंदिरों और घरों की छटा निराली ही रहेगी।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मुड़िया पूर्णिमा मेला स्थगित

सावन के महीने में मथुरा, गोवर्धन, वृंदावन, बरसाना, गोकुल अपनी अलौकिक आभा बिखेरने लगते हैं। ब्रज में कोरोना काल के चलते मुड़िया पूर्णिमा मेला इस बार नहीं लग रहा है। गोवर्धन में लगने वाला यह मेला रद कर दिया गया है। गोवर्धन की सीमाओं के आज 20 जुलाई से 24 जुलाई 2021 तक सील कर दिया गया है। श्रृद्धालुओं से अपील की गई है कि मुडिया पूर्णिमा मेला (गुरूपूर्णिमा मेला) पर ना जाएं एवं अपनी एवं अपने परिवार का कोविड-19 महामारी से बचाव करें।

संत सनातन गोस्वामी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गुरु पूर्णिमा ही मुड़िया पूर्णिमा है। गोवर्धन में मानसी गंगा स्थित चकलेश्वर महादेव मंदिर में बंगाल के संत सनातन गोस्वामी रहा करते थे। वो हमेशा सिर का मुंडन कराकर भगवान की भक्ति में लीन रहते थे। सिर का मुंडन होने की वजह से उन्हें लोग मुड़िया बाबा कहते थे। गुरु पूर्णिमा के दिन उन्होंने ब्रह्मलोक की प्राप्ति की।

तभी से उनके शिष्य अपना सिर का मुंडन कराकर मृदंग और झांझ बजाते हुए हरि कीर्तन करते हुए मानसी गंगा की परिक्रमा करते हैं। तभी से गोवर्धन में गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूनो कहना शुरू कर दिया। और इस परंपरा को देखने के लिए जब लोग आने लगे तो धीरे धीरे इसने मेले का स्वरूप ले लिया।

क्या है मान्यता?

मान्यता है कि सनातन जब वृद्ध हो गए, तो गिरिराज प्रभु ने उनको दर्शन देकर शिला ले जाकर परिक्रमा लगाने को कहा। मुड़िया संतों के अनुसार 1556 में सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन हो जाने के बाद गौड़ीय संत एवं ब्रजजनों ने सिर मुंडवाकर उनके पार्थिव शरीर के साथ सात कोसीय परिक्रमा लगाई। तभी से गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा। आज भी सनातन गोस्वामी के तिरोभाव महोत्सव पर गौड़ीय संत एवं भक्त सिर मुड़वाकर मानसीगंगा की परिक्रमा कर परंपरा का निर्वहन करते हैं।

मुड़िया मेला के दौरान भक्त परिक्रमा करने के बाद अपने आराध्य गिरिराज जी का दूध से अभिषेक करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। यहां के प्रमुख मंदिरों में शाम की बेला में फूल बंगला व छप्पन भोग के दर्शन होते हैं। इस मेले में लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ती है। जो शोभायात्रा को देखने आती है। लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते यह मेला भी स्धगित रहेगा।

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