SC के फैसले ने पटाखा व्यापारियों की दिवाली पर फेरा पानी, लाखों का नुकसान

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाली के दौरान दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक का सीधा असर शहर के फुटकर और थोक पटाखा व्यापरियों पर पड़ा है।

Update: 2017-10-09 14:11 GMT

नोएडा : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (09 अक्टूबर) को अपने फैसले में दिवाली के दौरान दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगाने वाले नवंबर 2016 के आदेश को बरकार रखते हुए यह फैसला सुनाया।

इसका सीधा असर शहर के फुटकर और थोक पटाखा व्यापरियों पर पड़ा है। दीवाली के मद्देनजर इन लोगों ने पटाखों की एडवांस बुकिंग कर ली थी। पेमेंट भी पूरा हो चुका था। लाइसेंस मिलते ही गोदाम से माल इनकी दुकानों पर पहुंचना था। लेकिन, कोर्ट के फैसले ने जिले में करीब साढ़े छह करोड़ के व्यापार पर पानी फेर दिया। व्यापारी इस फैसले से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है। वह भूख हड़ताल और प्रदर्शन कर पटाखा बिक्री पर लगी रोक को हटाने का प्रयास करेंगे।

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दीवाली की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। शहर में धनतेरस से सेक्टर-33 स्थित मैदान और ग्रेटर नोएडा में सेक्टर-36 रामलीला मैदान में पटाखे की दुकान लगती हैं। इसके लिए लाइसेंस प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। नोएडा में करीब 1,077 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इतने ही लोगों ने ग्रेटर नोएडा में भी आवेदन किया था। चालान से लेकर पुलिस वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। मंगलवार से लाइसेंस मिलने थे। लेकिन, प्रशासनिक अमले ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पटाखा व्यापरियों में आक्रोश है। इसका नजारा भी देखने को मिला। पटाखा व्यापारी एक जुट होकर सेक्टर-19 स्थित सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने पटाखा बिक्री पर रोक हटाने के लिए प्रदर्शन किया। हालांकि, सोमवार को प्रशासनिक अमले ने किसी की नहीं सुनी। मंगलवार को पटाखा व्यापारियों के साथ बैठक अहूत की जाएगी। जिसके बाद उनकी समस्या सुनी जाएगी।

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जिले में प्रतिवर्ष बिक जाते है साढे छह करोड़ के पटाखे

कोर्ट के फैसले के बाद पटाखा व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। थोक पटाखा व्यापारी अब्दुल सत्तार ने बताया कि वह हर साल पटाखे की दुकान सेक्टर-33 में लगाते हैं। अब तक 5 लाख रुपए का पटाखों का ऑर्डर दिया जा चुका है। पैसा भी जमा है। लाइसेंस मिलते ही गोदाम से माल उठाना था। यही हाल अन्य पटाखा व्यापारियों का भी है।

यहां करीब 100 दुकानें लगाई जाती हैं। सभी दुकानों पर 3 से 5 लाख का माल रहता था। इसी तरह फुटकर व्यापारी सलारपुर व अन्य बाजारों में पटाखे की दुकान लगाते हैं। उनका कहना है कि इस बार लाइसेंस नहीं मिला तो वह भूखे मर जाएंगे।

यही हाल ग्रेटर नोएडा का भी है। यहां रामलीला मैदान में सैकड़ों की संख्या में फुटकर दुकानें लगाई जाती हैं। लेकिन, लाइसेंस नहीं मिलने से बड़ा झटका लगा है।

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पटाखों के लिए बनाई जाएगी इंस्पेक्शन टीम

सिटी मजिस्ट्रेट एम के सिंह ने बताया कि कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। जितने भी आवेदन आए हैं किसी को भी लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। फुटकर और थोक कहीं भी पटाखों की बिक्री नहीं होने दी जाएगी। इसको लेकर दो दिनों में बैठक कर पूरी रणनीति तैयार की जाएगी। साथ ही एक इंस्पेक्शन टीम भी बनाई जाएगी। यह टीम बाजारों में औचक निरीक्षण करेगी। यदि दुकानों पर पटाखा बिकते हुए देखा गया तो नियम के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

30 प्रतिशत तक घटेगा प्रदूषण

दिवाली पर पटाखे जलाने से शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। पीएम 2.5 से लेकर जहरीली गैसों की मात्रा में भारी अंतर देखने को मिलता है। इस फैसले के बाद यदि पटाखे नहीं जलाए जाते हैं तो शहर में 30 प्रतिशत प्रदूषण में कमी आएगी। यह जानकारी प्रदूषण अधिकारी बीबी अवस्थी ने दी। उन्होंने बताया कि फैसला सराहनीय है। पटाखों से निकलने वाले धुंए से प्रदूषण बढ़ता है। जाहिर है कि फैसले पर अमल होता है तो प्रदूषण का स्तर काफी कम होगा।

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