आरक्षण मामले में SC/ST  संशोधित एक्‍ट का विरोध, सम्‍मेलन में दी हड़ताल की चेतावनी

Update: 2018-09-28 11:17 GMT

लखनऊ: पदोन्‍नति में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर व्‍यापक चर्चा में आ गया है। शुक्रवार को राजधानी में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के बैनर तले गन्‍ना संस्‍थान आडिटोरियम में पदोन्नति में आरक्षण और एससी- एसटी संशोधित एक्‍ट के विरोध में व्यापक जन आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं व आम लोगों के विशाल सम्मेलन में यह ऐलान किया गया कि पदोन्नति में आरक्षण लागू करने हेतु केन्द्र/राज्य सरकार की किसी भी एकतरफा कार्यवाही के विरोध में प्रदेश के तमाम अट्ठारह लाख कर्मचारी, अधिकारी व शिक्षक बिना और कोई नोटिस दिये लाइटनिंग हड़ताल शुरू कर देंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

संसद के शीतकालीन सत्र में होगी विशाल रैली

इस सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में विशाल रैली की जायेगी। रैली के पूर्व प्रदेश में जागरूकता रथ निकाला जायेगा और सभी जनपदों में आम सभा व प्रेस वार्ता कर केन्द्र/राज्य सरकार की नीति व नीयत का खुलासा किया जायेगा।

पीएम मोदी से किया हस्‍तक्षेप का अनुरोध

इस सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया गया कि व्यापक राष्ट्रीय हित में वे प्रभावी हस्तक्षेप करें। जिससे पदोन्नति में आरक्षण और एस सी/एस टी एक्ट के नाम पर सामाजिक समरसता में विष घोल रही घातक नीति को निर्मूल किया जा सके। सरकारी नौकरियों में ज्येष्ठता व श्रेष्ठता के सर्वमान्य सिद्धान्त का सम्मान व परिपालन सुनिश्चित किया जा सके और सामाजिक सद्भाव बनाये रखते हुए एक सशक्त भारत का निर्माण किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था फैसला

सम्‍मेलन के प्रस्ताव में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने 26 सितम्बर को दिये गये निर्णय में स्पष्ट कर दिया है कि एम नागराज निर्णय पुनर्विचार हेतु सात सदस्यीय पीठ को नहीं भेजा जायेगा और एस सी/एस टी कार्मिकों को पदोन्नति में आरक्षण देने के मामले में क्रीमीलेयर का सिद्धान्त लागू होगा अर्थात क्रीमीलेयर में आने वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कार्मिकों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि समुचित प्रतिनिधित्व एवं प्रशासनिक दक्षता के मामले में एम नागराज का निर्णय पूर्ववत लागू रहेगा।

प्रस्ताव में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की मनमानी व्याख्या कर यदि केन्द्र/प्रदेश सरकार पदोन्नति में आरक्षण लागू करने की कोशिश करेगी तो इसकी गम्भीर प्रतिक्रिया होगी।

सम्मेलन में केन्द्र सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के मामले में चार बार संविधान संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी करने की घोर निन्दा की गयी। सम्मेलन में एस सी/एस टी एक्ट पर 20 मार्च 2018 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय को पलटकर संशोधित एक्ट जारी करने की कार्यवाही को अलोकतांत्रिक करार दिया गया। सम्मेलन में संकल्प लिया गया कि ‘करो या मरो’ की भावना से केन्द्र सरकार के अलोकतांत्रिक कदमों का विरोध किया जायेगा।

ये रहे मौजूद

सम्मेलन के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एम सी द्विवेदी थे। पदोन्नति में आरक्षण एवं एस सी/एस टी संशोधित एक्ट के विरोध में लखनऊ के कई वरिष्ठ गणमान्य लोगों ने सम्मेलन में उपस्थित होकर आन्दोलन का समर्थन किया। समर्थन करने वालों में मुख्यतया एयर मार्शल आर के दीक्षित, पूर्व पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंह, पूर्व आयकर आयुक्त गिरीश नारायण पाण्डेय, आयुर्वेदाचार्य डा0 अजय दत्त शर्मा, वरिष्‍ठ पत्रकार सुशील दुबे, भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राम, आल इण्डिया मुस्लिम मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो वसीम सिद्दीकी सम्मिलित थे।

सम्मेलन में मध्यप्रदेश से डा के एस तोमार, राजस्थान से पाराशर नारायण शर्मा, कर्नाटक से एल रवि, आन्ध्र प्रदेश से के श्री निवास, तेलंगाना से सैय्यद नसीरूल हक, हरियाणा से बलबीर सिंह, उत्तराखण्ड से पी एल रतूड़ी, दिल्ली से संतोष राय, पंजाब से बलदेव शर्मा, छत्तीसगढ़ से ए पी सिंह और हिमाचल प्रदेश से भूतेश्वर चौहान ने मुख्यतया सम्मेलन को सम्बोधित किया।

सम्मेलन को समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे एवं अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ए ए फारूकी, एच एन पाण्डेय, राजीव सिंह, जी के मिश्रा, एस एस निरंजन, चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री, रीना त्रिपाठी, प्रेमा जोशी, निशा सिंह, राजीव श्रीवास्तव, कायम रजा रिजवी, असीम पाण्डेय, धनन्जय द्विवेदी, देवेन्द्र द्विवेदी, संतोष तिवारी, जयकेश त्रिपाठी, कमलेश मिश्र, रामराज दुबे, वाई एन उपाध्याय, नौशाद अली, राजेश अवस्थी, शिव प्रकाश दीक्षित, देवेन्द्र शुक्ल, बी एस गांधी, अनिल सिंह, अश्वनी उपाध्याय, सुधांशु मिश्र, त्रिवेणी मिश्र, पी के सिंह, मृत्युंजय तिवारी ने मुख्यतया सम्बोधित किया।

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