संघ से मुकाबले के लिए सेवादल को मजबूत करेगी कांग्रेस

Update:2018-06-15 15:17 IST

संजय तिवारी

लखनऊ : कभी कांग्रेस सेवादल जैसे संगठन से सीख लेकर स्थापित हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अब कांग्रेस को इतना चिंतित कर दिया है की कांग्रेस को अचानक अपने सेवादल की याद आ गयी है। उसे सेवादल का महत्व भी समझ में आ चुका है। संघ और कांग्रेस सेवादल के आपसी सम्बन्धों को बहुत कम लोग ही जानते हैं। संघ की स्थापना से एक वर्ष नौ महीने पूर्व एक जनवरी 1924 को कांग्रेस सेवादल की स्थापना की गयी थी। इसके संस्थापक नारायण सुब्बाराव हार्डिकर थे। सेवादल के बाद 27 सितम्बर 1925 को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अस्तित्व में आया था। इसके संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार थे। अब कांग्रेस पार्टी ने अपने इस पुराने संगठन के विस्तार की योजना भी बना ली है।

सहपाठी थे संघ और सेवादल के संस्थापक

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर क्लास फेलो थे। शुरुआती दिनों में साथ-साथ सक्रिय थे। लेकिन, हार्डिकर पर गांधीजी का प्रभाव था तो हेडगेवार 'हिंदू राष्ट्र' का सपना देख रहे थे। डॉ. हेडगेवार ने अपना अलग रास्ता बनाते हुए संघ का गठन किया। वे हिंदू महासभा से जुड़े हुए थे और जब तक जीवित रहे संघ हिंदू महासभा के यूथ विंग की तरह की काम करता रहा। जबकि, सेवादल ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ संघर्ष के रास्ते पर बढ़ता चला गया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सुभाषचंद्र बोस से लेकर क्रांतिकारी राजगुरू तक इसके पदाधिकारी रहे।

कांग्रेस से ज़्यादा सेवादल से घबराते थे अंग्रेज

ख़ान अब्दुल गफ्फ़़ार ख़ान के संगठन लाल कुर्ती का विलय भी सेवादल में करा दिया गया था। आज़ादी के आंदोलन में सेवादल की भूमिका का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि 1931 में सेवादल का स्वतंत्र स्वरूप ख़त्म करते हुए इसे कांग्रेस का हिस्सा बना दिया गया। ऐसा सरदार बल्लभ भाई पटेल की सिफ़ारिश पर किया गया, जिसमें उन्होंने गांधीजी से कहा था कि 'यदि सेवादल को स्वतंत्र छोड़ दिया गया तो वह हम सबको लील जाएगा।

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इसके एक साल बाद ही अंग्रेज़ों ने 1932 में कांग्रेस और सेवादल पर प्रतिबंध लगा दिया। बाद में कांग्रेस से तो प्रतिबंध हटा पर हिंदुस्तानी सेवादल से नहीं। आज़ादी के बाद सेवादल के पास अपना कोई लक्ष्य नहीं रहा। कांग्रेस में यह उपेक्षित हो गया और पिछली पंक्ति में बैठा दिया गया. जबकि, संघ अपने हिंदू राष्ट्र के सपने को साकार करने की दिशा में कछुआ गति से आगे बढ़ता रहा। ऐसे समय जब शिद्दत से यह महसूस किया जा रहा है कि कांग्रेस अपनी जड़ों से उखड़ गई है और अन्य पार्टियां भी यह महसूस कर रही हैं कि संघ के जैसा ही कैडर आधारित संगठन मुक़ाबले के लिए ज़रूरी है, सेवादल का इतिहास उसे रास्ता दिखा सकता है।

ऐसे हुई सेवादल की स्थापना

1921 में हार्डिकर और उनके मित्रों की राष्ट्र सेवा मंडल ने जब अंग्रेजों से माफ़ी मांगने से मना कर दिया तो उनपर कांग्रेस के बड़े नेताओं की निगाह गई। तभी यह सोचा गया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण की ज़रूरत है। नागपुर सेंट्रल जेल में उन्होंने एक ऐसा संगठन बनाने का निश्चय किया जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर उनमें फ़ौजी अनुशासन और लडऩे का माद्दा पैदा कर सके। हार्डिकर जेल से बाहर आने के बाद इलाहाबाद जाकर नेहरू जी से मिले और सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले लड़ाका संगठन की स्थापना पर चर्चा हुई। इसके बाद 1923 में कर्नाटक में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में सरोजनी नायडू ने हिंदुस्तानी सेवादल बनाने का प्रस्ताव रखा। इसके पहले चेयरमैन नेहरू बनाए गए. इसी संगठन को बाद में कांग्रेस सेवादल के रूप में जाना गया।

कांग्रेस जब-जब परेशानी में रही है, सेवादल के सिपाही आगे आते रहे हैं। अब जब कि संघ कांग्रेस मुक्त भारत की तरफ कदम बढ़ा चुका है तब इस संगठन की याद आ गयी है। खबर है कि महीने के आखिरी रविवार को संघ की तर्ज पर सेवा दल के स्वयंसेवक देशभर में 1 हजार शहरों में ध्वज वंदना कार्यक्रम आयोजित करेंगे। इस दौरान राष्ट्रवाद को लेकर महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के सिद्धांतों पर चर्चा होगी।

सेवा के मेकओवर की इस योजना पर राहुल गांधी की मुहर लगना बाकी है। सेवा दल के वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि संगठन को दोबारा सक्रिय करने के लिए योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। सेवा दल के मुख्य आयोजक लालजी भाई देसाई ने कहा- कुछ सालों से सेवा दल पहले की तरह सक्रिय नहीं है और हमें कांग्रेस के कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपने से भी किनारा किया गया। हम संगठन को फिर मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। सेवा दल को दोबारा खड़ा कर देश सेवा में पार्टी का सहयोग करेंगे। लालजी देसाई ने बताया कि अगले 3 महीने तक देशभर में सेवा दल के ट्रेनिंग कैंप लगाए जाएंगे। पहला कैंप 11 जून से मणिपुर में शुरू होगा, जिसमें सेवा दल के स्वयंसेवक और पूर्वोत्तर में कांग्रेस के पदाधिकारी शामिल होंगे। देसाई के मुताबिक, फिलहाल देश के 700 जिले और शहरों में सेवा दल की ईकाई सक्रिय हैं। यहां हमारे स्वयंसेवकों की संख्या 20 से 200 तक है। लोगों को जोडऩे के साथ सेवा दल की एक युवा ईकाई भी शुरू करने की योजना है।

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