पीजीआई में देश-विदेश के तीन हजार हृदय रोग विशेषज्ञ करेंगे शिरकत

नेशनल कार्डियोलाॅजी सोसाइटी ऑफ इण्डिया के उत्तर प्रदेश चैप्टर द्वारा इस वर्ष नेशनल इण्टरवेंशनल काउंसिल कार्डियोलॉजी का वार्षिक अधिवेशन 05 अप्रैल से 07 अप्रैल तक संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित किया जा रहा है। यह हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए प्रतिष्ठित एवं सम्माननीय सम्मेलन के रूप में माना जाता है। यह प्रतिवर्ष अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन में देश विदेश के ​ह्रदय रोग विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।

Update:2019-04-03 20:01 IST

लखनऊ: नेशनल कार्डियोलाॅजी सोसाइटी ऑफ इण्डिया के उत्तर प्रदेश चैप्टर द्वारा इस वर्ष नेशनल इण्टरवेंशनल काउंसिल कार्डियोलॉजी का वार्षिक अधिवेशन 05 अप्रैल से 07 अप्रैल तक संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित किया जा रहा है। यह हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए प्रतिष्ठित एवं सम्माननीय सम्मेलन के रूप में माना जाता है। यह प्रतिवर्ष अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन में देश विदेश के ​ह्रदय रोग विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।

सम्मेलन में यूरोप, यूएसए, जापान, सिंगापुर, साउथ कोरिया, इण्डोनेशिया, आस्ट्रेलिया के हृदय विशेषज्ञ एकत्र होते हैं तथा हृदय रोग के नवीनतम उपचार एवं निदान की विधियों पर विचार-विमर्श एवं ज्ञान का आदान-प्रदान करते हैं। इस बार भी प्रतिष्ठित विशेषज्ञ तथा उभरते हुए कार्डियोलाॅजिस्ट इस सम्मेलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। 3000 से अधिक इण्टरवेंशनल हृदय रोग विशेषज्ञ सदस्य हैं।

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यह उच्च स्तरीय हृदय रोग सम्मेलन विभिन्न शैक्षिक सत्रों में आयोजित किये गये हैं। इसमें नवीनतम व आधुनिक इण्टरवेंशनल कार्डियोलाॅजी में तकनीक व उपचार विषयों पर विचार विमर्श, व्याख्यान, वाद-विवाद तथा इण्टरएक्टिव कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। विभिन्न केस स्टडीज भी प्रस्तुत किये जायेंगे।

पीजीआई के निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने बताया कि पीजीआई का कार्डियोलाॅजी विभाग शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान तथा रोगी सेवा में देश के सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विभागों में से एक है। यह विभाग इन्वेजिव इण्टरवेंशनल कार्डियोलाॅजी में हृदय रोग के मरीजों के लिए समस्त सुविधाएं उपलब्ध हैं तथा यहां न केवल उत्तर प्रदेश से बल्कि बिहार एवं छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश से भी मरीज आते हैं। साथ ही साथ भारत के पड़ोसी देश नेपाल, भूटान व बांग्ला देश से भी मरीज बराबर अपना इलाज कराने आते हैं।

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