Shahjahanpur News: कोरोना से हुई पिता की मौत, फुटपाथ पर शर्ट बेचकर घर का खर्च चला रही 10 साल की बच्ची

Shahjahanpur News: यूपी के शाहजहांपुर में 10 साल की बच्ची के सिर से पिता का साया छिन गया तो वह परिवार का पेट पालने के लिए सड़क किनारे पिता की बनाई हुईं कमीजें बेच रही है।

Newstrack :  Network
Published By :  Ashiki
Update:2021-06-19 07:54 IST

 फुटपाथ पर शर्ट बेच रही बच्ची (फोटो- सोशल मीडिया)

Shahjahanpur News: कोरोना महामारी (Coronavirus) की दूसरी लहर ने कई परिवारों को ऐसे दुख दिए हैं, जिन्हें वो जिंदगी भर भुला नहीं पाएंगे। कुछ ऐसी ही कहानी है शाहजहांपुर (Shahjahanpur) की 10 साल की बच्ची की, कोरोना ने जिसके सिर से पिता का साया छीन लिया। पिता की मौत के बाद अब वह बच्ची परिवार का पेट पालने के लिए सड़क किनारे पिता की बनाई हुईं कमीजें बेच रही है।

कोरोना संक्रमण ने ली पिता की जान

देश में जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी तभी यूपी के शाहजहांपुर के खिरनी बाग मोहल्ले में रहने वाले प्रदीप कुमार (45) अप्रैल में कोरोना संक्रमित हो गए थे। उन्हें तीन दिन तक तेज बुखार आया, फिर उन्होंने कोरोना परीक्षण कराया, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। तब उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया, जहां इलाज के दौरान 30 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।

शर्ट बनाने थे माही के पिता

कोरोना की वजह से पिता को खोने वाली मासूम बच्ची माही (Mahi) ने बताया कि उसके पापा रेडीमेड शर्ट बनाकर दुकानदारों को बेचने का कारोबार करते थे। घर पर चार सिलाई मशीनें लगी हैं। उन पर कारीगर काम करते थे। पापा की मौत के बाद अब कारीगर भी नहीं आते हैं। माही ने बताया, 'पिता की मौत के बाद घर पर खाने पीने की भी दिक्कत हो रही है। दादा राजकुमार 70 वर्ष के है, उन्हें बीमारियों ने जकड़ रखा है। वह हमेशा बीमार रहते हैं। दादा के अलावा घर में बूढ़ी दादी और मां हैं।'

माही (Photo-social media)

फुटपाथ पर रेडीमेड शर्ट बेच रही बेटी

पिता की मौत के बाद माही ने पापा का कारोबार संभाल लिया और घर में बनी रखी कुछ रेडीमेड शर्ट को फुटपाथ पर ले जा कर बेचने लगी। माही ने बताया कि उसके पापा उसके लिए रोजाना पेस्ट्री या आइसक्रीम लाते थे। शायद उसके पापा को आभास हो गया था कि अब वह नहीं बचेंगे, इसलिए मरने से पहले भी उन्होंने अपनी बेटी को आइसक्रीम और पेस्ट्री मंगाकर खिलाई थी। वह रूआंसी आवाज में कहती है, 'अब कौन पेस्ट्री और आइसक्रीम लाएगा। पापा के जाने के बाद उसका घर ही बिखर गया है। अकेले में पापा की बहुत याद आती है। बताया जा रहा है कि कुछ समाजसेवियों ने इस परिवार की बिजली का बिल चुकाने और अन्य तरीके से मदद की है।

DM बोले- परिवार को मिलेगी आर्थिक मदद

वहीं जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है। जिले में ऐसे लोगों का विवरण इकट्ठा किया जा रहा है। जो बच्चे अनाथ हो गए हैं या जिनके घर में कमाऊ व्यक्ति की मौत हो गई है। उन्हें 18 वर्ष की आयु तक चार हजार रूपये प्रति माह शासन की ओर से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पैसा बच्चों के अभिभावक को मिलेगा।

बच्ची का स्कूल में कराया जाएगा एडमिशन

जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि इसके लिए एक टीम काम कर रही है। इस महीने 25 जून तक ऐसे जो भी प्रकरण आ जाएंगे, उनका निस्तारण कर दिया जाएगा। साथ ही अधिकारी ने बताया कि जो बच्चे पढ़ रहे हैं, उन्हें सरकारी स्कूल, कस्तूरबा स्कूल आदि में दाखिले की भी व्यवस्था की जाएगी। 

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