मारूफ खान के फूलों से महकेगा बाबा बद्री विशाल का भवन, देश भर में बनाया नाम

आपको बता दें कि जनपद शामली के गढीपुख्ता कस्बे के मौहल्ला बिलौचियान निवासी युवा किसान मारूफ आलम खान अपनी पैतृक जमीन पर फूलों की खेती करते चले आ रहे हैं।

Update: 2021-03-17 09:27 GMT
शामली: मारूफ खान के फूलों से महकेगा बाबा बद्री विशाल का भवन, पूरे देश में कमा रहे नाम (PC: social media)

शामली: बाबा बद्रीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलने वाले हैं और इस बार बाबा बद्री विशाल का भवन शामली के मारूफ खान के फूलों से महकेगा शामली के प्रगतिशील किसान मारूफ आलम खान अपनी फूलों की खेती से पूरे देश में नाम कमा रहे हैं। किसान का कहना है उनकी इच्छा है कि क्षेत्र के युवा भी फूलों की खेती कर देश का नाम देश और दुनिया में रोशन करें। मारूफ खान के फूल राष्ट्रपति भवन व संसद भवन में भी अपनी शोभा बढ़ा रहे हैं प्रगतिशील किसान को सांसद प्रदीप चैधरी व डीएम जसजीत कौर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।

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90 बीघा भूमि है जिसमें से 62 बीघा जमीन पर फूलों की खेती की जा रही है

आपको बता दें कि जनपद शामली के गढीपुख्ता कस्बे के मौहल्ला बिलौचियान निवासी युवा किसान मारूफ आलम खान अपनी पैतृक जमीन पर फूलों की खेती करते चले आ रहे हैं। मारूफ खान ने बताया कि वह पिछले करीब 21 सालों से रजनीगंधा व ग्लेडियोलस लोकल और मल्टीकलर फूलों की खेती कर रहे हैं। उनके पास 90 बीघा भूमि है जिसमें से 62 बीघा जमीन पर फूलों की खेती की जा रही है।

shamli (PC: social media)

उन्होंने हालैंड़ से ग्लाइड प्लस का बीज लाकर खेती की शुरूआत की

उन्होंने हालैंड़ से ग्लाइड प्लस का बीज लाकर खेती की शुरूआत की। शुरू-शुरू में उन्हें परेशानियों का सामना करना पडा लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, आखिरकार उनकी मेहनत रंग लायी और उनके खेत फूलों से खिल उठे। मारूफ खान ने बताया कि वे दिल्ली की गाजीपुर मंड़ी में अपने फूल लेकर जाते हैं जहां उन्हें फूलों के बड़े किसान के रूप में पहचान मिली।

मार्च माह में रजनीगंधा का बीज डाला जाता है

उन्होंने बताया कि मार्च माह में रजनीगंधा का बीज डाला जाता है जबकि ग्लेडियोलस का बीज जुलाई माह में डाला जाता है। रजनीगंधा का फूल पूरे साल चलता रहता है, इसका बीज मात्र एक रुपया में पडता है और इसकी प्रति बीघा में लागत करीब 12 हजार रुपये आती है। वहीं विदेशी फूल ग्लेडियोलस की कीमत 2 रुपये प्रति बीज है जिसकी लागत लगभग 24 हजार रुपये आती है, उन्हें प्रति बीघा एक से डेढ़ लाख रुपये तक आमदनी हो जाती है। मंड़ी में इन फूलों के बंडल बनाकर भेजे जाते हैं जहां उन्हें 300 रुपये प्रति बंडल के हिसाब से भुगतान मिलता है।

इन दोनों फूलों की किस्मों की देहरादून, चंडीगढ, पटियाला में बहुत ज्यादा मांग है

इन दोनों फूलों की किस्मों की देहरादून, चंडीगढ, पटियाला में बहुत ज्यादा मांग है। उनके द्वारा उगाए गए फूल राष्ट्रपति भवन व संसद भवन में भी सजाए जाते हैं। शादी, विवाह, पार्टी के अलावा कोई अन्य कार्यक्रम हों, इन फूलों से बने बुके ही भेंट किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि 24 जनवरी को शामली में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें सांसद प्रदीप चैधरी व डीएम जसजीत कौर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। मारूफ खान कहते हैं उनकी इच्छा है कि क्षेत्र के युवा भी फूलों की खेती की ओर अग्रसर होकर अपने देश का नाम विदेशों में भी रोशन करे।

उन्हें शुरू से ही फूलों से बहुत इश्क है और वह घर में फूल लगाया करते थे

मारूफ खान ने बताया कि उन्हें शुरू से ही फूलों से बहुत इश्क है और वह घर में फूल लगाया करते थे एक रोज मुजफ्फरनगर में प्रदर्शनी मेला लगा हुआ था जहां पर वह अपने फूलों को लेकर गए तो वहां पर लोगों ने उनके फूलों की काफी सराहना की और उन्हें सलाह दी कि बिजनेस के तौर पर भी फूलों की खेती अगर आप करें तो अच्छा होगा। वही दिन मारूफ खान की जिंदगी का प्रेरणादाई दिन बन गया और लोगों की सलाह से प्रेरणा लेते हुए वह फूलों की खेती करने लगे।

shamli (PC: social media)

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हमारा क्षेत्र गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है लेकिन वे उसके बावजूद फूलों की खेती करते हैं

मारूफ खान का कहना है कि हमारा क्षेत्र गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है लेकिन वे उसके बावजूद फूलों की खेती करते हैं क्योंकि गन्ने की फसल साल भर में महज 15000 बीघा लगभग देती है और उसका पैसा भी 1 साल बाद मिलता है लेकिन फूलों की खेती से वह फूल बेचकर हार्ड केस पैसा ले लेते हैं। इतना ही नहीं मारूफ खान द्वारा फूल की खेती किए जाने पर उन्होंने बताया कि वह करीब 25 से 30 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं जो कि उनके फूलों की निराई गुड़ाई और मंडी में फूल बेचने जाना फूलों का बंडल बनाना आदि काम में लगे रहते हैं।

रिपोर्ट- पंकज प्रजापति

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