शांतनु नायडू कौन है जिसे ख़ुद रतन टाटा ने फ़ोन कर के पूछा कि 'मेरे असिस्टेंट बनोगे'?
अमित कुमार
मुंबई। ये शांतनु नायडू हैं। मुंबई के रहने वाले 27 वर्षीय शांतनु वही शख़्स हैं जिन्हें ख़ुद रतन टाटा ने फ़ोन कर अपना असिस्टेंट बनने का ऑफ़र दिया था। कुछ साल पहले तक शांतनु नायडू स्ट्रीट डॉग्स के लिए काम किया करते थे। आज वो देश के जाने माने उद्योगपति रतन टाटा की आंखों के तारे बन चुके हैं।
शांतनु के काम से रतन टाटा हुए प्रभावित
शांतनु बताते हैं कि रतन टाटा जी से मेरी मुलाकात 5 साल पहले हुई थी। 5 साल पहले मैं सड़कों पर आवारा कुत्तों की मौत से बेहद दुखी था। आवारा कुत्तों को इस तरह मरने से बचाने के लिए मैंने कुत्तों के गले में रिफ़्लेक्टर लगे हुए कॉलर्स लगाने शुरू किए। जिससे कि तेज रफ़्तार से आ रही गाड़ियों के ड्राईवर को दूर से ही सड़क पर कुत्तों के होने की जानकारी मिल सके। मेरा ये आइडिया तेज़ी से फ़ैल गया। मेरी स्टोरी टाटा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के 'न्यूज लेटर' में भी छपी थी। इसके बाद मैंने अपने पिता के कहने पर रतन टाटा को एक चिट्ठी लिखी। करीब दो महीने के बाद मुझे इस चिट्ठी का जवाब मिला। ख़ुशी की बात ये थी कि ख़ुद रतन टाटा ने मुझे मिलने के लिए बुलाया था। इसके बाद मैं रतन टाटा से मिलने उनके मुंबई स्थित दफ़्तर पहुंचा। मुलाकात के दौरान रतन टाटा ने मुझसे कहा कि वो मेरे काम से काफ़ी प्रभावित हैं। इसके बाद वो मुझे अपने कुत्तों से मिलवाने अपने घर भी ले गए। साथ ही उन्होंने मेरे इस काम के लिए फ़ंड देने की बात भी कही।
शांतनु रतन टाटा ट्रस्ट के लिए कर रहे हैं काम
शांतनु ने बताया कि जब मैं विदेश से अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी कर भारत लौटा तो एक दिन मेरे पास रतन टाटा का कॉल आया। इस दौरान उन्होंने मुझसे कहा कि 'मुझे ऑफ़िस में बहुत काम होता है। क्या तुम मेरे असिस्टेंट बनोगे? पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि ख़ुद रतन टाटा मुझे अपने साथ काम करने का ऑफ़र दे रहे हैं। इसके बाद मैंने बिना सोचे तुरंत हां कह दिया।
शांतनु पिछले 18 महीनों से रतन टाटा ट्रस्ट के लिए काम कर रहे हैं। दरअसल, शांतनु ने हाल ही में रतन टाटा के कंधों पर हाथ रखी अपनी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर कर दी थी। इसके बाद हर कोई उनके बारे में जानना चाहता था कि वो हैं कौन?