Shivpal Yadav: "जिनको सम्मान नहीं मिल रहा है, उन सबको इकट्ठा करेंगे" शिवपाल के बदल सियासी तेवर

Shivpal Yadav: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार के बाद शिवपाल सिंह यादव मीडिया के सामने आए और भविष्य की रणनीति पर इशारों में काफी कुछ कह दिया।

Update:2022-10-12 19:20 IST

जिनको सम्मान नहीं मिल रहा है, उन सबको इकट्ठा करेंगे" मुलायम के अंतिम संस्कार के बाद शिवपाल के सियासी संकेत

Shivpal Yadav:  हिंदी पट्टी में देश की सबसे बड़ी और ताकतवर क्षेत्रीय पार्टी सपा की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव के जाने के बाद अब सबकी नजरें उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव पर टिकी हैं। सपा को एक प्रभावी राजनीतिक ताकत के तौर पर स्थापित करने में शिवपाल ने अपने बड़े भाई मुलायम का हर कदम पर साथ दिया। हालांकि, उनके जीते जी जसवंतनगर सीट से विधायक शिवपाल को अपने खून-पसीने से सींची हुई पार्टी को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार के बाद बुधवार को प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव मीडिया के सामने आए और भविष्य की रणनीति पर इशारों में काफी कुछ कह दिया। पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में शिवपाल ने कहा, हमारे साथ जो लोग जुड़े हुए हैं, जितने भी लोग हमारे साथ जुड़े हैं, जिनको सम्मान नहीं मिल रहा है, जिनको कोई पूछ नहीं रहा है। उन सबको इकट्ठा कर उनकी राय से कोई फैसला करेंगे।

मुलायम को याद कर भावुक हुए शिवपाल

पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव अपने बड़े भाई और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को याद कर मीडिया के सामने भावुक हो गए। शिवपाल ने कहा कि उन्होंने जीवनभर नेताजी की बात मानी है। बचपन के दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि नेताजी ने मुझे पढ़ाया है, मुझे साइकिल पर बैठाकर स्कूल भी ले जाया करते थे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कहा कि हर मोर्चे पर, हर मौके पर, आजतक हमने जो भी फैसले लिए हैं, वह नेताजी के कहने पर ही लिए हैं।

हमने कभी भी नेताजी के किसी भी बात को टाला नहीं है। शिवपाल सिंह यादव ने कहा, नेताजी हमारे पिता समान थे। बचपन से लेकर अब तक जितनी भी सेवा कर सकते थे, हमने उनकी सेवा की है। आज हमारे मन का संसार सिकुड़ा सा लगता है। वो आज हमारे बीच नहीं हैं।

बता दें कि चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव के बीच साल 2017 के सियासी एपिसोड के बाद से ही रिश्तों में खटास है। साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों के बीच थोड़ी कड़वाहट कम होती नजर आई थी, जब शिवपाल सपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरने पर राजी दिखे और साथ ही अखिलेश को नेता भी मान लिया था। लेकिन विधानसभा चुनाव में सपा के शिकस्त खाने के बाद एकबार फिर चाचा – भतीजे के रिश्तों में काफी खटास आ चुकी है।

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