CMO Murder Case: बहुचर्चित सीएमओ हत्याकांड में शूटर आनंद प्रकाश दोषी करार, दो आरोपी बरी

CMO Murder Case: बहुचर्चित सीएमओ हत्याकांड में शूटर को दोषी करार दिया गया है। वहीं साक्ष्यों के अभाव में दो आरोपियों को बरी कर दिया गया।

Newstrack :  Network
Update: 2024-06-29 04:24 GMT

CMO Murder Case (Pic: Social Media)

CMO Murder Case: बहुचर्चित सीएमओ डा. विनोद आर्या और डा. ब्रम्हा प्रसाद सिंह हत्याकांड में शुक्रवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। हत्याकांड की सुनवाई विशेष न्यायधीश अनुरोध मिश्रा ने की। अपने फैसले में उन्होंने शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार दिया। वहीं, सबूत न होने के कारण आरोपी विनोद शर्मा और राम कृष्ण वर्मा को बाइज्जत बरी कर दिया गया है। शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार देने के बाद अब दो जुलाई को सजा सुनाई जाएगी। विनोद शर्मा और राम कृष्ण वर्मा पर आरोप तय नहीं हो सके। दोनों के खिलाफ सबूत न होने के कारण उन्हें आदलत ने बरी कर दिया है। 

इस आधार पर सिद्ध हुआ दोष

शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार देने के पुख्ता सबूत मिले हैं। दोषी के पास से हत्या में प्रयुक्त पिस्टल बरामद की गई थी। साथ ही गोलीबारी के बाद मौके से कारतूस भी बरामद किया गया था। सच्चाई को जानने के लिए मौके से बरामद कारतूस के खोखों को वि उसे और मौके से बरामद कारतूस के खोखों को विधि विज्ञान प्रयोगशाला में बैलेस्टिक जांच के लिए भेजा गया था। बैलेस्टिक एक्सपर्ट की जांच में हत्या की सच्चाई सामने आई। रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि मौके से बरामद किया गया कारतूस का खोखा शूटर आनंद प्रकाश तिवारी के पास से मिली पिस्टल के ही थे। इस बात से यह तय हुआ कि गोली उसी पिस्टल से चली थी। साथ ही सीबीआइ के पास आनंद प्रकाश तिवारी के खिलाफ पर्याप्त और मजबूत साक्ष्य मौजूद थे। इसी के आधार पर कोर्ट ने शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार दिया है।

छह महीने के अंदर हुए दो मर्डर

हत्याकांड का मामला विकासनगर सेक्टर-14 का है। 27 अक्टूबर 2010 को परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन सीएमओ विनोद आर्यों पर बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी थी। हमला तब किया गया जब वह घर से टहलने के लिए निकले थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि विनोद आर्या को पांच गोलियां मारी गई थी। यह मामला ठंडा होने से पहले एक और हत्या कर दी गई। विनोद आर्या के स्थान पर नियुक्त हुए नए सीएमओ डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह की दो अप्रैल 2011 को हत्या कर दी गई थी। छह माह के अंदर दो सीएमओं की हत्या ने तत्कालीन सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए। हत्या के बाद सरकार के खिलाफ जमकर बवाल हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन बसपा सरकार ने दोनों हत्याकांडों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी।

डिप्टी सीएमओ की जेल में संदिग्ध मौत

दोनों हत्याकांडों की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि एक और घटना हुई। जांच शुरु होने के दो महीने बाद ही जेल में डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह सचान की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। डिप्टी सीएमओ की मौत में न्यायिक जांच हुई। जांच में इसे हत्या की संभावना जताई गई। न्यायिक जांच में इसे हत्या से इनकार नहीं किया गया। कहा गया कि इसे हत्या मानने से इंकार नहीं किया जा सकता। योगेंद्र सचान की पत्नी डा. मालती आज भी उनके पति की हत्या होने का आरोप लगा रही हैं।

2022 में दाखिल हुई थी चार्जशीट

मामले की जांच के बाद 2022 में सीबीआइ ने चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में लिखा था कि सीएमओ डा. विनोद आर्या, डा. ब्रता प्रसाद सिंह की हत्या को साजिश में डिप्टी सीएमओ डा. योगेंद्र सचान शामिल थे। इससे पहले हत्याकांड से जुड़े एक शूटर की मुठभेड़ के दौरान मौत हुई थी। वहीं आरोपी अंशू दीक्षित पेशी के दौरान ही भाग निकला। अब सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने मामले में फैसला सुनाया है। 

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