Shravasti News: सीता द्वार झील में फिर से गुलजार हुए विदेशी पक्षी, लेकिन सफाई की कमी से घटे मेहमान
Shravasti News: सात सौ एकड़ में फैली इस झील के किनारों के झुरमुट व जलीय वनस्पतियां साइबेरियन पक्षियों को शीतकालीन प्रवास के अनुकूल माहौल प्रदान करती है। इसीलिए कभी अक्टूबर से ही सात समंदर पार कर विदेशी मेहमानों के आने का दौर शुरू हो जाता है।
Shravasti News: सर्दी के मौसम में इकौना के टंडवा महंत स्थित पौराणिक सीता द्वार झील में विदेशी परिंदों का प्रवास रहता है।शीतकाल में यहां साइबेरियन पक्षियों से गुलजार रहने वाली पौराणिक झील सीताद्वार फिर से गुलजार होने लगी है। हालांकि झील का पर्याप्त सफाई न होने के कारण अब एक दशक पहले की स्थिति विदेशी मेहमानों के लिए नही रहा है। यहा के बुजुर्गो का कहना है कि एक समय था जब इस माह में सीताद्वार झील में विदेशी पक्षियों का कलरव क्षेत्रवासियों के लिए आनंद प्रदान करता था ।
बता दें कि सात सौ एकड़ में फैली इस झील के किनारों के झुरमुट व जलीय वनस्पतियां साइबेरियन पक्षियों को शीतकालीन प्रवास के अनुकूल माहौल प्रदान करती है। इसीलिए कभी अक्टूबर से ही सात समंदर पार कर विदेशी मेहमानों के आने का दौर शुरू हो जाता है। इनमें सफेद साइबेरियन क्रेनों सहित अन्य रंग-बिरंगे पक्षी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती थी।इस साल शुरुआत हो चुकी है लेकिन अब पहले जैसी स्थिति नहीं है। इसका प्रमुख कारण जिम्मेदारों की अनदेखी भी है इसके कारण झील में व्याप्त गंदगी व अतिक्रमण, घटते जलस्तर और शिकारियों की सक्रियता जिम्मेदार है।
बाल्मिकी मंदिर के बुजुर्ग महंत राम मनोहर बताते हैं कि एक दशक पूर्व सीता द्वार क्षेत्र विदेशी पक्षियों की उछल-कूद व मधुर कलरव का आनंद लेने के लिए तांता लगा रहता था। साथ ही इस क्षेत्र ही नहीं पड़ोसी जिलों के लोग काफी संख्या में नित्य सीताद्वार आते थे और कलकल करती झील पर रंग-बिरंगे पक्षियों के झुंड का आनंद लेते थे।बता दें कि यहां पिनटेल, कामनक्रट, मध्य यूरो के गैंडेवाल, कामनटील, तिब्बत, लद्दाख के ब्रहमनी डक व दक्षिण साइबेरिया के नीलसर व लालसर पक्षियों की अठखेलियां देखकर पर्यटक रोमांचित होते हैं।
डीएफओ ने बताया कि पूर्वी साइबेरिया, रुस, कजाकिस्तान क्षेत्र में बर्फ जमने का दौर शुरू होते ही इन पक्षियों के लिए भोजन का संकट उत्पन्न होने लगता है। यही इनका प्रजनन काल भी होता है। इसलिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश में साइबेरियन पक्षी भारत की तरफ रुख करते हैं।