श्री कृष्ण जन्मभूमि मामला: कटियार ने याचिका का किया स्वागत, जिलानी ने कहा ये

मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि के गर्भगृह को लेकर दायर की गई याचिका पर राजनीति गर्म होने लगी है। भाजपा के फायरब्राण्ड नेता विनय कटियार ने याचिका का स्वागत करते हुए कहा है

Update: 2020-09-27 11:42 GMT
श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रकरण: विनय कटियार ने याचिका का स्वागत किया, जिलानी बोले अदालत का नोटिस मिला तो देंगे जवाब (social media)

लखनऊ: मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि के गर्भगृह को लेकर दायर की गई याचिका पर राजनीति गर्म होने लगी है। भाजपा के फायरब्राण्ड नेता विनय कटियार ने याचिका का स्वागत करते हुए कहा है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए अदालत का रास्ता अपनाने या बड़ा आंदोलन चलाने के संबंध में जरूरत के मुताबिक इस पर निर्णय लिया जायेगा। इधर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी का कहना है कि देश के विकास के लिए अब मंदिर और मस्जिद की राजनीति खत्म होनी चाहिए। जबकि इस मामलें में अयोध्या मामलें में बाबरी मस्जिद के पक्षकार जफरयाब जिलानी ने न्यूजट्रैक से फोन पर कहा कि जब अदालत इस मामलें का संज्ञान लेगी और कोई नोटिस भेजेगी तो इसका जवाब दिया जायेगा।

ये भी पढ़ें:नायरा बनर्जी की बोल्ड तस्वीरें वायरल, Excuse Me Maadam में दिखा एक्टिंग का हुनर

ये है श्री कृष्ण जन्मभूमि का इतिहास

बताया जाता है कि यहां चार बार मंदिर का निर्माण हुआ और उसे तोड़ा गया। मान्यता है कि सबसे पहले भगवान कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने यहां अपने कुलदेवता का मंदिर बनवाया था। जबकि इतिहासकारों का मानना है कि सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में 400 इसवी में यहां एक भव्य मंदिर बनवाया गया था। इस भव्य मंदिर को वर्ष 1017 में महमूद गजनवी ने आक्रमण कर तोड़ दिया था। इसके बाद वर्ष 1150 में राजा विजयपाल देव के शासनकाल में यहां फिर से विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया लेकिन 16वीं शताब्दी में सिकंदर लोदी के शासनकाल में इस मंदिर को भी तोड़ दिया गया।

इसके बाद मुगल शासक जहांगीर के समय में यहां ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने चैथी बार मंदिर बनवाया था। यह इतना भव्य और सम्पन्न मंदिर था कि इसको आगरा से भी देखा जा सकता था। लेकिन 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इसे तुड़वा दिया और इसके एक हिस्से में ईदगाह का निर्माण करवा दिया।

krishna-tempel-mathura (social media)

ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1815 में हुई नीलामी में बनारस के राजा पटनीमल ने इस स्थान को खरीद लिया था

इसके बाद ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1815 में हुई नीलामी में बनारस के राजा पटनीमल ने इस स्थान को खरीद लिया था। वर्ष 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय यहां पहुंचे। श्री कृष्ण जन्मभूमि की बुरी हालत देख कर वह बहुत दुखी हुए और उन्होंने उद्योगपति जुगल किशोर बिडला को पत्र इस संबंध में पत्र लिखा। मालवीय का पत्र मिलने पर बिडला स्वयं श्री कृष्ण जन्मभूमि पहुंचे और वह भी इसकी दुर्दशा देख काफी दुखी हुए। इसके बाद वर्ष 1944 में बिडला ने कटरा केशव देव को बनारस के राजा से खरीद लिया।

ये भी पढ़ें:ITR Verification: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दिया सुनहरा मौका, जानें डीटेल

1945 में कुछ स्थानीय मुसलमानों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर दी

वर्ष 1945 में कुछ स्थानीय मुसलमानों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर दी। इसी दौरान मालवीय जी का निधन हो गया लेकिन उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई। वर्ष 1953 में स्थानीय मुसलमानों की याचिका पर उच्च न्यायालय का फैसला आ गया। जिसके बाद यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ और फरवरी 1982 में गर्भगृह और भागवत भवन का निर्माण किया गया।

मनीष श्रीवास्तव

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News