Bakrid 2024: जानिए पैगंबर हजरत इब्राहीम से कैसे हुई बकरीद की शुरुआत

Bakrid 2024: बकरीद मुसलमानों के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। यह त्योहार कुर्बानी के पर्व के तौर पर मनाते हैं। इस दिन लोग नमाज अदा करके बकरे की कुर्बानी देते हैं।

Report :  Intejar Haider
Update:2024-06-16 13:18 IST

मौलाना मोहम्मद अब्बास शारिब। (Pic: Newstrack)

Siddharthnagar News: बकरीद मुसलमानों के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। जो ईद के करीब दो महीने बाद आता है। बकरीद को ईद उल अजहा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल ये त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। दरअसल ईद की तारीख चांद का दीदार करने के बाद तय होती है। शनिवार से ही प्रमुख मस्जिदों व ईदगाहों की साफ सफाई तेजी से हो रही है।

पैगंबर हजरत इब्राहीम से शुरू हुई कुर्बानी देने की परंपरा 

मुसलमान यह त्योहार कुर्बानी के पर्व के तौर पर मनाते हैं। इस दिन लोग नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देते हैं। इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहीम से ही कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हुई है। मौलाना मोहम्मद अब्बास शारिब के अनुसार पैगंबर इब्राहिम के कोई औलाद नहीं थी। उन्हें कई मन्नतों के बाद पुत्र की प्राप्ति हुई। जिनका नाम उन्होंने हजरत इस्माइल रखा। इससे वह बेहद प्यार करते थे। एक रात अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी। उन्होंने सपने को अल्लाह का आदेश मानते हुए अपने सभी प्यारे जानवरो की कुर्बानी एक एक करके दे दी।

इस तरह हुई बकरीद की शुरुआत

इसके बाद एक बार फिर सपना आया की फिर से सबसे प्यारी चीज़ को अल्लाह की राह में कुर्बान करें। अंत में अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए वह अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। लेकिन कुर्बानी देते समय पैगंबर इब्राहिम ने अपनी आंखो पर पट्टी बांध ली। कुर्बानी देने के बाद जब इब्राहिम ने अपने आंखो से पट्टी हटाई तो उन्होंने देखा कि बेटे के स्थान पर दुंबा कुर्बान है। उनका बेटा जीवित है। वह देखकर वह बहुत खुश हुए। अल्लाह ने उनकी निष्ठा देख उनके बेटे की जगह कुर्बानी को दुंबे की कुर्बानी में बदल दिया। तब से ही बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देने के परंपरा चली आ रही है। तभी से मुस्लिम वर्ग पैगंबर इब्राहिम की दी गई कुर्बानी को याद करते हुए बकरों की कुर्बानी करते है। 

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