Siddharthnagar News: सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं गालापुर की महाकाली, नहीं होता कोई निराश

Siddharthnagar News: 9 दिन श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ेगा और यहा पर भजन कीर्तन, आरती आदि धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएगे ।

Report :  Intejar Haider
Update:2024-10-04 13:28 IST

वटवासिनी गालापुर   (फोटो: सोशल मीडिया )

Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील मुख्यालय से पूरब दिशा में दस किलो मीटर दूर स्थित सिंह स्थल “वटवासिनी गालापुर” वह स्थान है जहां से कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा भक्ति भावना से आता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। वैसे तो यहां पर पूरे साल भक्तों के आने जाने का सिलसिला लगा रहता है। लेकिन शारदीय नवरात्र व चैत्र नवरात्र में यहां पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड पड़ता है। शारदीय नवरात्र के चलते महाकाली स्थान को विधिवत रूप से सजाया जाता है । यहां पर पूरे 9 दिन श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ेगा और यहा पर भजन कीर्तन, आरती आदि धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएगे ।

महाकाली स्थान पर आकर माथा टेकेंगे

शारदीय नवरात्र मे महाकाली स्थान पर प्रत्येक दिन भारी संख्या में श्रद्धालु महाकाली स्थान पर आकर माथा टेकेंगे। जिससे पूरा वातावरण देवीमय बना रहेगा। लाखों लोगों की आस्था के प्रतीक इस प्रसिद्ध धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के बारे में पंडित ठाकुर प्रसाद मिश्रा कहते है कि लगभग दो हजार साल पहले कलहंष वंश के राजा अपने पुरोहितो के साथ पड़ोसी जनपद गोण्डा में आये और राज किया। यहां पर अपना साम्राज्य बढ़ाने हुये लटेरा गांव में पहुंचे तब यह क्षेत्र स्वतन्त्र था। फिर उन्होंने गोण्डा से अपनी कुलदेवी को गालापुर गांव में बसे पुरोहितो के माध्यम से लाने को भेजा। जहां से काफी तपस्या के बाद यह लोग कुलदेवी को लाने में सफल हुये । जब पुरोहित मदार के पेड़ के रूप में कुल देवी को लटेरा गांव की सरहद पर लेकर पहुंचे तब के राजा केसरी सिंह को संदेश भिजवाया तो मदार के पेड़ के रूप मे कुल देवी के आगमन का राजा को विश्वास नहीं हुआ और उसने पुरोहितो से गुस्से में कहा कि जहां पहुंचे हो वहीं उतार दो।


राजा के क्षमा याचना के बाद साक्षात देवी काली के रूप में दर्शन

पुरोहितो ने नाराज होकर वहीं उसे रख दिया। फिर जैसे ही इस पेड़ का पृथ्वी से स्पर्श हुआ जमीन फट गयी और वहां एक वट वृक्ष निकल आया । आकाशवाणी हुई कि अविश्वास के चलते राजा का विनाश हो गया। राजा के क्षमा याचना के बाद साक्षात देवी काली के रूप में दर्शन देकर कहा कि श्राप तो मिथ्या नहीं हो सकता। लेकिन 14 पुस्त के बाद ही राजा के वंशज राजपाठ पायेगे। तभी से इस स्थान का महत्व है।

शारदीय व चैत्र नवरात्र पर यहां पर विशेष पूजा अर्चना होती है। मां काली स्थान पर मेले जैसा दृश्य दिखाई देता है। यहां पर बस्ती मंडल ही नहीं प्रदेश भर के श्रद्धालु पूरे साल आते रहते है। ऐसी धारणा है कि जो भी यहां पर सच्चे मन से मिन्नते मांगता है मां काली उसकी मनोकामना जरूर पूरी करतीं है। बताया जाता है कि इस स्थान के प्रति हिन्दू ही नहीं मुस्लिमो की भी काफी आस्था है। और तमाम लोग ऐसे भी है। जिनके आसाध्य रोेग ठीक हुए है व मिन्नत यहां आने पर पूरी हुई है। फिलहाल महाकाली स्थान श्रद्धालुओ की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। शारदीय नवरात्र शुरू होने के साथ यहां पर श्रद्धालुओं के आने का तांता लग गया है। जो पूरे 9 दिनों तक लगातार चलता रहेगा। इस दौरान यहां पर भजन कीर्तन तथा आरती के कार्यक्रम आयोजित होते है।



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