जल्द दिखेगा भाजपा मेें उम्मीद से बड़ा बदलाव
इन दिनों भाजपा संगठन और सरकार में हलचल है। बैठकों का दौर लगातार जारी है।;
लखनऊ। इन दिनों भाजपा संगठन और सरकार में हलचल है। बैठकों का दौर लगातार जारी है। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए सरकार से लेकर संगठन तक में बदलाव करने की तैयारी है। अब हाईकमान इस पर क्या फैसला लेता है, यह तो अलग बात है पर जिस तरह से मोदी-शाह की जोड़ी ने राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष को राजनीतिक मौसम से इतर अचानक लखनऊ भेजा है इससे साफ है कि प्रदेश में जल्द ही कोई बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
जहां तक प्रदेश संगठन की बात है तो केन्द्रीय गृह मंत्री और वर्ष 2014 में यूपी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अमित शाह के गरीबी सुनील बंसल को लोकसभा चुनाव के पहले यूपी में संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गयी थी। विद्यार्थी परिषद से भाजपा संगठन में आए सुनील बंसल ने इस चुनाव में अमित शाह के साथ मिलकर प्रदेश में भाजपा को बड़ी सफलता दिलाने का काम किया। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 14 वर्ष के वनवास से मुक्त कर सत्ता दिलाने का काम किया जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर 65 सीटें दिलवाकर केन्द्र में मोदी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई। लेकिन इधर कुछ महीनों से वह सवालों के घेरे में हैं।
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह संगठन में कई वर्षों से सक्रिय हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से वर्ष 1988 में जुड़कर अयोध्या आंदोलन में भाग लिया। बाद में वर्ष 2001 में वह युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। फिर संगठन में कई दायित्व निभाने के बाद 16 जुलाई, 2019 को महेन्द्र नाथ पाण्डेय के सांसद बनने के बाद उनके बचे कार्यकाल को पूरा करने की जिम्मेदारी स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपी गयी। पर प्रदेश पदाधिकारी घोषित करने में उन्हें कई महीने लग गए। अब उनके बारे में कहा जा रहा है कि उनका कार्यकर्ताओं के साथ तादाम्य कम है साथ ही उनके पास आक्रामक शैली का अभाव है। हाईकमान इसी बात को लेकर चिंतित है। वहीं पार्टी में कई और नेता भी हैं जो अपनी सांगठनिक क्षमता का लोहा मनवा चुके हैं।
महेन्द्र कुमार सिंह
मेहनत और संगठन के प्रति समर्पण भाव के चलते सभासद से सरकार में आने तक राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार महेन्द्र कुमार सिंह की अपनी पहचान है। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें असम का प्रभारी बनाकर भेजा गया तो उन्होंने पहली बार उत्तर प्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने में महती भूमिका निभाई। वर्ष 2012 में एमएलसी बनने के बाद से पिछले दस वर्षों में उनका कद लगातार बढ़ता ही गया। उनकी खासियत है उनकी भाषण कला।
विजय बहादुर पाठक
भारतीय जनता युवा मोर्चा से राजनीति में सक्रिय हुए विजय बहादुर पाठक का लम्बा राजनीतिक जीवन रहा है। कलराज मिश्र के बेहद करीबी रहे पाठक ने अयोध्या आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद जब यूपी की भाजपा सरकार में मंत्री बने कलराज मिश्र के वह पीआरओ बन गए। वर्ष 2002 का विधानसभा चुनाव वह निजामाबाद सीट से लड़े, पर हार गए। वर्ष 2005 में प्रदेश प्रवक्ता बनने के बाद वर्ष 2016 में प्रदेश महासचिव बन गए। वर्ष 2020 में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के साथ उनकी कार्य क्षमता को देखते हुए हाईकमान ने उन्हें विधानपरिषद सदस्य भी मनोनीत किया।
डॉ. महेश शर्मा
गौतमबुद्व नगर से सांसद डॉ. महेश शर्मा पेशे से डाक्टर हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े डॉ. शर्मा छात्र जीवन में ही विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। वह पारिवारिक रूप से संघ विचारधारा वाले रहे हैं। वर्ष 2012 में विधायक बनने के बाद वर्ष 2014 में सांसद बने और फिर केन्द्र में मंत्री भी बने। इसके बाद वर्ष 2019 में भी वह सांसद बने। पर वह बयानों को लेकर अक्सर विवादों में फंस जाते हैं। इनके अलावा विद्यासागर सोनकर भी सांगठनिक क्षमता वाले बड़े नेता हैं।
उधर राज्य की भाजपा सरकार में इस समय मंत्रिमंडल में 54 सदस्य हैं जिनमें 23 कैबिनेट, 9 स्वतंत्र प्रभार तथा 22 राज्य मंत्री हैं। 19 मार्च, 2017 को सरकार गठन के बाद 22 अगस्त, 2019 को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार किया था। उस दौरान उनके मंत्रिमंडल में 56 सदस्य थे। इस कार्यक्रम में शपथ लेने वाले कुल 23 लोगों में 18 नए चेहरे शामिल किए गए थे।
परन्तु पिछले साल योगी कैबिनेट के दो मंत्रियों चेतन चौहान और कमल रानी वरुण का कोरोना की वजह से निधन हो गया था। इसके बाद से यह दोनों मंत्रिपद खाली चल रहे हैं। इसके बाद हाल ही में राज्य मंत्री विजय कश्यप का भी कोरोना से निधन हो गया। यह सारे पद खाली हैं। साथ ही कुछ मंत्रियों को उनके कमजोर कार्यशैली को देखते हुए उन्हें हटाकर संगठन की जिम्मदारी दी जा सकती है।
चर्चा यह भी है कि नए मंत्रिमंडल में छह से सात नए चेहरों को मौका मिल सकता है। गुजरात कैडर के आईएएस रहे अरविंद शर्मा को एमएलसी चुनाव के बाद यूपी सरकार में अहम जिम्मेदारी देना तय माना जा रहा हैं। मंत्रिमंडल में अरविन्द शर्मा के अलावा लक्ष्मण आचार्य, सलिल विश्नोई को मौका दिया जा सकता है। इन तीनों नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी से नजदीक होने के कारण देखा जा रहा है। मिशन 2022 को लेकर तैयारियों में जुटी भाजपा इस मंत्रिमंडल विस्तार से कई समीकरण साधने की तैयारी में है। इसके तहत जिन वर्गों को अभी तक मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है उन्हें मौका मिल सकता है।