Sitapur News: जिला प्रशासन करा रहा मंदिरों में दुर्गा सप्तशती पाठ, लग रहे देवी मां के जयकारे

Sitapur News: नवरात्र का शुभारंभ होते ही सीएम योगी के निर्देश के अनुसार सीतापुर में जिला प्रशासन ने मंदिरों को चयनित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करा दिया है। इसमें नैमिषारण्य ललिता देवी शक्तिपीठ में दुर्गा सप्तशती का पाठ कराया जा रहा है। महमूदाबाद के संकटा देवी मंदिर में भी दुर्गा सप्तशती का पाठ हो रहा है।

Update:2023-03-22 20:30 IST
नवरात्र में मंदिर में पूजन करते भक्त (फोटो: सोशल मीडिया))

Sitapur News: नवरात्र का शुभारंभ होते ही सीएम योगी के निर्देश के अनुसार सीतापुर में जिला प्रशासन ने मंदिरों को चयनित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ करा दिया है। इसमें नैमिषारण्य ललिता देवी शक्तिपीठ में दुर्गा सप्तशती का पाठ कराया जा रहा है। महमूदाबाद के संकटा देवी मंदिर में भी दुर्गा सप्तशती का पाठ हो रहा है। डीएम अनुज सिंह ने बताया तहसीलों के सभी मुख्य स्थानों के मंदिरों का दुर्गा सप्तशती पाठ के लिए चयन किया गया है।

नैमिषारण्य के ललिता देवी मंदिर सहित संकटा देवी मंदिर को भी पाठ के लिए चयनित किया गया है। ललिता देवी मंदिर और संकटा देवी मंदिर में देवी जी का जागरण और रामनवमी के दिन रामायण का पाठ कराया जाएगा। सुरक्षा को लेकर भी सेक्टर और जोनल मजिस्ट्रेटों को तैनात किया गया है, क्योंकि श्रद्धालुओं की भीड़ नवरात्र में मंदिरों में बड़े पैमाने पर आती है। नवरात्रि के प्रथम दिन शक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।

श्रद्धालु प्रातःकाल से माता के दर्शनों के लिए लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई पड़े। पुलिस-प्रशासन को वहां श्रद्धालुओं के लिए सुचारू व्यवस्था बनाए रखने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। नवरात्रि में दूरदराज से श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए नैमिषारण्य पहुंचते हैं। मां ललिता देवी मंदिर की शक्तिपीठ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि माता सती के 108 अंग जहां-जहां गिरे थे, वह शक्ति पीठ के रूप में स्थापित हुए।

नैमिषारण्य में माता सती का हृदय गिरा था इसलिए यह शक्तिपीठ के रूप में स्थापित है। नवरात्रि का मतलब नव संवत्सर में नौ देवियों का वास होता है, अपने अलग-अलग रूपों में माता का प्राकट्य होता है। नवरात्रि में भक्त देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त नौ दिन का उपवास रखते हैं। कहा जाता है कि इन दिनों में सच्ची आस्था और मन से की गई हर प्रार्थना देवी मां स्वीकार कर मनोकामना पूरी करती हैं।

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