Sitapur News: दूध व्यापारी की धारदार हथियार से हत्या, घटना को लेकर रहस्य गहराया

Sitapur News: यूपी के सीतापुर में अज्ञात हमलावरों ने हत्या की एक सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। जिसमें अज्ञात हमलावरों ने दूध व्यापारी की धारदार हथियार से प्रहार कर निर्मम हत्या कर दी।

Update:2023-08-09 17:41 IST
Sitapur News (Photo- Social Media)

Sitapur News: यूपी के सीतापुर में अज्ञात हमलावरों ने हत्या की एक सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। जिसमें अज्ञात हमलावरों ने दूध व्यापारी की धारदार हथियार से प्रहार कर निर्मम हत्या कर दी, दूध व्यापारी बीती रात से गायब था और उसका शव गांव के बाहर सड़क के किनारे पड़ा शव मिला। सूचना पाकर थाना पुलिस सहित पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस हत्या की वारदात को लेकर हर पहलू को देखते हुए जांच में जुट गई है। हत्या की यह घटना रामकोट थाना क्षेत्र की है। मृतक के भाई ने गांव के चार लोगों पर हत्या का आरोप लगाते हुए तहरीर दी है।

मृतक के परिजनों ने गांव के लोगों पर लगाया आरोप

बताते हैं कि प्रेम और उसका भाई अभी हत्या के मामले में जमानत पर बाहर आए थे। रामकोट थाना क्षेत्र के खपूरा निवासी प्रेम यादव दूध का व्यापार करते थे, वो मंगलवार की शाम वह रोज की तरह घर से दूध बेचने के लिए निकले थे। लेकिन वह शाम घर वापस नहीं पहुंचे। परिवार वालो ने प्रेम की हर जगह तलाश की लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला था। इसकी सूचना परिवार वालों ने पुलिस को दी। परिवार वाले प्रेम की तलाश कर ही रहे थे। जब गांव वाले अपने खेतों को जा रहे थे तो गांव के बाहर एक युवक की लाश पड़ी देख इसकी सूचना गांव में दी गई। तब परिजनों को वारदात का पता चला।

एक अन्य मामले में जमानत पर चल रहे थे आरोपित

गांव वालों ने शव की शिनाख्त एक घर से लापता प्रेम के रूप में की। प्रेम के शरीर पर गहरे धारदार हथियार से चोट के निशान थे। सूचना पाकर थाना पुलिस के साथ परिवार वाले भी मौके पर पहुंच गए। घटना को लेकर मृतक प्रेम के भाई बसंत ने गांव के ही चार लोगों पर हत्या का आरोप लगाया है। भाई ने चार लोगां के खिलाफ नामजद तहरीर थाने में दी है। बताते है कि करीब 6 साल पहले गांव का ही रहने वाला अमलेश्वर प्रेम के घर फांद गया था, इस मामले को लेकर प्रेम और उसके भाई बसंत ने अमलेश्वर की हत्या कर दी। उसी मामले में प्रेम और बसंत दोनो भाई जेल चले गए थे। दोनां भाई अभी कुछ ही दिन पहले जेल से जमानत पर छूटकर आए थे।

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