जगी एक आस..अब होगा किन्नर समाज का विकास, इस संस्था ने उठाया बेड़ा

अक्सर ऐसा होता है कि आम तौर पर लोग किन्नर( ट्रांसजेंडर) को देखकर हंसने लगते हैं व तुरंत उनसे दूरी बना लेते हैं। यानि कि समाज में किन्नरों को मुख्यधारा से दूर कर दिया गया है।

Update:2017-09-22 18:08 IST

लखनऊ: अक्सर ऐसा होता है कि आम तौर पर लोग किन्नर( ट्रांसजेंडर) को देखकर हंसने लगते हैं व तुरंत उनसे दूरी बना लेते हैं। यानि कि समाज में किन्नरों को मुख्यधारा से दूर कर दिया गया है। इसलिए उनके विकास में भी बाधा पड़ गई है। लेकिन समाज में कुछ ऐसी संस्थाएं भी काम कर रही हैं जो किन्नरों के विकास तथा आत्मनिर्भर बनाने के लिए संघर्ष में लगी हैं। उन्हीं में से एक एकता सेवा संस्थान है। जिसका उद्देश्य किन्नर समाज को अपने हुनर के दम पर कार्य करने का जब्जा पैदा करना है। उनके विकास से लेकर शिक्षा व स्वास्थ्य पर एकता सेवा संस्थान काम कर रही है।

एकता सेवा संस्थान के सचिव वीरेंद्र राज ने बताया कि हम लोगों ने किन्नरों को शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए रोजाना कहीं ना कहीं जाकर किन्नरों व लोगों के बीच के भेदभाव को खत्म करने संबंधी प्रोग्राम किया जा रहा है। इसी मुद्दे पर शुक्रवार को एकता सेवा संस्थान ने राजधानी के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) के साथ मिलकर संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

न करें भेदभाव, बढ़ाएं उनका उत्साह

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे सालसा जिला जज सुशील रस्तोगी ने कहा कि हम लोगों को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है क्योंकि किन्नर भी इसी समाज का एक अहम हिस्सा हैं। इसलिए उनको नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। हम लोगों को उनके प्रति जो भेदभाव है उसको खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए।

आत्मनिर्भर बनेंगे तो हो सकता है विकास

एकता सेवा संस्थान से जुड़ो लोगों का मानना है कि किन्नरों को समाज में शामिल बहुत पहले हो जाना चाहिए था। लेकिन उनके प्रति जो भेदभाव होते हैं उससे वे और टूट जाते हैं। हम लोगों को प्रयास है कि उनको कम से कम इतनी शिक्षा तो दें कि वे समाज में रहने के काबिल हो जाएं। इसके अलावा उनको आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य भी है। इसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं।

आईएमए अध्यक्ष ने कहा उनके स्वास्थ्य पर है नजर

आईएमए अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता ने कहा कि हम लोग मिलकर किन्नरों के स्वास्थ्य की एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। जिसमें राजधानी के किन्नरों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। आंकड़े पूरे होने पर एक तरफ से किन्नरों को उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी व इलाज मुहैया कराया जाएगा।

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