Sonbhadra News: यूपी-एमपी-छत्तीसगढ़ सीमा पर जमी डीजल-पेट्रोल तस्करी की जड़ें, 900 लीटर की बरामदगी में FIR

Sonbhadra News: अब यूपी के मुकाबले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में डीजल- पेट्रोल महंगा होने के कारण, सीमा क्षेत्र तस्करों और उनसे जुड़े कुछ पंप संचालकों के लिए मुफीद साबित होने लगे हैं।

Update: 2022-08-01 12:21 GMT

Sonbhadra police station (Image: Newstrack)

Sonbhadra News: पड़ोसी राज्यों में डीजल-पेट्रोल की कीमत अधिक होने के कारण, सीमावर्ती इलाके तस्करों के लिए पनहगार साबित होने लगे हैं। चंदौली स्थित इंडियल आयल काॅरपोरेशन लिमिटेड के ऑयल डिपो से चोपन डिपो-जयंत डिपो और ओवरवर्डेन हटाने का काम करने वाली कंपनियों के कंज्यूमर पंपों के लिए टैंकर से सीधे होने वाली आपूर्ति में, डीजल तस्करी का एक बड़ा रैकेट सक्रिय होने की बात तो कई बार सामने आ चुकी है।

अब यूपी के मुकाबले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में डीजल- पेट्रोल महंगा होने के कारण, सीमा क्षेत्र तस्करों और उनसे जुड़े कुछ पंप संचालकों के लिए मुफीद साबित होने लगे हैं। कुछ माह पूर्व जहां सोनभद्र-सिंगरौली सीमा पर डीजल लदा मिनी टैंकर पाए जाने पर हड़कंप मच गया था। वहीं अब बभनी सीमा पर छत्तीसगढ़ के लिए मिनी ट्रक से ले जाए जा रहे 900 लीटर डीजल पकड़े जाने के बाद से हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक की तहरीर पर रविवार को पुलिस ने जहां एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है। वहीं आसानी से गैर प्रांत के व्यक्ति को डीजल की इतनी बड़ी खेप उपलब्ध कैसे करा दी गई, इसको लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं।


छत्तीसगढ़ सीमा पर ऐसे पकड़ में आया तस्करी का खेलः

प्रभारी निरीक्षक बभनी को दो दिन पूर्व बभनी सीमा क्षेत्र से एक मिनी ट्रक, जरकिन से लदा जाता दिखाई दिया। वाहन चला रहे वाहन स्वामी संतोष गुप्ता निवासी तिरसुली, थाना सनावल जिला बलरामपुर, छत्तीसगढ़ को रोककर पूछा तो पता चला कि कुल 15 जरकिन रखी हुई हैं। 14 जरकिन में 50-50 लीटर, एक बड़े जरकिन में 200 लीटर कुल 900 लीटर डीजल लदा हुआ है। प्रभारी निरीक्षक की सूचना पर पूर्ति निरीक्षक निर्मल सिंह ने पहुंचकर डीजल की जांच की और पूछताछ में पाया कि डीजल छत्तीसगढ़ के बाजार में बिक्री के लिए जा रहा था और उसे बभनी स्थित मेसर्स चंद्रमुखी फ्यूल सेंटर बभनी से लोड किया गया था। खरीद के संबंध में चंद्रमुखी फ्यूल की तरफ से दी गई कुल 13 बिक्री पर्ची भी दिखाई गई।

इसके आधार पर क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक की तरफ से पूरी रिपेार्ट डीएसओ गौरीशंकर शुक्ल को भेजकर एफआईआर की संस्तुति की गई। वहां से इसे डीएम चंद्रविजय सिंह के यहां प्रस्तुत किया गया। डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की अनुमति दी। इसके बाद मामले में पूर्ति निरीक्षक दुद्धी की ओर से बभनी पुलिस को तहरीर दी गई। पुलिस ने आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा तीन और सात के तहत मामला दर्ज कर, डीजल को सीज करने के साथ ही पकड़े गए चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

तकनीकी दिक्कतों की आड़ में बना लिया जाता है बचाव का रास्ताः

सीमा क्षेत्र के कई पंपों पर तस्करी के साथ ही जिले के कई पंपों पर घटतौली बड़ा मुद्दा बना हुआ है। अभी कुछ दिन पूर्व ही दुद्धी में इसको लेकर हंगामा हुआ था। ओबरा में कथित मिलावट को लेकर हंगामे की स्थिति सामने आई थी लेकिन जब ऐसे मसलों को लेकर कार्रवाई की बात आती है तो आईओसीएल की विंग पूर्ति विभाग की जिम्मेदारी बात पल्ला झाड़ लेती है। वहीं पूर्ति विभाग का कहना होता है कि इस मामले में उनकी भूमिका एक नोडल की बनकर रह गई है।

स्थिति यह होती है कि बगैर संबंधित आपूर्ति कंपनी के व्यक्ति के रहते जांच-पड़ताल शुरू नहीं होती है। जब तक जांच-पड़ताल के लिए आपूर्ति कंपनी का व्यक्ति पहुंचता है, तब तक घंटों गुजर चुके होते हैं। इस बीच मामला काफी हद तक मैनेज हो चुका होता है। एफआईआर भी उसी व्यक्ति के खिलाफ कराई जाती है, जिसके कब्जे से डीजल बरामद होता है।

थर्ड पार्टी का मसला बता पंप को दे दी जाती है क्लीनचिट

पूछे जाने पर थर्ड पार्टी का मसला बता, पंप को क्लीनिचट दे दी जाती है। बताते हैं कि इसका फायदा उठाकर हर दिन हजारों लीटर डीजल यूपी से दूसरे राज्यों में पहुंच जा रहा है। चैंकाने वाला तथ्य यह है कि सड़क से कोयला ढुलाई कम करने को लेकर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए रेलवे रैक बढ़ाने के साथ ही, रेणुसागर जैसी कंपनियां अपनी जरूरत का एक बड़ा हिस्सा कन्वेयर बेल्ट सिस्टम से लेने लगी है। डीजल खपाने वाली ओपी कंपनियों की संख्या भी पूर्ववत ही है।

बावजूद प्रतिवर्ष खपत ओर टारगेट दोनों में होने वाली वृदिध का डीजल कहां खप रहा? यह एक ऐसा सवाल है जो वर्ष 2013 में हुई सीबीआई छापेमारी से लेकर अब तक अबूझ पहेली बना हुआ है। उधर, इस बारे में आईओसीएल के आफिसर शुभम सिंह से सेलफोन पर जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि पंपों पर होने वाली डीजल के बिक्री की निगरानी की जिम्मेदारी पूर्ति विभाग की है। यूपी में बिक्री के लिए दिए जाने वाले पेट्रोल-डीजल की दूसरे राज्यों में तस्करी की शिकायत के बावजूद, आपूर्ति देने वाला विभाग जिम्मेदारी से कैसे मुंह मोड़ सकता है, इस सवाल पर कहा कि वह इस मामले को दिखवाएंगे।

यूपी और पड़ोसी राज्यों की कीमत में प्रति लीटर सात रूपये तक का अंतरः

सोनभद्र में जहां डीजल 91.39 रूपये ओर पेट्रोल 98.23 रूपये प्रति लीटर है। वहीं छत्तीसगढ़ में डीजल 97.43 रूपये और पेट्रोल 104.97 रूपये प्रति लीटर है। कुछ यहीं अंतर मध्यप्रदेश और यूपी की कीमत में भी बताया जा रहा है। झारखंड में भी डीजल और पेट्रोल कीमत यूपी से अधिक है। यहीं कारण है कि सीमा क्षेत्र के पंप, सीमा पार तस्करी के जरिए मुनाफाखोरी का माध्यम बनने लगे हैं। उधर, पूर्ति निरीक्षक दुद्धी निर्मल सिंह ने सेलफोन पर बताया कि एफआईआर दर्ज करा दी गई है। जिस पंप से डीजल दिया गया था, उसकी बिक्री भी पुलिस को उपलब्ध करा दी गई है। पुलिस विवेचना के दौरान जो स्थितियां सामने आएंंगी, उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।

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