Sonbhadra: पोती के साथ दादा-दादी ने भी रचाई शादी, तीन पीढ़ियों के छह जोड़ों ने लिए एक साथ सात फेरे

Sonbhadra News: सोनभद्र में एक अलग नजारा देखने को मिला, जहां पर एक ही मंडप में तीन पीढ़ियों के छह जोड़ों की एक साथ कराई गई शादी चर्चा का विषय बनी रही।

Published By :  Shreya
Update: 2022-04-25 15:52 GMT

(फोटो- न्यूजट्रैक)

Sonbhadra Latest News: सामूहिक विवाह के आयोजन तो बहुतेरे सुनने-देखने को मिले होंगे लेकिन एक ही कुनबे की तरफ से आयोजित सामूहिक विवाह (Group Marriage) में पोती से लेकर दादा-दादी तक (तीन पीढ़ियां) एक साथ सात फेरे लेने का नजारा शायद ही किसी को देखने को मिल पाया हो।

सोनभद्र (Sonbhadra) के दक्षिणांचल (Dakshinanchal) स्थित दुद्धी तहसील (Duddhi Tehsil) के दिघुल में न केवल यह नजारा लोगों को देखने को मिला बल्कि एक ही मंडप में तीन पीढ़ियों के छह जोड़ों की एक साथ कराई गई शादी चर्चा का विषय बनी रही। दिलचस्प मसला यह है कि इस ऐतिहासिक शादी समारोह के आयोजन के पीछे कोई और नहीं बल्कि उसी परिवार के एक बेटी की पहल और परिवार में कई पीढ़ियों से हो रहे प्रेम विवाह को सामाजिक मान्यता न मिलने के दंश को खत्म करने की जिद रही। इस आयोजन को देखने के लिए गांव के लोगों के अलावा आसपास के गांवों से भी भारी भीड़ उमड़ी रही।

अजीबोगरीब शादी के आयोजन के पीछे कुछ यह है माजरा

दिघुल गांव (Dighul Gaon) की सपना पुत्री नंदकुमार के शादी की तिथि 25 अप्रैल तय की गई थी। माता पिता की तरफ से शादी की सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई थी। लेकिन इसी बीच लोगों में चर्चा शुरू हो गई कि सपना के बड़े भाई, माता-पिता से लेकर दादा-दादी तक ने प्रेम विवाह रचाया हुआ है लेकिन उनकी शादी में हिंदू रीति-रिवाज और उससे जुड़ी रस्म नहीं निभाई गई है। ऐसे में हिंदू रीति रवाज से होने वाली सपना की शादी में कन्यादान की रस्म किसकी तरफ से निभाई जाएगी? इसको लेकर सवाल उठने शुरू हो गए। कहा जाने लगा कि जब पिता की शादी को समाज वैधानिक मान्यता नहीं देता तो वह पिता अपने बेटी का कन्यादान कैसे कर सकता है?


जब यह बात दुल्हन सपना के कानों तक पहुंची तो उसने कुछ ऐसा फैसला कर डाला जिसने सोनभद्र के इतिहास में अलग तरह की शादी के आयोजन का नया इतिहास रच दिया। अपने फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए उसने यह कहते हुए शादी करने से मना कर दिया कि जब तक उसके पिता, दादा-दादी और बड़े भाई की शादी सामाजिक रीति-रिवाज से नहीं होगी, तब तक वह भी शादी नहीं करेगी। एक बारगी सपना के परिवार के लोग भी उसके प्रस्ताव पर चकरा गए लेकिन उसकी प्रसन्नता के लिए हंसी खुशी सामाजिक विधि विधान से शादी रचाने को तैयार हो गए। के बाद शादी किस अनोखे आयोजन की तैयारियां शुरू हो गई और सोमवार को इस अनोखे विवाह के आयोजन को मूर्त रूप भी दे दिया गया।

सबसे पहले दादा-दादी, आखिरी में पोती ने रचाई शादी

सपना की शादी के मंडप में से सबसे पहले दादा राम प्रसाद और दादी सुभगिया देवी ने सात फेरे लिए। उसके बाद सपना के माता-पिता और उसके बड़े भाई-भाभी ने हिंदू परंपरा के मुताबिक शादी की रस्म निभाई। सबसे आखिर में जाकर सपना की शादी हुई, जिसका कन्यादान पिता नंद कुमार ने किया। इस अनोखी शादी की चर्चा गांव के साथ ही पूरे जिले में बनी रही।


बरसों बाद परिवार के विवाह को मिली सामाजिक मान्यता

ग्रामीण बताते हैं कि नंदकुमार के परिवार में प्रेम विवाह एक परंपरा सा बन गया था। इस कारण सामाजिक रिवाजों पर विश्वास करने वाले लोग उनसे दूरी बनाने लगे थे लेकिन उनके घर की एक बेटी की जिद ने न केवल सभी के गिले-शिकवे दूर कर दिए, बल्कि सामाजिक रीति-रिवाजों से अपने माता-पिता दादा-दादी और भाई की शादी करवा कर, परिवार की शादी को सामाजिक मान्यता न मिलने के मसले को भी सदा के लिए खत्म कर दिया।

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