Sonbhadra News: ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर मांगी बुनियादी सुविधाएं
Sonbhadra News: गांव में अगर कोई बीमार हो जा रहा है तो अस्पताल लाने के लिए चारपाई पर लादकर ले जाना ग्रामीणों की मजबूरी है।
Sonbhadra News: एक तरफ जहां दुनिया चांद पर नए ठिकाने तलाश रही है। वहीं जिला मुख्यालय से चंद कदम दूर स्थित गड़ौरा गांव के बाशिंदें सड़क, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर आजादी के 75 वर्ष बाद भी तरसने के लिए विवश हैं। इससे खफा ग्रामीणों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर आवाज उठाई और मांगों पर संजीदगी न दिखाए जाने पर आंदोलन का रास्त अख्तियार करने की चेतावनी दी।
इन्होने जताया नाराजगी
सोनभद्र विकास समिति के राजेश चैबे, कुसुम कुमारी, फुलवंती, सोनी, किसमती, जड़ावती, मन्नू, दुर्गावती, कलावती, रमेश, रामनाथ, कौशल्या, सुखनी, मिश्रीलाल, रामलखन, आदि का कहना था कि उनके गांव में जाने के लिए न तो रास्ता है, न ही बिजली, न पानी न ही स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था। गांव में अगर कोई बीमार हो जा रहा है तो अस्पताल लाने के लिए चारपाई पर लादकर ले जाना ग्रामीणों की मजबूरी है।
इसके चलते कई बार रास्ते में ही मरीजों की मौत हो जाती है। ग्रामीणों ने दावा किया कि महज छह किमी दूर जिला अस्पताल पहुंचने के लिए चार किमी से अधिक दूरी जंगली रास्ते और पहाडी पगडंडी से होकर पूरी करनी पड़ती है। हालात यह है कि गांव वालों के लिए जहां आज भी बिजली, गांव में स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र ख्वाब बने हुए हैं।
12 साल हो रही मांग..कोई नतीजा नहीं
वहीं लगभग 12 साल से लगातार आवाज उठाए जाने के बाद भी अब तक उसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। सोनभद्र विकास समिति के राजेश चैबे का कहना था कि इसके चलते गांव में शिशु और मातृ मृत्यु दर भी काफी ज्यादा है। जहां बच्चों को बीमार पड़ने पर अस्पताल लाने में काफी देर हो जाती है। वहीं हालत बिगड़ने पर प्रसूताओं को भी ग्रामीण समय से डिलेवरी के लिए अस्पताल नहीं पहुंचा पाते। कई बार रास्ते में ही मौत हो जाती है। बताया कि इसको लेकर कई बार ग्रामीणों ने आवाज उठाई। सड़क निर्माण को लेकर सरकारी अमले की तरफ से एक इस्टीमेट भी बनाया गया था लेकिन अब वह पहल भी ठंडी पड़ गई है।