Sonbhadra News : गैर जनपद-गैर प्रांत में सीएसआर के धन खर्च पर लगाएं रोक, डीएम का निर्देश

Sonbhadra News: संबंधित परियोजनाओं के शुद्ध मुनाफे को देखें तो इसके जरिए सीएसएआर मद में प्रतिवर्ष जमा होने वाली धनराशि करोड़ों में है।

Update: 2024-09-06 13:47 GMT

डीएम बद्रीनाथ सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में ली गई बैठक  (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Sonbhadra News: जिले में संचालित औद्योगिक इकाइयों के जरिए सीएसआर मद में खर्च होती धनराशि, प्राथमिकता के तौर पर जिले के विकास पर खर्च हो। इसका प्रमुखता से ख्याल रखने के निर्देश दिए गए हैं। डीएम बद्रीनाथ सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में ली गई बैठक में जहां इस मसले पर खासी चर्चा की गई। वहीं, डीएम की तरफ से सभी औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधियों को इस पर सख्ती से अमल की हिदायत दी गई।

सोनभद्र में संचालित हैं दर्जन भर से अधिक परियोजनाएं

बताते चलें कि देश की प्रमुख ऊर्जा उत्पादन कंपनी एनटीपीसी की तीन और राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के तरफ से दो बड़े बिजलीघर संचालित हैं। इसके अलावा निजी घराने का लैंको अनपरा, हिण्डाल्को ग्रुप की तरफ से रेणुकूट में अल्युमिनियम फैक्ट्री, रेणुसागर में रेणुपावर प्लांट, हिण्डाल्को ग्रुप से जुड़े आदित्य बिड़ला ग्रुप की तरफ से रेणुकूट बिड़ला केमिकल फैक्ट्री, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, डाला में अल्ट्राट्रेक सीमेंट फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है। एनसीएल की चार कोल परियोजनाएं भी सोनभद्र में संचालित हैं। इन परियाजनाओं की तरफ से सीएसआर के मद में शुद्ध मुनाफे का दो प्रतिशत धनराशि खर्च किए जाने का प्रावधान है।

निर्देशों पर दिखी संजीदगी तो बदल जाएगी जिले की तस्वीर

बताते चलें कि संबंधित परियोजनाओं के शुद्ध मुनाफे को देखें तो इसके जरिए सीएसएआर मद में प्रतिवर्ष जमा होने वाली धनराशि करोड़ों में है। सीएसआर गतिविधियां भी समय-समय पर देखने को मिलती रहती हैं लेकिन बड़े प्रोजेक्ट अभी भी सीएसएआर की पहुंच से दूर हैं। बताया जाता है कि, जिले से जुड़े सीएसआर मद की धनराशि दूसरे जिलों-राज्यों में खर्च होने से, सोनभद्र को उसका पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है। बताते हैं कि इसको देखते हुए डीएम की हिदायत और दिए गए निर्देश जहां जिले के लिहाज से खासे महत्वपूर्ण जाने जा रहे हैं। वहीं, कहा जा रहा है कि अगर जिले में स्थापित परियोजनाओं के मुनाफ से सीएसआर मद में जमा होने वाली धनराशि का शत-प्रतिशत जिले में खर्च हो गया तो, चंद वर्षों में ही जिले की तस्वीर बदली नजर आएगी।

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