Sonbhadra News: सोनभद्र में वर्षों से कुंडली मारकर बैठे हैं कई वनकर्मी, फारेस्ट गार्ड से बन गए रेंजर, नहीं हुआ तबादला
Sonbhadra News: रेणुकूट वन प्रभाग एक ऐसा वन प्रभाग है, जहां सबसे ज्यादा वन कर्मी वर्षों से एक ही जगह, एक ही क्षेत्र में कुंडली मारकर बैठे हुए हैं।
Sonbhadra News: एक तरफ प्रदेश सरकार जहां पूरे यूपी में तबादला नीति को सख्ती से प्रभावी करने में लगी हुई है। वहीं, सोनभद्र में कई वनकर्मी ऐसे हैं, जिनके लिए तबादला नीति मायने नहीं रखती। 5-10 वर्ष नहीं, बल्कि यहां कई कर्मी 30 से 35 सालों से एक ही एरिया, एक ही स्थल पर जमे हुए हैं। कुछ ने सोनभद्र मेें ही तैनात रहते हुए, फारेस्ट गार्ड से लेकर रेंजर तक की पदोन्नति पा ली लेकिन तैनाती सोनभद्र में ही बनी रही। बताते हैं कि विभागीय अधिकारियों से लेकर, वन मंत्री तक लोगों ने इसकी शिकायत की, गुहार लगाई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
सूत्रों पर भरोसा करें तो रेणुकूट वन प्रभाग एक ऐसा वन प्रभाग है, जहां सबसे ज्यादा वन कर्मी वर्षों से एक ही जगह, एक ही क्षेत्र में कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। यहां एक ऐसे रेंजर की तैनाती बताई जा रही है, जिसकी नियुक्ति लगभग 35 वर्ष फारेस्ट गार्ड के पद पर हुई थी। रेंजर तक पदोन्नति के बावजूद, तैनाती रेणुकूट वन प्रभाग में ही बनी रही है। इसी तरह वन प्रभाग के ही विंढमगंज रेंज के तैनात एक डिप्टी रेंजर को भी लंबे समय से एक ही क्षेत्र में तैनात बताया जा रहा है।
किसी की 18 तो किसी की 35 वर्ष से बनी हुई है तैनाती
इसी तरह, सोनभद्र वन प्रभाग में प्रभागीय कार्यालय से जुड़े एक कर्मी की तैनाती 18 वर्ष से एक ही प्रभाग में बनी हुई है। राबटर्सगंज रेंज में तैनात रहा एक फारेस्ट गार्ड, वन दरोगा बन गया लेकिन उसकी तैनाती राबटर्सगंज क्षेत्र में ही बनी हुई है। मांची रेंज के एक वन दरोगा की भी तैनाती एक ही रेंज में 10 वर्ष से अधिक बताई जा रही है। सोनभद्र वन प्रभाग में ही तैनात एक वन दरोगा को डिप्टी रेंजर पर पदोन्नति के बावजूद, एक ही प्रभाग में कई वर्ष से तैनाती बनी हुई है। ओबरा वन प्रभाग में भी कई वन कर्मी वर्षों से जमे बताए जा रहे हैं। लोगों के बीच हो रही चर्चाओं और किए जा रहे दावों पर गौर करें तो सोनभद्र स्थित तीन तीनों वन प्रभागों, डिप्टी रेंजर, रेंजर दूर, दो दर्जन अधिक वन दरोगा-फारेस्ट गार्ड ऐसे हैं, जो वर्षों से सोनभद्र में ही जमे हुए हैं।
वन मंत्री से लगाई गुहार का भी नहीं निकल पा रहा नतीजा
दिचलस्प मसला है कि ग्रामीणों की तरफ से ऐसी तैनाती को लेकर कई बार प्रदर्शन के साथ ही, लकड़ी तस्करी, खनन माफियाओं के संरक्षण देने जैसे आरोप भी लगाए जा चुके हैं, बावजूद विभागीय जांच में ऐसे कर्मियों का स्थानांतरण दूर, क्लीन चिट तक दे दी जाती है। पिछले वर्ष इसको लेकर वन मंत्री से शिकायत तो की ही गई थी, दो दिन पूर्व सोनभद्र आए वन मंत्री अरूण सक्सेना के सामने सर्किट हाउस में सत्तापक्ष से जुड़े कुछ लोगों ने भी इस मसले को उठाया। वर्षों से सोनभद्र में जमे रहकर, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप के साथ ही, एक चर्चित रेंजर पर सपा-भाजपा को लेकर राजनीति करने के भी आरोप लगाए गए। बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई हो पाएगी, यह मसला अभी भी अनुत्तरित बना हुआ है।