Sonbhadra News: कनहर विस्थापन पर गरमाई सियासत, पहुंचे जलशक्ति मंत्री ने की मरहम लगाने की कोशिश, IPF ने कहा महज खानापूर्ति

Sonbhadra News: जल शक्ति मंत्री ने कनहर परियोजना को क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि बताया और भरोसा दिया कि जल्द ही कनहर बांध से दुद्धी तहसील क्षेत्र के 108 गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा।

Update: 2024-05-26 12:47 GMT

कनहर विस्थापन पर जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने विस्थापित नेताओं के साथ कि चर्चा: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: दुद्धी विधानसभा क्षेत्र को लेकर हो रहे उपचुनाव में कनहर विस्थापन का मसला बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। शनिवार की रात अचानक से अमवार पहुंचे जलशक्ति मंत्री ने कनहर विस्थापितों से वार्ता कर, विस्थापन लाभ से वंचित लोगों को प्रभावी राहत देने का भरोसा दिया। विस्थापितों से विधानसभा के उपचुनाव लोकसभा और लोकसभा के चुनाव में भाजपा तथा उसके सहयोगी अपना दल एस का साथ देने की अपील भी की। उधर, इसको लेकर सियासत भी गरम हो गई है। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने निशाना साधते हुए कहा कि जलशक्ति मंत्री द्वारा विस्थापितों का ज्ञापन लेना महज, चुनावी खानापूर्ति है।

कनहर परियोजना क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि- शक्ति मंत्री

शनिवार की देर शाम अमवार पहुंचे जल शक्ति मंत्री ने जहां कनहर परियोजना को क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि बताया और भरोसा दिया कि जल्द ही कनहर बांध से दुद्धी तहसील क्षेत्र के 108 गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा। वहीं, यहां के बाद वह बांध किनारे स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे। वहां विस्थापित नेताओं के साथ बैठकर देर तक वार्ता की। उनसे जुड़े मसलों, समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया और उनकी ओर से इस बाबत दिए गए ज्ञापन को लेकर चुनाव बाद जरूरी पहल की बात कही।

उधर, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका और कनहर बनाओ-हरियाली लाओं आंदोलन के संयोजक प्रभु सिंह एडवोकेट ने बयान जारी कर कहा है कि चुनाव के समय प्रदेश के जलशक्ति मंत्री द्वसारा अमवार में विस्थापितों की समस्याओं पर ज्ञापन लेना और घोषणाएं करना महज खानापूर्ति है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से कनहर बांध के निर्माण, नहरों के निर्माण और विस्थापितों के विस्थापन पैकेज के लिए 1200 करोड रुपए का पिछले दो सालों से भुगतान नहीं किया गया।

कनहर की विस्थापित कॉलोनी में किए गए वायदे के अनुसार इंटर कालेज, अस्पताल का निर्माण नहीं कराया गया। वंचित लोगों को बार-बार आश्वासन दिया गया लेकिन अब तक उनका नाम विस्थापन सूची में नहीं जुड़ सका। सूची में नाम होने के बावजूद कई को बगैर विस्थापन पैकेज के ही उजड़ना पड़ा है। उनकी ओर से नहरों के निर्माण में देरी को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।

विस्थापितों ने नोटा के जरिए कराया था अपनी ताकत का एहसास

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पूरे यूपी में सबसे अधिक लगभग 18 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। दावा किया जा रहा है कि इसमें सबसे अधिक संख्या विस्थापितों की थी। यहीं कारण है कि इस बार विस्थापन का मुद्दा सभी प्रमुख सियासी दलों के एजेंडे में शामिल दिख रहा है।

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