Sonbhadra News: टोल प्लाजा-भवन निर्माण की वैधता पर सवाल, वन विभाग का दावा अतिक्रमण कर हुआ निर्माण

Sonbhadra News: वन विभाग का दावा है कि यह निर्माण वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाया गया है। हालांकि वसूलीकर्ता कंपनी एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि निर्माण प्राइवेट व्यक्ति से लीज पर ली गई जमीन पर किया गया है।

Update:2024-10-15 18:51 IST

Sonbhadra News ( Pic- Newstrack)

Sonbhadra News: सोनभद्र के जिला मुख्यालय क्षेत्र के लोढ़ी में सेंचुरी एरिया स्थित टोल प्लाजा तथा कथित भवन निर्माण का मसला जहां अभी उलझा हुआ है। वहीं, अब वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर अहरौरा के बेलखरा में निर्मित किए गए टोल प्लाजा और किए गए आवासीय तथा कार्यालयीय निर्माण पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। वन विभाग का दावा है कि यह निर्माण वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाया गया है। हालांकि वसूलीकर्ता कंपनी एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि निर्माण प्राइवेट व्यक्ति से लीज पर ली गई जमीन पर किया गया है। इसको लेकर, एक याचिका सोनभद्र के रहने वाले एक व्यक्ति की तरफ से एनजीटी में दाखिल की गई है। गत 26 सितंबर को प्रकरण की सुनवाई के बाद जहां सभी पक्षकारों से अविलंब जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। वहीं, अब इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 जनवरी मुकर्रर की गई है।

यह बताया जा रहा है पूरा प्रकरण

न्यायालय नियत प्राधिकारी/प्रभागीय वनाधिकारी मिर्जापुर की तरफ से एनजीटी के निर्देश के परिप्रेक्ष्य में पारित निर्णय में कहा गया है कि चार सदस्यीय टीम से मौके की जांच कराई गई। पाया गया कि 7.79 हेक्टेअर जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण किया गया है। इस निर्णय में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि एसीपी टोलवेज लिमिटेड की तरफ से एक अपील जनपद न्यायालय में दाखिल की गई है जिसमें 3.79 हेक्टेअर एरिया के लिए यथास्थिति का आदेश वर्तमान में पारित है। शेष चार हेक्टेअर के बाबत किसी आदेश का साक्ष्य/प्रमाण सामने नहीं आया है। इसको दृष्टिगत रखते हुए भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 61बी के तहत निर्देशित किया गया है कि एसीपी टोलवेज संबंधित चार हेक्टेअर जमीन पर किए गए निर्माण को खाली कर दे।

विवादित बताई जा रही जमीन को लेकर भी स्थिति हो चुकी है स्पष्ट: अभिषेक चौबे

मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार चौबे का दावा है कि जिस 3.79 हेक्टयर जमीन को लेकर विवाद बताया जा रहा है और उसे एसीपी टोलवेज की तरफ से प्राइवेट व्यक्ति की जमीन होने का दावा किया जा रहा है। जबकि इसको लेकर हाईकोर्ट की तरफ से पूर्व में स्थिति स्पष्ट की जा चुकी है कि प्राइवेट व्यक्ति की बताई जा रही जमीन, वास्तव में वन विभाग की है। वन विभाग की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है।

एनजीटी के निर्णय पर टिकी लोगों की निगाहें

फिलहाल इस मामले में वन विभाग की तरफ से रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल कर दी गई है। एनजीटी की तरफ से निर्णय लेने के लिए सभी संबंधित पक्षकारों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। गत 26 सितंबर को चेयरपर्सन प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और एक्सपर्ट मंेबर ए संथिल वेल की पीठ ने मामले की सुनवाई की। पाया कि प्रतिवादी संख्या आठ की तरफ से जवाब दाखिल कर दिया गया है। अन्य सभी पक्षकारों को अविलंब शपथ के माध्यम से आपत्ति/प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा गया है और मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 जनवरी 2025 मुकर्रर की गई है। मामले में एनजीटी का क्या फैसला आता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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