Sonbhadra News: निर्वाचित सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर से 103 कार्यों का प्रस्ताव तैयार करने के आरोप ने फैलाई सनसनी

Sonbhadra News: सबसे बड़ा दावा और आपत्ति दूसरी बोर्ड की बैठक में 24 करोड़ के 103 कार्यों के प्रस्ताव पर लगाया गया है।

Update:2023-09-29 23:09 IST

Sonbhadra News: जिले की सबसे बड़ी नगर पंचायत का पहला कार्यकाल लगातार हंगामेदार बनता जा रहा है। दो दिन पूर्व जहां, सभासद प्रतिनिधियों को बोर्ड की बैठक में मौजूदगी से मना किए जाने पर नाराजगी जताई गई थी। वहीं, शुक्रवार को निर्वाचित सभासदों के कथित फर्जी हस्ताक्षर से 103 करोड़ के कार्य के प्रस्ताव तैयार किए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। प्रकरण को लेकर दो महिला सभासदों की तरफ से, अधिशासी अधिकारी को पत्र भी सौंपा गया है और मामले में हस्तक्षेप की मांग उठाई गई है।

सभासद सुगनी देवी और सभासद जुलेखा बानो की तरफ से अधिशासी अधिकारी को उपलब्ध कराए गए कथित पत्र में अध्यक्ष प्रतिनिधि पर मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि गत 27 सितंबर को नगर पंचायत बोर्ड की बैठक में उपस्थित हुए महिला सभासदों के प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें बैठक से निष्कासित कर दिया गया था। अधिशासी अधिकारी पर, इसको लेकर सहमति जताए जाने का आरोप लगाया गया है। सबसे बड़ा दावा और आपत्ति दूसरी बोर्ड की बैठक में 24 करोड़ के 103 कार्यों के प्रस्ताव पर लगाया गया है।

महिला सभासदों की तरफ से सौंपे गए कथित पत्र में दावा किया गया है कि इन कार्यों के प्रस्ताव/रजिस्टर पर गलत व फर्जी तरीके से निर्वाचित सभासदों के हस्ताक्षर बनवाकर सहमति दर्शाया जा रहा है। जबकि मामले पर आपत्ति जताने वाली सभासदों की तरफ से प्रस्ताव में सम्मिलित कार्यों पर कोई सहमति नहीं जताई गई है। पत्र में कहा गया है कि विभिन्न निर्माण/आपूर्ति कार्यों के प्रस्ताव/रजिस्टर पर भी कोई हस्ताक्षर नहीं किया गया है। मामले में गलत तरीके से सहमति दर्शाते हुए, इसको लेकर निविदा निकालने को लेकर चल रही प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने तथा अन्य मसलों पर तत्काल समुचित कदम उठाने की मांग की गई है।

प्रस्ताव पर किसी के नहीं हुए फर्जी हस्ताक्षर: ईओ

उधर, अधिशासी अधिकारी ऋ़चा यादव का इस मामले में फोन पर कहना था कि जुलेखा बानो बैठक में उपस्थित थी लेकिन उन्होंने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किया। वहीं, संभवतः सुगनी देवी उपस्थित नहीं थी। जहां तक कार्यों के प्रस्ताव का मामला है, उन्हीं प्रस्तावों की सूची तैयार की गई है जिसे सभासदों की तरफ से उपलब्ध कराया गया था। किसी से कोई फर्जी हस्ताक्षर नहीं किया गया है। प्रस्ताव पर उन्हीं के हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने बैठक में मौजूद रहकर हस्ताक्षर बनाए।

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