Sonbhadra: नोटिफाइड जमीन की प्रविष्टि को फर्जी बताते हुए किया था खारिज, हाईकोर्ट ने कहाः गलत तथ्यों पर लिया निर्णय..
Sonbhadra: हाइवे से कलेक्ट्रेट की तरफ मुड़ने वाले रास्ते के बाईं तरफ की जमीन को लेकर पारित किए गए आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है और प्रविष्टि पूर्व की भांति बहाल किए जाने के आदेश दिए गए हैं।;
Sonbhadra News: लोढ़ी ग्राम पंचायत में दो वर्ष पूर्व तत्कालीन एडीएम योगेंद्र बहादुर सिंह की तरफ से जमीनों को लेकर की गई जांच और उनकी रिपोर्ट पर एसडीएम की तरफ से, संबंधित भूभाग में दर्ज प्रविष्टि (नाम) को फर्जी बताते हुए, ग्राम समाज में दर्ज किए जाने के दिए गए आदेश को लेकर एक बार फिर से हाईकोर्ट की तरफ से बड़ा निर्णय सामने आया है। हाइवे से कलेक्ट्रेट की तरफ मुड़ने वाले रास्ते के बाईं तरफ की जमीन को लेकर पारित किए गए आदेश को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है और प्रविष्टि पूर्व की भांति बहाल किए जाने के आदेश दिए गए हैं।
यह है पूरा प्रकरण
बताते चलें कि लोढ़ी गांव स्थित प्लाट नंबर 872, 875, 876 और 878 की प्रविष्टि को गत 29 जून 2022 को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया है कि प्रविष्टि गलत और फर्जी तरीके से अंकित कर दी गई थी। इसके लिए जांच के दौरान नामांतरण प्रक्रिया को लेकर सही विवरण न मिलने और नामांतरण पत्रावली गायब होने की बात कही गई थी। पहले तत्कालीन एडीएम योगेंद्र बहादुर सिंह ने जांच कर, प्रविष्टि को फर्जी बताया। इसके बाद, एसडीएम की कोर्ट की तरफ से एडीएम के जांच पर मुहर लगाते हुए जमीन को ग्राम समाज के खाते में दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने आदेश के क्रियान्वयन पर लगा दी थी रोक
एसडीएम व अनुविभागीय अधिकारी के फैसले से क्षुब्ध होकर, जमीन धारकों ने इस निर्णय को अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका के जरिए उच्च न्यायालय को बताया गया कि संबंधित जमीन के नामांतरण का निर्धारण चकबंदी प्रक्रिया के जरिए किया गया है और चकबंदी के बाद संबंधित जमीन को लेकर डिनोटिफाइड की भी प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है। बावजूद बगैर नोटिस, बगैर जांच, सिर्फ सरसरी तौर पर प्रविष्टि को फर्जी बताते हुए, खारिज करने का आदेश पारित कर दिया गया। एकपक्षीय कार्रवाई का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने गत नौ सितंबर 2022 को एसडीएम के निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
गलत तथ्यों पर आधारित पाया गया निर्णय, रद्द करने का आदेश
हाईकोई की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि प्रविष्टि को फर्जी बताने और प्रविष्टि को खारिज करने का आदेश देने की प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं किया गया है। बगैर तथ्यों की विवेचना किए सरसरी तौर पर प्रविष्टि को जाली बताते हुए, उसे खारिज का निर्णय सुना दिया गया है। इसका संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की तरफ से संबंधित जमीनों को लेकर गत 29 जून 2022 को पारित निर्णय को रद्द कर दिया।