Sonbhadra News: ओबरा सी बकाया भुगतान न मिलने से खफा मजदूरों ने काटा बवाल, घंटों निर्माण कार्य रखा ठप
Sonbhadra News: पुलिस ने नाराजगी जता रहे मजदूरों को समझा-बुझाकर शांत कराने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। समाचार दिए जाने तक मजदूर, मजदूरी के भुगतान के बाद ही, परियोजना से गेट से हटने की बात पर अड़े हुए थे।
Sonbhadra News: ओबरा सी का निर्माण करा रही दूसान कंपनी की तरफ से, कार्य करने वाले श्रमिकों की कथित मजदूरी लटकाए जाने का मसला दिन ब दिन गंभीर रूप अख्तियार करता जा रहा है। पिछले तीन माह का मेहनताना न मिलने से खफा मजदूरों ने मंगलवार को जमकर बवाल काटा। परियोजना के मुख्य गेट पर ताला जड़ने के साथ ही, कंपनी के कैंटीन को भी बंद करा दिया। इससे दूसान के अफसरों-कर्मियों को दोपहर बगैर नाश्ता-भोजन के ही गुजारना पड़ा। पुलिस ने नाराजगी जता रहे मजदूरों को समझा-बुझाकर शांत कराने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। समाचार दिए जाने तक मजदूर, मजदूरी के भुगतान के बाद ही, परियोजना से गेट से हटने की बात पर अड़े हुए थे।
भुगतान लटकाए जाने का मसला लगातार बढ़ा रहा आक्रोश
बताते चलें कि कोरियन कंपनी दूसान राज्य सरकार के स्वामित्व वाली ओबरा सी परियोजना का निर्माण कार्य करा रही थी। 660 मेगावाट वाली पहली इकाई से उत्पादन शुरू हो गया है। दूसरी इकाई को लेकर कार्य जारी है लेकिन पिछले छह माह से यहां मजदूरी के मसले पर आए दिन हंगामा-बवाल की स्थिति बनने लगी है। प्रशासन-पुलिस के हस्तक्षेप पर मजदूरी से जुड़े एक मसले का समाधान हो रहा है। उसके चंद दिन बाद ही दूसरा मसला खड़ा हो जा रहा है। मजदूरी भुगतान में देरी और तीन से चार माह का भुगतान लटकाए जाने का मसला मजदूरों में आक्रोश के साथ ही, कानून व्यवस्था के लिए भी चुनौती बनने लगा है।
ठेकदारों को जीएसटी-व्याज की सहनी पड़ रही मार
बताते हैं कि दुसान कम्पनी में कार्य करा रहे ठेकेदारो को पांच महीनो से भुगतान नहीं मिल पाया है। इसके चलते किसी मजदूर की तीन माह तो किसी का भुगतान चार माह से अटका पड़ा है। मजदूर जब मेहनताना मांगने जाते हैं तो ठेकेेदार यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उन्हें दूसान कंपनी से भुगतान नहीं मिल रहा है। ठेकेदोरों का यह भी कहना है कि भुगतान न मिलने के कारण वह जीएसटी तक अदा नहीं कर पा रहे हैं जिसके चलते उन्हे पेनाल्टी और ब्याज दोनों की अदायगी करनी पड़ रही है।
145 करोड़ एडवांस के बाद भी क्यों लटक रहा मजदूरी भुगतान?
जब मजदूर दूसान के अधिकारियों से गुहार लगाने पहुंचते हैं तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि परियोजना प्रशासन की तरफ से उन्हें भुगतान नही कर रहा है। वहीं परियोजना प्रशासन से जुड़े अफसरों का कहना है कि दूसान का कोई भी बिल बकाया नही है, बल्कि 145 करोड़ की रकम काम में तेजी लाने के लिए दूसान को एडवांस में दी जा चुकी है। किसका दावा सही है, किसका गलत, यह तो अफसर जानें, फिलहाल एक दूसरे पर पल्ला झाड़ने की नीति में मजदूरों को मेहनताने के लिए हंगामा-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है।