सोनू सूद आएंगे बनारस: अस्सी घाट में पिएंगे चाय, ऐसा होगा भव्य स्वागत

बलिया जिले के राजा का गांव खरौनी के रहने वाले रूपेश सिंह ने अपना मौजूदा सैंड आर्ट एक्टर सोनू सूद को समर्पित किया है । रूपेश ने अपने गांव खरौनी में सोनू सूद का चित्र बालू पर उकेरा है तथा सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के जरिये इसे सोनू सूद को समर्पित किया है ।

Update:2020-06-04 18:00 IST
sonu sood

बलिया । प्रवासी कामगारों का सहयोग कर चर्चा में आये एक्टर सोनू सूद बलिया के एक छोरे द्वारा सैंड आर्ट के जरिये बनाये गये अपने चित्र से इस कदर प्रफुल्लित हैं कि बलिया के छोरे के साथ बनारस के अस्सी घाट पर चाय पियेंगे ।

सोनु सूद की तारीफ की

बलिया जिले के राजा का गांव खरौनी के रहने वाले रूपेश सिंह ने अपना मौजूदा सैंड आर्ट एक्टर सोनू सूद को समर्पित किया है । रूपेश ने अपने गांव खरौनी में सोनू सूद का चित्र बालू पर उकेरा है तथा सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के जरिये इसे सोनू सूद को समर्पित किया है ।

उन्होंने चित्र पर अंकित किया है " सैल्यूट तो रियल हीरो ऑफ इंडिया सोनू सूद जी । " रूपेश ने एक्टर सूद को अपनी कृति ट्विटर पर प्रस्तुत करते हुए लिखा है गरीबों के मसीहा को काशी के कलाकार का प्यार भरा नमस्कार ।

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रूपेश ने ' न्यूजट्रैक ' से बातचीत करते हुए कहा कि देश में सेलिब्रिटी तो बहुत से हैं , लेकिन एक्टर सूद जी विलेन से हीरो बनकर कामगारों के सहयोग के लिए आगे आये हैं । वह सूद को इसके लिए सलाम करते हैं । बकौल रूपेश , एक्टर सूद ने उनको रिप्लाई देते हुए कहा है कि वह बनारस आयेंगे तो मिलेंगे तथा बनारस के अस्सी में साथ चाय पीते हैं ।

रूपेश का संघर्ष से भरा जीवन

रूपेश का जीवन संघर्ष से भरा पड़ा है । बचपन से ही चित्र बनाना रूपेश के जीवनचर्या का हिस्सा रहा है । वह बचपन से ही गांव में धार्मिक व सामाजिक आयोजन में मूर्ति आदि बना लेते थे , इसके लिये उनके परिजनों ने उनकी पिटाई भी की थी ।

रूपेश को सैंड आर्ट्स के अपने काम को पूरा करने के लिये स्वयं कोई न कोई काम करना पड़ता है । वह बताते हैं कि तकरीबन छह साल पहले गांव में एक स्थान पर बालू गिरा था । उसके जरिये उन्होंने पहली बार बालू से नारी शोषण पर आकृति उकेरा ।

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बहुत दिक्कतों का सामना किया

इसके बाद वह बनारस में आयोजित एक प्रतियोगिता में शिरकत किये । उनके जेब में तब पैसा नही था । किसी ने सहयोग भी नही किया । बनारस की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये उन्होंने काफी परेशानी झेली । वह बताते हैं कि रविदास घाट पर उन्होंने पतंग की तीलियों को बटोरा । सेब की टोकरी का फट्टा निकाला ।

पड़ोस के घर से कूड़ा से सामग्री लिया और फिर चारा घोटाले को लेकर चित्र बनाया । इस प्रतियोगिता में बड़े घरों से लोग कार से शिरकत करने आये थे , इससे वह हतोत्साहित तो हुए लेकिन प्रतियोगिता में जब उनको अव्वल घोषित किया गया तो उनको काफी बल मिला । वह इसके बाद पीछे मुड़कर नही देखे ।

काशी विद्यापीठ में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स के द्वितीय सेमेस्टर का छात्र रूपेश अपने किसान पिता त्रिभुवन सिंह के तीन पुत्र व एक पुत्री में सबसे छोटे हैं । रूपेश बताते हैं कि उनकी सबसे बड़ी बहन व बड़े भाई का उनके परिवार से कोई जुड़ाव नही है ।

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परिवार की स्थिति बदहाल

वह बताते हैं कि मारुति फैक्ट्री में ड्राइवर का काम करने वाले मझले भाई राकेश सिंह ही परिवार के खेवनहार हैं । राकेश ही दस सदस्यों वाले इस परिवार का भरण पोषण चला रहे हैं । रुपेश पिता की स्थिति बताते बिलख पड़ते हैं । रुंधे गले से वह कहते हैं कि पिता का स्वास्थ्य हमेशा खराब रहता है । वह गाय, भैस व खेत बेंचकर पिता का इलाज करा रहे हैं । वह कहते हैं कि आज मझले भाई सहयोग कर रहे हैं तो परिवार का काम चल जा रहा है, लेकिन बड़े भाई की तरह मझले भाई ने किनारा कंस लिया तो फिर क्या होगा ।

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देश का नाम रोशन करना चाहेंगे

वह कहते हैं कि जब मैं कोई आकृति बनाता हूँ तो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उनको वाहवाही मिलती है तो उन्हें अपार खुशी होती है , लेकिन उनको इस बात का अपार कष्ट है कि किसी ने भी आज तक उनकी पीड़ा को नही समझा । वह कैसे सामग्री जुटा कर आकृति बना रहे हैं , इसे जानने की किसी ने कोई कोशिश नही की । वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप मुख्यमंत्री द्वय केशव प्रसाद मौर्या व डॉ दिनेश शर्मा से मुलाकात कर चुके हैं ।

किसी का सहयोग नहीं मिला

अब तक न तो शासन व प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग मिला और न ही सामाजिक संगठनों या आम जन ने ही सहयोग किया । रूपेश कहते हैं कि वह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं , लेकिन भूखे रहकर वह कैसे अपना जुनून पूरा कर पाएंगे, उनके सम्मुख यह यक्ष प्रश्न है । वह कहते हैं कि यही हालत रही तो किसी दिन वह बीमार होकर मर जायेंगे ।

रिपोर्टर - अनूप कुमार हेमकर , बलिया

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