UP: यशवंत सिन्हा के साथ बैठक में सुभासपा को न्योता नहीं, ओपी राजभर बोले- अखिलेश को अब मेरी जरूरत नहीं
UP: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (SP supremo Akhilesh Yadav) और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। गुरूवार को दोनों के बीच की तल्खी एकबार फिर सामने आ गई।
Lucknow: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव (SP supremo Akhilesh Yadav) और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर (Subhaspa chief Omprakash Rajbhar) के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। गुरूवार को दोनों के बीच की तल्खी एकबार फिर सामने आ गई। दरअसल, विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Presidential candidate Yashwant Sinha) गुरूवार को लखनऊ में थे। उनके समर्थन के लिए अखिलेश यादव ने अपने सहयोगी दलों के विधायकों को भी बुलाया था, मगर इस बैठक में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के छह विधायक मौजूद नहीं थे। जबकि इस बैठक में रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी और उनके आठ विधायक मौजूद थे।
अखिलेश को मेरी जरूरत नहीं - राजभर
बैठक में नदारद रहने को लेकर सुभासपा प्रमुख ने कहा कि उन्हें अखिलेश यादव और सपा की तरफ से कोई न्योता नहीं मिला है। ओपी राजभर ने कहा कि शायद सपा सुप्रीमो को अब उनकी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जब इन्हें हमारा साथ नहीं चाहिए, तो हम अपने हिसाब से देखेंगे। ऐसे में अब माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) में सुभासपा के सभी विधायक राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकते हैं।
अखिलेश पर लगातार हमलावर रहे हैं ओपी राजभर
विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद से ही सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर अखिलेश यादव पर हमलावर हैं। हार के कुछ दिन बाद ही उन्होंने सपा सुप्रीमो को एसी कमरे से निकलकर जमीन पर राजनीति करने की नसीहत दे डाली थी। इसके बाद हालिया आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा के सफाये के बाद उन्होंने एकबार फिर सार्वजनिक रूप से अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली की आलोचना की थी। जिसपर बाद में अखिलेश ने भी पलटवार किया था। दोनों नेताओं के बीच जारी जुबानी जंग के बाद अब ये लगभग तय हो गया है कि जल्द महान दल की तरह सुभासपा भी सपा गठबंधन से खुद को अलग कर लेगी।
बीजेपी के साथ फिर जा सकते हैं राजभर
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करने से सुभासपा के लिए फिर से बीजेपी के साथ जाने के द्वारा खुल सकते हैं। ऐसे में अब नजरें उनके इस फैसले पर रहेगी। ओपी राजभर पूर्व में भी एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं। वह योगी सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी थे। ऐसे में बीजेपी के साथ दोबारा जाने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। वहीं बीजेपी भी आगामी लोकसभा चुनाव में छोटे – छोटे दलों की अहमियत को देखते हुए राजभर का समर्थन प्राप्त करना चाहेगी।